#Thread क्या अर्थ है 'मंत्र' का ? कितने प्रकार के होते हें ये 'मंत्र' ?
मंत्र का अर्थ होता है "मन को एक तंत्र में बांधना"। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की
Pg 1
पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं।
मंत्र 3 प्रकार के हैं- सात्विक, तांत्रिक और साबर। सभी मंत्रों का अपना-अलग महत्व है। प्रतिदिन जपने वाले मंत्रों को सात्विक मंत्र माना जाता है। आओ जानते हैं ऐसे कौन से मंत्र हैं जिनमें से
Pg 2
किसी एक को प्रतिदिन जपना चाहिए जिससे मन की शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी मिलती है।
गायत्री मंत्र ‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।’ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है I
जब हनुमान जी छोटे थे तो वह बेहद नटखट थे। एक बार उन्होंने खेल - खेल में सूर्य भगवान को अपने मुंह में ले लिया था। जिसकी वजह से चारों और अंधेरा छा गया था। जब इस बात की खबर स्वर्ग देवराज इंद्र को ...
2... पता लगी तो वह बेहद गुस्सा हुए। और गुस्से में आकर उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी की ठोढ़ी पर प्रहार किया जिसके चलते वह टुट गई। ठोढ़ी को वैसे संस्कृत में हनु भी कहा जाता है। इस घटना के बाद से ही राम भक्त बजरंगबली का नाम हनुमान रखा गया था।
कैसे हुए हनुमान सिंदूरी?
एक बार..
3... उन्होंने माता सीता को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा था।
तो हनुमान जी ने इससे संबंधित सवाल सीता जी पहुंच ही लिया। इस पर माता सीता ने कहा कि वह प्रभु राम को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर लगाती है। फिर क्या था इतना सुनने भर से ही हनुमान जी ने सिंदूर का एक बड़ा ...
#Threads 1. जानते हैं पूरी दुनिया में इकलौता मंदिर है, "जहाँ मंगला आरती नहीं होती" और हम में से 'शायद ही कोई होगा जो इस उत्कृष्ट मनमोहक मन्दिर नही गया होगा' !!!
उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। हरि याने भगवान विष्णु। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी ...
Pg 1
... क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है। हरिद्वार में हर की पौड़ी के घाट पर कुंभ का मेला लगता है। कुछ रोचक रहस्य...
1. हर की पौड़ी वह घाट हैं जिसे विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था।
2. इस घाट को 'ब्रह्मकुण्ड' के ...
Pg 2
नाम से भी जाना जाता है जो गंगा के पश्चिमी तट पर है।
3. हर की पौड़ी का अर्थ है हरि की पौड़ी। यहा एक पत्थर में श्रीहरि के पदचिह्न मौजूद है। इसीलिए इसे हरि की पौड़ी कहा जाता है।
4. हर की पौड़ी ही वह स्थान है जहां पर अमृत कलश से अमृत छलक कर गिर पड़ा था।