#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जो BAMCEF से जुडा नही|
#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जिसका राष्ट्रीय स्तर का संगठन नही|
#नोट:- मा.वामन मेश्राम साहेब ने मूलनिवासी समाज के प्रत्येक सामाजिक समूह का, महिलाओ का, अल्पसंख्यको का विद्यार्थी, युवा, बेरोजगार, किसान, समस्त व्यवसाय से जुडे हुए इन सबका राष्ट्रीय स्तर का संगठन
बनाकर जिला स्तर से लगाकर राष्ट्रीय स्तर तक कैडरबेस कार्यकर्ताओ एवम नेतृत्व का निर्माण किया है|
#ऐसा कोई राष्ट्रीय स्तर की समस्या, मुद्दा, ब्राह्मणो का सडयंत्र, न्यायपालिका-विधायिका-चुनाव आयोग, मीडिया के द्वारा किये गए सडयंत्र नही... जिसका BAMCEF (वामन मेश्राम साहेब) ने पर्दाफाश
किया नही|
#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जिसके साथ इतिहास मे ब्राह्मणो के द्वारा की गई धोखेबाजी का BAMCEF ने पर्दाफाश किया न हो|
#ऐसा कोई मूलनिवासी समाज का सामाजिक समूह नही... जिनके संविधान मे मिले अधिकारो को लागू करने के लिए की गई धोखेबाजी का पर्दाफाश मा.वामन
मेश्राम साहेब ने नही किया हो|
#ऐसा कोई मुद्दा, समस्या, महापुरुष, शासक जातियो के द्वारा मूलनिवासी समाज के विरोध मे बनाई गई नीतियो पर... जिन पर मा.वामन मेश्राम साहेब ने पुस्तक न लिखी हो|
#नोट:- समस्त विषयो पर चर्चा करके पर्दाफाश किया गया है उसके वीडियो #Youtube पर उपलब्ध है और
पुस्तके MPTमूलनिवासी पब्लिकेशन ट्रष्ट--पुणे मे व BAMCEF के प्रत्येक State ऑफिस मे उपलब्ध है|
-एच.एन.रेकवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष,
RAEPराष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, नई दिल्ली.
🌹15नवंबर : बिरसा मुंडा जन्मजयंती🌹
जल, जंगल, जमीन के लिए संघर्ष करने वाले महान शूरवीर योद्धा, उलगुलान के जनक व 'अबुआ दिशुम, आबुआ राज' यानी 'हमारा देश, हमारा राज' नारे के सृजनकर्ता जननायक बिरसा मुंडा का जन्म 15नवंबर1875 को झारखंड प्रदेश मे रांची के खूंटी क्षेत्र
अन्तर्गत उलीहातू गांव मे सुगना मुंडा और करमी हातू दम्पति के घर हुआ था| अकाल और महामारी के कारण इन्होने अंग्रेजो से लगान माफी और जमींदारो की बेगारी के विरुद्ध क्षेत्र के सभी आदिवासिओ को एकत्र कर तीर-कमानो से लैस होकर जनांदोलन (उलगुलान) चलाया| इसी क्रम मे अंग्रेजो से
उनकी कई बार भिडन्त हुई और एक बार इन्हे दो साल की सजा के अन्तर्गत हजारी बाग केन्द्रीय कारागार मे भी रखा गया तथा अन्त मे 03फरवरी1900 को बिरसा को गिरफ्तार कर रांची जेल मे डाल दिया गया| अंग्रेजो द्वारा धीमा जहर देने के कारण जेल मे ही बिरसा की मृत्यु 09जून1900 को हो गयी|
विश्वरत्न महामानव बाबासाहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी के पिताजी सुभेदार रामजी मालोजी सकपाल ब्रिटिश भारतीय सेना मे सुभेदार पद पर कार्यरत थे| वह अंग्रेजी भाषा मे प्रभुत्व सपन्न होने के कारन ब्रिटिश भारतीय सेना मे शिक्षा देने का काम करते थे| अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति मे सुभेदार रामजी
मालोजी सकपाल जी ने बाबासाहेब डॉ.भीमराव जी की शिक्षा को पूरी करवाने के लिए कडी मेहनत की |
बाबासाहेब डॉ.आंबेडकर ने उच्च शिक्षा लेकर समाज को गुलामी से मुक्त करना चाहिए यह सुभेदार रामजी सकपाल जी का सपना था जो बाबासाहेब ने पूरा कर के दिखलाया|
सुभेदार रामजी मालोजी सकपाल जी के 184वें जन्मजयंती के अवसर पर देश के सभी मूलनिवासी बहुजनो को बहोत बहोत बधाई |👈
स्वर्ग की संकल्पना बौद्ध धर्म के मिथ्रा पंथ (Mithraism) से विकसित हुई थी|
भविष्य मे जब धम्म खत्म होकर धरती पर सभी तरफ अधम्म (अधर्म) का अंधकार फैलेगा, तब मैत्रेय बोधिसत्व धरती पर अवतार लेंगे ऐसा बौद्ध धर्म का मानना था| अभी फिलहाल मैत्रेय बोधिसत्व उनके स्वर्ग मे आराम कर रहे है और
उचित समय पर धम्म को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से जन्म लेंगे ऐसा बौद्धो का मानना था|
धम्म के आचरण से हम आकाश मे मैत्रेय बोधिसत्व के संग सभी सुखो मे रह सकते है और धम्म का पालन करने से हमे आकाशी मैत्रेय बोधिसत्व के साथ सुखमय जीवन बिताने का मौका मिल सकता है ऐसी संकल्पना मध्य एशिया
के बौद्ध धर्म मे विकसित हुई थी| मैत्रेय बोधिसत्व के स्वर्ग को "Elysium, Acardia, मधुवन (मथुरा)" ऐसे अलग अलग नामो से जाना जाता था और वहाँ पर मधुरस बहता है ऐसा मिथ्रा बौद्धो का मानना था| मधुरस से मधुरा, मथुरा नाम पडा है| गुप्तोत्तर काल मे काल्पनिक पुराण लिखकर ब्राम्हणो ने उन पुराणो
तिब्बत के ग्रैंड लामा ने आदि शंकराचार्य को मार डाला था|
आदि शंकराचार्य का जन्म सन 788 मे हुआ था और बचपन मे 12 सालो तक बौद्ध धर्म का अध्ययन पुरा करने के बाद शंकराचार्य ने बौद्ध महाविद्यालय को आग लगाकर वहाँ के सभी भिक्खुओ का संहार कर दिया था| उसके बाद शंकराचार्य ने भयंकर हिंंसाचार
संपुर्ण भारत मे किया और बौद्ध धर्म को खत्म कर वैदिक धर्म का बौद्ध धर्म पर विजय स्थापित किया, जिसे शंकरदिग्विजय कहा जाता है और उसका वर्णन माधवाचार्य के शंकरदिग्विजय ग्रंथ मे मिलता है| बौद्ध धर्म पर विजय के प्रतीक के तौर पर शंकराचार्य ने भारत के चार कोने मे स्थापित सम्राट अशोक के
चार धम्म स्थलो को वैदिक धर्म के चार धाम मे परिवर्तित किया| दक्षिण भारत का श्रंगेरी मठ, पुर्व भारत का जगन्नाथ मंदिर, और उत्तर पश्चिम भारत के बद्रीनाथ तथा केदारनाथ यह चार धाम शंकराचार्य ने स्थापित किए| अपना हिंसक विजयी अभियान शंकराचार्य ने नेपाल के रास्ते तिब्बत तक चलाया था| आखिर
मेगास्थनीज यूनानी राजदूत था जो 305 ईसापूर्व मौर्य साम्राज्य के महाराजा “चन्द्रगुप्त मौर्य" के दरबार मे राजदूत बनकर भारत आया था| मेगास्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार मे रहकर भारत की सभ्यता-संस्कृति के बारे मे एक पुस्तक लिखा, जिसका नाम उसने “इंडिका” रखा|
परंतु "इंडिका" की मूलप्रति
आज भारत मे सुरक्षित नही है| उस "इंडिका" मे वर्णित बातो को लेखक के रूप मे आगे J.W.Mccrindle ने नयी “इंडिका” का रूप दिया| इसके अलावा इन सभी लेखको ने भी (डायोडोरस, सिकुलस, स्ट्राबो, प्लीनी तथा एरियन) आगे अपनी अपनी पुस्तक मे उस बातो की चर्चा की है|
मेगास्थनीज द्वारा आंखो देखी सचित्र
चित्रण मे प्रथमतः भारत की सामाजिक व्यवस्था मे कोई वर्ण या जाति की चर्चा नही है यानि “वेद मे वर्णित सदियो से वर्ण” की उत्पत्ति वाली बात सरासर गलत है| सिर्फ यहां के लोगो को पेशागत दिखाया गया है| जिसमे कृषक, पशुपालक, कारीगर, सैनिक, व्यापारी की चर्चा है|
यानी मोर्य काल के समय मे
Ajanta Caves के बारे मे बात करे तो महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले मे यह अजंता की गुफाएं है, वहा लगभग 30 बौद्ध गुफाए स्मारक के रूप मे स्थित है जो दूसरी शताब्दी ईसापूर्व से लेकर 480 या 650 इसवीसन तक के काल मे बनी हुई है और गुफाओ का मुख्य आकर्षण है वहा की पेटिंग और चट्टानो मे
तराशी गयी मूर्तियाँ जो प्राचीन भारतीय बौद्ध कला का बेजोड उदाहरण है तो चलिए Ajanta Caves History के बारे मे कुछ और जानकारी पर बात करते है–
अजंता की गुफाओ मे जो चित्र मिलते है उनमे खास तौर पर एक अलग तरह की खूबसूरती है जो जो इशारे, मुद्रा और रूप के माध्यम से भावना प्रस्तुत करते है|
यूनेस्को के मुताबिक, ये बौद्ध धार्मिक कला की कृतियां है जिसने भारतीय कला को व्यापक तौर पर प्रभावित किया था| Ajanta Caves को इनके निर्माण के आधार पर दो समूहो मे बांटा गया है, जिसमे पहले समूह का निर्माण दूसरी शताब्दी ईसापूर्व मे हुआ है और दूसरा ऐसा समूह है जिसका निर्माण 460 to 480