गाहक लगे घटने तो परसाद लगा बंटने। हाँ तो भाई लोग चालू हो गया भारतीय संस्कृति के शत्रु बॉलीवुड का अहले तकिया। भारतीय दर्शकों की जागरूकता और एकता (कपूर नहीं) देखकर बॉटलीवुड के पोस्टर फटकर छिहत्तर हो गए हैं। खबर आ रही है कि 15 अगस्त पर अपनी इमेज (1/8)
देशभक्त टाइप की बनाने के लिए सभी मखानों यथा हकले, टिंगू, हिरनमार आदि ने ना सिर्फ झंडारोहण करते हुए फोटोशूट करवाया बल्कि अपनी अपनी डीपी पर भी तिरंगे की तस्वीर लगा ली।
इन गद्दारों के लिए जिनका अब तक एकमात्र एजेंडा भारतीय संस्कृति को निर्लज्जतापूर्वक चोट पहुंचाना ही रहा (2/8)
हो, ऐसों के लिए अपनी डीपी पर तिरंगा झंडे की फोटो लगाना उतना ही दर्दनाक है जितना किसी पति का अपनी पत्नी के आशिक की डीपी लगाना। पर जब बीवी यानि जनता की यही डिमांड हो तो बेचारा पति और कर ही क्या सकता है। खोलीवुड में तब्दील होते मुंबई फिल्म साम्राज्य का हाल 'जिया जले जान जले, (3/8)
नैनों तले धुंआ चले' टाइप का हो रेला है।
अब चाहे जिया जले या $न जले,कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे दाऊदवुड। और हाँ,ये कितना भी ढोंग कर लें मित्रों। याद है ना,पिघलना नहीं है। टस से मस नहीं होना है।
सावधान रहना दोस्तों। अब बहुत तेजी से इमेज मेकओवर का काम प्रारंभ (4/8)
होगा। हिंदू पौराणिक नामों के शीर्षकों से फिल्में आएंगीं। मुंबई वाले अपने भोईजान लोग समाजसेवा करते दिखेंगे। अहले तकिया के लिए तिरंगे के रंग में तो कभी भगवा कपड़ों में फोटोशूट कराएंगे। कोई कोई अलतकिया का साँप मंदिर में भी बड़ा करुण, बहूत ही मासूम शकल बनाकर पूजा करते (5/8)
दिखेंगा। वहीं वामपंथी ब्रिगेड भी अब बहुत सोचसमझकर कालनेमि की भाँति रूप बदलकर फिर से हिंदू दर्शकों को मूर्ख बनाने की कोशिश करेगा। हिंदुओं को तरह तरह के भरमाने, बहलाने वाले बयान भी आएंगे। बहुत से हिंदू अभिनेता, निर्देशक आदि भी हिंदुओं को बहकाने के लिए तरह-तरह के स्टेटमेंट (6/8)
देते दिखाई देंगे।
पर गलती से भी इनके जाल में मत फँस जाइएगा। याद रखिएगा, इन्होंने दशकों से ना सिर्फ हमारे देवताओं को अपमानित किया है बल्कि इन पर खर्च किया गया हमारा ही धन हमारे विरुद्ध आतंकवाद के काम आता है। इन्हें अब वापिस जमने देने का मतलब है खुद अपनी और अपने परिवार (7/8)
की हत्या की सुपारी देना। किसी एकाध लाल चडढा, ब्रहास्त्र या आदिपुरुष मात्र की नहीं, हमें पूरे दाऊदवुड की चडढी की धज्जियां उड़ा देनी हैं।
तेरे आने की जब खबर महके
तेरी खुशबू से सारा घर महके
फैक्ट्स का मुझे नहीं पता पर मीठीनीम यानि करीपत्ते की खुशबू मेरे लिए एक प्रकार की अरोमाथेरेपी का काम करती है। शरीर और दिमाग कितना भी थका हुआ हो, करीपत्ते की खुशबू आते ही मेरे सारे सेंसेज एक्टिवेट हो जाते हैं। पूरी (1/11)
थकान मिट जाती है। मेरे लिए तो इसकी खुशबू मात्र ही एनर्जी रिचार्ज का काम कर जाती है, हालांकि मैं लगभग सभी रेसिपीज में इसका सेवन भी नियमित रूप से करता हूँ। यह तो हुआ मेरा निजी अनुभव, आइए देखते हैं करीपत्ते पर किए गए दुनिया के विभिन्न शोधों के नतीजे क्या कहते हैं।
एशियन (2/11)
जर्नल ऑफ फार्मासिटिकल्स में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अपने खाने में करी पत्ते को शामिल करके आप अपने लिवर को किसी भी किस्म के ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से दूर रख सकते हैं। इतना ही नहीं इसका इस्तेमाल आप लिवर के अंदर बनने वाले विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी कर सकते (3/11)
मुंबई के मशहूर दिल्ली दरबार में बरसों से चटपटे माँसाहारी खाने का लुत्फ उठाने वालों को अब इसका विकल्प तलाशना होगा..!!
कोर्ट ने मुस्लिम होटलो में खाने को हलाल करने के लिए थूकने की बात मानी, लोगों में आक्रोश।
तमिलनाडु में एक अदालती मामले में, मुसलमानों ने तर्क दिया कि हलाल (1/5)
तब तक पूरा नहीं होता जब तक रसोइया उसमें नहीं थूकता..! इसलिए मुसलमानों का बनाया हुआ खाना बिना थूके पूरा नहीं होता। एक कोर्ट केस में उन्होंने माना कि थूकने से हलाल हो जाता है..!! तमिलनाडु समेत पूरे देश में यही हो रहा है..!! केरल और तमिलनाडु में होटल और बिरयानी विक्रेताओं पर (2/5)
इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है।
हिंदुओं ने 'हलाल' होटलों और बिरयानी बेचने वाले होटलों में जाना भी बंद कर दिया है। तमिलनाडु और केरल के कई रेस्तरां, होटल और बेकरी हलाल स्टिकर और बोर्ड हटा रहे हैं..!! इन प्रतिष्ठानों में हिंदू ग्राहकों की भारी भीड़ के बाद ऐसा हो रहा है..!! (3/5)
लोगों को मुस्लिमों द्वारा चलाए जाने वाले रेस्तरां में बचना चाहिए, क्योंकि वे खाने-पीने की वस्तुओं में 'नपुंसकता पैदा करने वाले ड्रॉप' का इस्तेमाल करते हैं। वे पुरुषों को नपुंसक और महिलाओं बाँझ बनाकर अपनी कौम की अप्रत्याशित जनसंख्या वृद्धि के बल पर देश का इस्लामीकरण कर (1/12)
शरीयत लागू करना चाहते हैं!
केरल के पूर्व मुख्य सचेतक व पूर्व विधायक पीसी जॉर्ज ने शुक्रवार (29 अप्रैल, 2022) को अनंतपुरी में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान उक्त बात कही। इस महासम्मेलन में पीसी जॉर्ज को भी वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था।
जॉर्ज ने कहा था कि राज्य में (2/12)
मुस्लिमों के रेस्टोरेंट में मिलने वाली चाय एवं ड्रिंक्स में नपुंसक बनाने वाली दवा मिली होती है। उन्होंने मुस्लिमों का बहिष्कार करने की भी अपील की थी। उनके इस बयान के बाद शनिवार (30 अप्रैल 2022) को उनके विरुद्ध धारा 295A (समाज में विभाजन पैदा करना और सांप्रदायिक नफरत (3/12)
पिछले साल लॉकडाउन के समय कुछ बेहद पुरानी किताबें पढ़ने का समय मिला। उसी में एक पिछले सदी के महान दार्शनिक जे कृष्णमूर्ति की बुक थी।
बताते चलें जे कृष्णमूर्ति पिछले सदी के एक महान अज्ञेयवादी दार्शनिक थे, अज्ञेयवादी बहुत सारे विषय (1/11)
पर निश्चित निष्कर्ष नहीं निकालते क्योंकि उन्हें निश्चित रूप से सिद्ध करना कठिन होता होता है, ईश्वर भी उनके लिए एक ऐसा ही विषय है।
खैर मूल विषय पर आते हैं तो उनके बुक में एक चैप्टर था, (नास्तिक और विक्षिप्त मनोरोगी में अंतर)
कृष्णमूर्ति ने अपनी किताब में बताया कि एक बार (2/11)
दक्षिण भारत के कुछ लोग जो एक राजनीतिक मूवमेंट से जुड़े हुए थे संभवतः वह पेरियारवादियों की ओर ही इशारा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एक बार उसी पॉलीटिकल मूवमेंट से जुड़े एक व्यक्ति उनके पास आया और जे कृष्णमूर्ति से पूछा कि आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो जे कृष्णमूर्ति ने (3/11)
चुनावी बातें तो चलती रहेंगी लेकिन यहाँ रूस ने जापान की सीमा पर जो ब्रह्मोस मिसाइल तैनात की है वो चिंता की बात है।
यूक्रेन को लेकर भारत की चिंता उतनी नहीं थी जितनी जापान को लेकर है। क्योंकि जापान भारत की अर्थव्यवस्था में समाया हुआ है और रूस की वीटो हमारी वीटो है। (1/7)
भारत को यह युद्ध होने से रोकना होगा।
रूस और जापान की सेनाएं पिछले 77 वर्षों से आमने सामने खड़ी हैं, और बस एक आदेश की प्रतीक्षा में हैं।
बात 1904 की है जब रूस में राजतंत्र था। सम्राट निकोलस द्वितीय ने जापान को कमजोर समझकर युद्ध छेड़ दिया। यह युद्ध कुरील द्वीप पर लड़ा (2/7)
गया लेकिन रूसी सम्राट का यह निर्णय जल्दबाजी सिद्ध हुआ। रूस युद्ध हार गया,, और यही शुरुआत भी थी निकोलस के पतन की।
1917 में राजतंत्र को उखाड़ फेंका गया, 1918 में सम्राट निकोलस की परिवार समेत हत्या कर दी गयी और बात 1941 में आ गयी। जब रूस का नाम सोवियत संघ हो चुका था और (3/7)
राजनीति एवं कूटनीति में आचार्य चणक के पुत्र चाणक्य से बड़ा विद्वान दुनिया में आज तक कोई नहीं हुआ है...
और, आचार्य चाणक्य का कथन है कि... जब कोई देश गुलाम होता है तो सिर्फ वहाँ की जनता ही गुलाम नहीं होती है बल्कि वहाँ की सभ्यता संस्कृति तक गुलाम हो जाती है।
इसका मतलब (1/16)
ये हुआ कि... अगर देश की सभ्यता संस्कृति गुलाम है तो वो देश कभी आजाद नहीं हो सकता।
और... यही अंतिम सत्य है...!
क्योंकि... हम, आप और हिंदुस्तान का हर नागरिक यही जानता है कि... हिन्दुस्तान 15 अगस्त 1947 में आजाद हो गया।
और, हम उस आजादी का बाकायदा महोत्सव भी मनाते हैं।
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हालाँकि... ये सत्य है कि 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली थी लेकिन ये सिर्फ अर्धसत्य है...
क्योंकि, 15 अगस्त 1947 को हमें सिर्फ अंग्रेजों से आजादी मिली थी।
जबकि, हमारा भारत अंग्रेजों के साथ साथ मुगलों... का गुलाम रहा था।
जिसमें... उल्लेखित तौर पर अंग्रेजों से ज्यादा (3/16)