गुमनाम क्रिकेटर्स के अनसुने किस्से

समय काटने का सबसे बेहतरीन उपाय मुझे लगता है, कुछ पढ़ना, शतरंज खेलना या कुम्भकर्ण बन जाना... और अगर ट्रेन का लंबा सफर है तो इन तीनों उपायों को इम्प्लीमेंट करने का मौका मिल जाता है। हरिद्वार जाते समय मैं स्पोर्ट्स के कुछ मैगज़ीन साथ लेकर (1/13)
गया था... उसी में एक लोकल क्रिकेटर शरद हजारे के बारे में पढ़ा।

शरद हजारे एक विकेटकीपर बल्लेबाज थे। उन्होंने मुंबई के लिए दस वर्ष क्रिकेट खेला। 1969 में उनका चयन भारत के अंतिम 14 में हुआ था। मैच चेन्नई में था... उस समय भी भारतीय पिच स्पिनरों के अनुकूल ही बनती थीं... और (2/13)
चेन्नई की पिच तो स्पिन को हेल्प करने के लिए बदनाम थी।

उस टीम इंडिया के कप्तान थे टाइगर पटौदी... मुख्य विकेटकीपर फारुख इंजीनियर थे... मैच की पूर्वसंध्या पर प्रैक्टिस किया जा रहा था... प्रैक्टिस पिच लैंड माइन्स की तरह गड्ढों से भरी हुई थी... पटौदी ने फारुख इंजीनियर से (3/13)
कहा "प्रसन्ना, बेदी और वेंकटराघवन प्रैक्टिस कर रहे हैं... फारुख आप उनके लिए विकेटकीपिंग कर दीजिए"... फारुख इंजीनियर मुख्य विकेटकीपर थे, टीम में उनका स्थान निश्चित था... उन्होंने कीपिंग न करने के लिए कमर दर्द का कारण बता दिया...

शरद हजारे ने कीपिंग ग्लव्स पहने... और (4/13)
उनकी कीपिंग देखकर सभी अचंभित रह गए... असमतल उछाल को जितनी सहजता से शरद जी ने सँभाला, ऐसा लग रहा था कि उन्होंने गेंद को सम्मोहित कर रखा है, ताकि गेंद सीधे उनके दस्तानों में समा जाए... ज्यादा स्पिन, असमतल उछाल और ऊपर से महान भारतीय स्पिनर्स की ग्रेट त्रिमूर्ति की गेंदों (5/13)
पर सहजता से कीपिंग देखकर पटौदी के साथ सभी आश्चर्य में पड़े हुए थे... हजारे की कीपिंग में सहजता इतनी थी जितनी एक माता के लिए अपने बच्चे को हाथों में पकड़ना... यह देखकर अचानक फारुख इंजीनियर का कमर दर्द छू मंतर हो गया... वे कीपिंग के लिए आगे बढ़ने लगे... पटौदी ने फारुख से (6/13)
कहा, "जाओ आराम करो... कल के मैच में तुम ही खेलोगे"... यह कहने के बाद एक व्यंग भरे मुस्कान के साथ उन्होंने फारुख को देखा।

दूसरा किस्सा एक लोकल टूर्नामेंट का है...

दादर यूनियन विरूद्ध हिंदू जिमखाना का मैच हो रहा था... सुनील गावस्कर बल्लेबाजी कर रहे थे... गेंदबाज थे उमेश (7/13)
कुलकर्णी, जो उस समय के तेजगति के ठीक ठाक गेंदबाज माने जाते थे... सुनील गावस्कर को उस समय तेज गेंदबाजों के लिए क्रीज से बाहर खड़े होने की आदत थी... गावस्कर को आगे खड़े देखकर, शरद हजारे स्टम्प के नजदीक खड़े हो गए...

दुनियाभर का कोई भी तेज गेंदबाज अपनी गेंद पर सिक्स हिट (8/13)
होते देख जितना अपमानित महसूस नहीं करता... उससे कहीं ज्यादा अपमानित महसूस अपनी गेंदबाजी पर विकेटकीपर को स्टंप्स के नजदीक कीपिंग करते देख होता है... उमेश कुलकर्णी को शरद हजारे ने समझाया "यही एक मौका है, यह बल्लेबाज एक बार सेट हो गया तो फिर आउट करना बहुत मुश्किल होगा"... (9/13)
इसके बाद गेंदबाज ने इनस्विंग गेंद फेंकी और शरद हजारे ने गावस्कर को स्टंप आउट कर दिया... गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों आश्चर्य से भर उठे।

शरद हजारे जब अंतिम बार कांगा लीग में खेलने उतरे थे... उस समय उनकी उम्र 64 वर्ष थी... और उन्होंने वह टूर्नामेंट विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर (10/13)
पर ही खेला था।... 1969 के दौरे के एक साल बाद भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई... उस दौरे पर फारुख इंजीनियर नहीं जा पाए थे... हजारे को मौका देने के बदले... भारतीय टीम में हैदराबाद के लंबे कद के कृष्णमूर्ति और बंगाल के रूसी जिजिभॉय को विकेटकीपर के रूप में चुना गया...
(11/13)
कृष्णमूर्ति तो उस दौरे पर पाँच मैच खेले, पर जिजिभॉय को कोई मौका नहीं मिला... और इसके बाद इन दोनों कीपर्स को भी कभी भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला। उस समय सेलेक्टर्स कप्तान और विकेटकीपर के साथ म्यूजिकल चेयर ज्यादा खेला करते थे... चॉप एंड चेंज।

क्रिकेट के खेल (12/13)
में टैलेंट के साथ... सबसे अधिक जरूरत होती है भाग्य के साथ कि... अगर ऐसा नहीं होता तो वन ऑफ बेस्ट टैलेंट राजिंदर गोयल सैकड़ों विकेट ले चुके होते टेस्ट क्रिकेट में, विनोद कांबली सचिन से आगे होता।

#रिपोस्ट

#साभार
(13/13)
🙏🙏

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Nov 30
अभी गाली के आविष्कार वाले पोस्ट पर मेरे एक विद्वान मित्र ने कहा कि... गालियाँ महिलाओं को इन्वॉल्व करती है।

लेकिन, मैं उनके ऐसे वक्तव्य से सहमत नहीं हूँ क्योंकि ऐसा नहीं है।

असल में गालियाँ एक विज्ञान है और गालियाँ देना एक कला है।

क्योंकि, मेरे विद्वान मित्र ने जिन (1/9)
गालियों की जिक्र किया वो वास्तव में गालियाँ नहीं बल्कि... "अश्लील गालियाँ" कही जाती है।

अब... कोई चीज "अश्लील" है तो जाहिर सी बात है कि फिर तो कोई "शलील" भी होगी है।

जैसे कि... अगर कुछ "अमान्य" है तो फिर "मान्य" भी होता है। अज्ञानी होता है तो फिर ज्ञानी भी होता है। (2/9)
अपात्र है तो सुपात्र भी होता है।

उसी तरह... कुछ गालियाँ अश्लील है तो जाहिर सी बात है कि... "शलील" भी होती है।

इस प्रकार... गालियाँ दो प्रकार की होती हैं।

1. शलील... और,
2. अ-शलील अर्थात अश्लील।

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Nov 30
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Nov 30
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Nov 30
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Nov 30
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उसमें यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी, भारत की प्रधानमंत्री (1/5)
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Nov 30
जाति नाम केवलम् !!

हर समय जाति... जाति... जाति और एकमात्र जाति की ही रट लगानेवालों, यह बताओ कि माता सीता की कौन-सी जाति थी?

वे तो राजा जनक को एक खेत में मिली थीं। विदेह जनक जी ने महल में लाकर उनका पालन-पोषण किया था। जाति एवं कुल के अज्ञात होने पर भी स्वयं भगवान राम ने (1/9)
ही उनका पाणिग्रहण किया और वसिष्ठ विश्वामित्र जैसे ऋषियों ने आशीर्वाद दिये! तब जाति कहाँ चली गई थी?

इसी तरह भगवान राम वनवास के समय ऋषि- मुनियों के आश्रम में भी गये, अन्न-जल भी ग्रहण किया परन्तु जूठे बेर तो केवल माता सबरी के ही ग्रहण किये!!

इतना ही नहीं, सबरी द्वारा स्वयं (2/9)
को अधम और निम्न जाति का कहने पर श्रीराम बोले कि मैं इन संबंधों को नहीं अपितु केवल भक्ति के संबंध को ही मानता हूँ!

ऐसा ही भाव और दिग्दर्शन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अन्यत्र भी सदैव दिखाते हैं।

महावीर एवं भक्तशिरोमणि हनुमान जी के प्रति अपना प्रेम प्रकट करते हुए वे तो (3/9)
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