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Nov 15 5 tweets 2 min read
💥 #सनातन_धर्म_की_रक्षा_करें 🚩🚩

जिस आदमी ने श्रीमदभगवद गीता का पहला उर्दू अनुवाद किया वो था मोहम्मद मेहरुल्लाह!
बाद में उसने सनातन धर्म अपना लिया!

पहला व्यक्ति जिसने श्रीमदभागवद गीता का अरबी अनुवाद किया वो एक फिलिस्तीनी था अल फतेह कमांडो नाम का!
जिसने बाद में जर्मनी
में इस्कॉन जॉइन किया और अब हिंदुत्व में है!

पहला व्यक्ति जिसने इंग्लिश अनुवाद किया उसका नाम चार्ल्स विलिक्नोस था!

ईसने भी बाद में हिन्दू धर्म अपना लिया उसका तो ये तक कहना था कि दुनिया मे केवल हिंदुत्व बचेगा!

हिब्रू में अनुवाद करने वाला व्यक्ति Bezashition le fanah नाम का
इसरायली था जिसने बाद में हिंदुत्व अपना लिया था भारत मे आकर!

पहला व्यक्ति जिसने रूसी भाषा मे अनुवाद किया उसका नाम था नोविकोव जो बाद में भगवान कृष्ण का भक्त बन गया था!

आज तक 283 बुद्धिमानों ने श्रीमद भगवद गीता का अनुवाद किया है अलग अलग भाषाओं में जिनमें से 58 बंगाली, 44
अंग्रेजी, 12 जर्मन, 4 रूसी, 4 फ्रेंच, 13 स्पेनिश, 5 अरबी, 3 उर्दू और अन्य कई भाषाएं थी!

जिस व्यक्ति ने कुरान को बंगाली में अनुवाद किया उसका नाम गिरीश चंद्र सेन था!

लेकिन वो इस्लाम मे नहीं गया शायद इसलिए कि वो इस अनुवाद करने से पहले श्रीमद भागवद गीता को भी पढ़ चुके थे !
ये है सनातन धर्म और इसके धार्मिक ग्रंथों की ताकत
इन सत्य को आप परख सकते हैं ....
जय भारत 🇮🇳🇮🇳

#सनातन_संस्कृति 🚩

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Nov 16
💥 #लकड़ी_के_खडाऊं 🚩🚩
हमारे वैज्ञानिक ऋषि मुनि धरती की गूढ़ रासायनिक संक्रियाओं को समझते थे, इसलिए उन्होंने खड़ाऊ का आविष्कार किया

आपको गर्व होगा खड़ाऊ के पीछे का विज्ञान जानकर गुरुत्वाकर्षण का जो सिद्धांत वैज्ञानिकों ने बाद मे प्रतिपादित किया उसे हमारे
#Thread
@AnkitaBnsl ImageImageImage
ऋषि मुनियों ने काफी पहले ही समझ लिया था।

उस सिद्धांत के अनुसार शरीर में प्रवाहित हो रही विधुत तंरगे गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं, यह प्रक्रिया अगर निरंतर चलें तो शरीर की जैविक शक्ति (वाइटल्टी फोर्स) समाप्त हो जाती है।

इसी जैविक शक्ति को बचाने
के लिए हमारे पूर्वजों ने खडाऊं पहनने की प्रथा आरम्भ की ताकि शरीर की विधुत तरंगों का पृथ्वी की अवशोषण शक्ति के साथ सम्पर्क न हो सके,इसी सिद्धांत के आधार पर खडाऊं पहनी जाने लगी।यें चीजें जानकर गर्व होता है अपने पूर्वजों पर, और दुःख होता है कि आज के तथाकथित सभ्य समाज को
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Nov 15
💥 #थोडा_सा_समय_देकर_इस_कहानी_को_जरूर_पढे 🚩

माँ मैं एक पार्टी में गया था. तूने मुझे शराब नहीं पीने को कहा था, इसीलिए बाकी लोग शराब पीकर मस्ती कर रहे थे और मैं सोडा पीता रहा. लेकिन मुझे सचमुच अपने पर गर्व हो रहा था माँ,

जैसा तूने कहा था कि 'शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाना'. Image
मैंने वैसा ही किया. घर लौटते वक्त मैंने शराब को छुआ तक नहीं,

भले ही बाकी दोस्तों ने मौजमस्ती के नाम पर जमकर पी.
उन्होंने मुझे भी पीने के लिए बहुत उकसाया था.

पर मैं अच्छे से जानता था कि मुझे शराब नहीं पीनी है और मैंने
सही किया था.

माँ, तुम हमेशा सही सीख देती हो. पार्टी अब
लगभग खत्म होने
को आयी है और सब लोग अपने-अपने घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं.

माँ ,अब जब मैं अपनी कार में बैठ रहा हूँ तो जानता हूँ कि केवल कुछ समय बाद मैं अपने घर अपनी प्यारी स्वीट माँ और पापा के पास रहूंगा.

तुम्हारे और पापा के इसी प्यार और संस्कारों ने मुझे जिम्मेदारी सिखायी
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Nov 15
"आरती लेने" का यह होता है अर्थ!!!!!क्‍या है आरती का अर्थ!!!!
शास्‍त्रों में बताया गया है कि आरती शब्द संस्कृत के "आर्तिका" शब्द से बना है। जिसका अर्थ है, अरिष्ट, विपत्ति, आपत्ति, कष्ट और क्लेश। भगवान की आरती को "नीराजन" भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है किसी स्‍थान
#Thread Image
को विशेष रूप से प्रकाशित करना। शास्‍त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार, आरती के इन्हीं दो अर्थों के आधार पर भगवान की आरती करने के दो कारण बताए गए हैं।

आरती करने का पहला कारण!!!!

आरती में दीपक की लौ को देवता के समस्त अंग-प्रत्यंग में बार-बार इस प्रकार घुमाया जाता है कि भक्तगण
आरती के प्रकाश में भगवान के चमकते हुए आभूषण और अंगों का प्रत्‍यक्ष दर्शन कर सकें और संपूर्ण आनंद को प्राप्‍त कर सकें। ईश्‍वर की छवि को अच्छी तरह निहारकर हृदय में भर सकें। इसलिए आरती को नीराजन कहते हैं, क्योंकि इसमें भगवान की छवि को दीपक की लौ से विशेष रूप से प्रकाशित किया
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Nov 14
*#जनेऊ क्या है और #इसकी_क्या_महत्वता है ??
"भए कुमार जबहिं सब भ्राता।
दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता"॥
#जनेऊ_क्या_है : आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं।
जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है
#Thread
। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।

यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है।
अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।

तीन सूत्र क्यों : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं।
यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है।
यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है।यह तीन आश्रमों का प्रतीक है।
संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं।
Read 7 tweets
Nov 14
कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है !

🩸#सोना
सोना एक गर्म धातु है ! सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है !
🩸#चाँदी
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है ! शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है,
आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है !
🩸#कांसा
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है ! लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है !
कांसे के बर्तन में
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Nov 13
#अत्रि_ऋषि_की_पत्नी_और_सती_अनुसूया_की_कथा से अधिकांश धर्मालु परिचित हैं। उनकी पति भक्ति की लोक प्रचलित और पौराणिक कथा है। जिसमें त्रिदेव ने उनकी परीक्षा लेने की सोची और बन गए नन्हे शिशु ...

पढ़ें विस्तार से ....

एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे तभ तीनों
#Thread
देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श करते देखा। तीनों देवियां अपने स तीत्व और पवित्रता की चर्चा कर रही थी। नारद जी उनके पास पहुंचे और उन्हें अत्रि महामुनि की पत्नी अनुसूया के असाधारण पातिव्रत्य के बारे में बताया। नारद जी बोले उनके समान पवित्र
और पतिव्रता तीनों लोकों में नहीं है। तीनों देवियों को मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी। तीनों देवियों ने सती अनसूया के पातिव्रत्य को खंडित के लिए अपने पतियों को कहा तीनों ने उन्हें बहुत समझाया पर पर वे राजी नहीं हुई।

इ स विशेष आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने
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