तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी राजनैतिक विचारधारा वाले सेक्युलर हिन्दू नहीं देख पा रहे।
इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे।
अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी
के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ।
आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो
एक मुस्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया।
1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना।
लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो यूएन मुखर्जी
1915 में ही देख लिया था।
गांधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए।
जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी
और मुसलमानों के लिए.....
शरीयत की छूट,
धर्मांतरण की छूट,
चार शादी की छूट,
अलग पर्सनल लॉ की छूट,
हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट,
सब कुछ स्टैंड बाय में है।
हिन्दू एक बच्चे पर आ गए हैं,
वहां आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।
जो लोग इसे केवल राजनीति समझते हैं
उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2022 में 1915 से क्या बदला है?
आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं,
हम अपना नुकसान।
हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है।
आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम
अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें, लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।
मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।
अपने बच्चों को देखिए आप उन्हें कैसा
भविष्य देना चाहते हैं।
मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे।
अपने समय का एक समय,
अपनी कमाई का एक हिस्सा,
बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू जनजागरण में लगाइये,
अगर ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा तो खुद करिए।
नहीं तो.... आपके बच्चे अरबी मानसिकता के गुलाम,
चौथी बीवी या फिदायन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे।
और ये आखिरी सदी है,
जब हम लड़ सकते हैं।
इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है।
बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए.....
एक हिन्दू महिला ( नुपुर शर्मा ) के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 25% है
गम्भीरता से सोचिए......
आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं,
पोस्टर चिपका रहे हैं, जहां आप बाहुल्य समाज हैं.
उनका दुस्साहस देखिए आपके इलाके में जाकर आपकी महिला के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नही माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया।
ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार फव्वारा चिल्ला रहे हैं।
यहां मसला केवल एक महिला का नही बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है, जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है।
समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है, वरना देश जंगलराज हो जाएगा।
इसे यही रोकिये, हल्के में मत लीजिए।
मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए
आप घिर चुके हैं
ठीक उसी प्रकार जैसे
शतरंज मे राजा को प्यादे,
जंगल मे शेर को भेड़िए,
और चक्रव्यूह में अभिमन्यु
शरजील इमाम ने "चिकेन नेक" की बात की, आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है! हर बाजार का एक चिकेन नेक होता है, और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा है।
आप अपने शहर के मार्केट निकल जाइए अपना लैपटाप बनवाने मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने आप को अंदाजा नही है कि चुपचाप *"बिजनेस जिहाद"* कितना हावी हो चुका है।
गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग "चेक मेट" हो चुके हैं
अब हर जगह इनका कब्जा हो चुका है!
उतने जमीन पर आप के मंदिर नही हैं जितनी जमीनें उनके पास "कब्रिस्तान" के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं!
हिन्दू धर्म के 90हजार से भी ज्यादा वर्षों के लिखित इतिहास में लगभग 20हजार वर्ष पूर्व नए सिरे से वैदिक धर्म की स्थापना हुई और नए सिरे से सभ्यता का विकास हुआ
प्रारंभ में ब्रह्मा और उनके पुत्रों ने धरती पर विज्ञान, धर्म संस्कृति और सभ्यता का विस्तार किया
विष्णु सत्ता, धर्म और इतिहास के केंद्र में होते थे। देवता और असुरों का काल अनुमानित 20 हजार ईसा पूर्व से लगभग 7 हजार ईसा पूर्व तक चला। फिर धरती के जल में डूब जाने के बाद ययाति और वैवस्वत मनु के काल और कुल की शुरुआत हुई
दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं से हिन्दू धर्म का कनेक्शन था। संपूर्ण धरती पर हिन्दू वैदिक धर्म ने ही लोगों को सभ्य बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक विचारधारा की नए-नए रूप में स्थापना की थी। आज दुनियाभर की धार्मिक संस्कृति और समाज में हिन्दू धर्म की झलक देखी जा सकती है
"सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ??
बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी, इन "प्रश्नों" पर, "विचार" करें!
जिस -"सम्राट" के नाम के साथ, -"संसार" भर के, "इतिहासकार"- “महान” शब्द लगाते हैं
जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र"-" भारतीय", "अपने ध्वज" में लगाते है l
जिस -"सम्राट" का -"राज चिन्ह", "चारमुखी शेर" को, "भारतीय",- "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर,:- " सरकार" चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को "अपनाया" है l
जिस देश में - "सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान",
"सम्राट अशोक" के "नाम" पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l
जिस -"सम्राट" से -"पहले या बाद" में :- "कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...l जिसने : -"अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने, "बड़े भूभाग" पर:-"एक-छत्र राज" किया हो l
चोलों का इतिहास कितना पुराना?
अशोक के शिलालेखों में इनका नाम दर्ज है, यानी अशोक से भी पहले दक्षिण भारत में चोल थे, अपने धुर प्रतिद्वंद्वी चेरों और पांड्यो के साथ। मेगस्थनीज पाण्ड्य राज्य के बारे में बताता है कि हेराक्लीज(कृष्ण) की पुत्री का यहाँ शासन था
अर्थात मातृ सत्ता यहाँ शुरू से थी। संगमयुग के बाद बीच में बौद्ध और जैन धर्मी कलभ्र शासकों का भी मामूली जिक्र मिलता है उसपे फिर कभी।
अमूमन ये जानिए कि
चोल=तमिल क्षेत्र
चेर=केरल
पाण्ड्य= सुदूर दक्षिण तट कन्याकुमारी/मदुरै का क्षेत्र
पहली सदी ई0 पू0 कलिंग राजा खारवेल के
शिलालेख में 113 साल पुराने तमिल संघ का जिक्र है(यही संगम युग है, अर्थात तब भी ये शक्तिशाली बने रहे इसका महत्वपूर्ण सबूत है ये)।
संगम साहित्य में चोलों की महान शक्ति का जिक्र है, जिसमें चोल राजा करिकाल(190 ई0) जो बाद के आने वाले साम्राज्यवादी चोलों से पहले ही समुद्र का अधिपति बन
वक्फबोर्ड ने चांद की जमीन पर दांवा ठोंका है वक्फबोर्ड ने नासा को दिए नोटिस में कहा कि हम 1400 वर्षो से चांद देखकर त्योहार मना रहे है इसलिए वक्फ एक्ट के मुताबिक चांद की जमीन हमारी हुई
नासा तुरंत अपने सेटेलाइट बटोरकर चांद खाली करें😜
वक्फबोर्ड ने एक नोटिस नील आर्म स्ट्रांग को भी भेजा है जिसमें उनसे जवाब मांगा गया है कि आपने वक्फबोर्ड से बिना पूछे चांद पर पहला कदम क्यों रखा. वक़्फ़ एक्ट मुताबिक आपको 2 साल की सजा हो सकती है अतः तुरंत वक्फ को जुर्माना भरें.
नोटिस के बाद नासा में हड़कंप मचा हुआ है खबरें है कि
वक्फ एक्ट का गहन अध्ययन करने के बाद नासा के वैज्ञानिक बेहोश हो गए उनके मुताबिक नासा ने अरबों डॉलर खर्च कर एक भी सेटेलाइट नही बनाया जो किसी जमीन पर कब्जा कर सके लेकिन वक्फ एक्ट तो अंतरिक्ष की किसी भी जमीन पर कब्जा कर सकता है.
जैसे कश्मीर से भगाया, वैसे ही लेस्टर से ‘हिंदू कुत्तों’ का सफाया करो:9 परिवारों का पलायन,कट्टरपंथियों के आतंक के कारण घरों से हिंदू-प्रतीक गायब
इंग्लैंड के लेस्टर शहर में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं और मंदिरों पर हमला करने के बाद से वहाँ डर का माहौल है
इस बात का खुलासा हेनरी जैक्सन रिसर्च फेलो शार्लोट लिटिलवुड (Charlotte Littlewood) ने GB News से बातचीत में किया है। उन्होंने बताया कि लेस्टर में हिंदू परिवार दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं
9 हिंदू परिवारों ने पलायन कर लिया है। वहाँ कट्टरपंथी मुस्लिमों के आतंक से वे अपने घरों
के बाहर हिंदू-प्रतीक तक नहीं लगा सकते।
लिटिलवुड ने एंकर को बताया कि लेस्टर में हिंदू डर के साए में जी रहे हैं। उन्हें उनके घरों के बाहर हिंदू-प्रतीक तक नहीं लगाने दिया जा रहा है। डर की वजह से 9 हिंदू परिवारों ने पलायन कर लिया है। लिटिलवुड ने 5.22 मिनट के वीडियो में कहा,