मुझे बहुत ही विस्मय होता है जब मैं जवाहर लाल नेहरू के नाम पर किसी शिक्षण-संस्थान का नाम देखता हूँ। जवाहर लाल नेहरू का शैक्षणिक रेकॉर्ड शायद देशवासी नहीं जानते। ये महाशय दसवीं में एक बार फैल हुए, बारहवीं में Grace से पास हुए, स्नातक और वकालत दोनों 3rd division में पास हुए, (1/10)
ऐसा आदमी क्या किसी उच्च शिक्षा संस्थान के लिए प्रेरणादाई हो सकता है?

जवाहर लाल का नाम विश्व-इतिहास में सिर्फ वेश्यालय में पैदा होने, ऐय्याशी करने, औरतखोरी करने, राजनितिक दुर्भिसंधियां करने, अंग्रेजों की पिठूगिरि करने, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को धोखा देने, क्रांतिकारियों (2/10)
की उपलब्धियों से मिली आजादी को भुनाने, भारत के क्रूर विभाजन और लाखों निर्दोषों की हत्या, भारतीय इतिहास और संस्कृति के विद्रूपीकरण, एक असफल प्रधानमंत्री, एक असफल पिता और एक असफल पति के तौर पर याद रखने लायक है। इस 'घिसट-घिसट कर पास' हुए कमअक्ल आदमी के नाम पर किसी शिक्षण (3/10)
संस्थान का क्या मतलब? शिक्षण संस्थान का नाम तो उच्च-शिक्षा में प्रतिमान स्थापित करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर होना चाहिए जो आजीवन प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते रहे, उस समय की सर्वोच्च परीक्षा ICS टॉप किया और राष्ट्र की सेवा के लिए विलासी जीवन का परित्याग (4/10)
कर दिया।

JNU अपने संस्थापक के नाम की तरह ही गुल खिला रहा है और देश-दुनिया में भारतवर्ष के शिक्षण संस्थानों की छवि लगातार धूमिल कर रहा है। ये विश्वविद्यालय नहीं व्यभिचार का अड्डा बन गया है जहाँ नाना प्रकार के काम-विकृत लोग एकत्रित हैं और आये दिन अपनी हरकतें प्रदर्शित (5/10)
करते रहते हैं। इस व्यभिचार के अड्डे पर देशद्रोहियों की जमात भी फल-फूल रही है। इसकी अब सम्पूर्ण सफाई का समय आ गया है। या तो इसकी पूर्ण शुद्धि हो और इसे एक वास्तविक विश्वविद्यालय बना दिया जाय, इसका नाम बदल कर नेताजी के नाम पर रखा जाय। अगर ये संभव न हो तो इसे पूर्णतः बन्द (6/10)
कर के यहाँ पर एक हस्पताल खोल दिया जाय जो कम से कम समाज में कुछ योगदान तो कर सके।

अब मैं जानता हूँ कि आदत के अनुसार कुछ घनघोर नमूने खान्ग्रेसी और #aaptards इसपर स्मृति ईरानी जी का मामला बीच में घुसाएंगे और उनकी योग्यता पूछेंगे। वो बेचारे भी क्या करें आखिर? दिमाग से (7/10)
पैदल जो ठहरे। जितनी खबर कुछ भ्र्ष्ट, पैड न्यूज़ चैनेल्स, अखबार, इत्यादि दिखा दे, बस वो ही इन नमूनों को परम सत्य लगता है। इसके आगे सोचने की इनकी दिमागी औकात है ही नहीं।

तो नमूनों, तुम्हारे पूछने से पहले ही मेरा जवाब भी सुन लो, स्मृति ईरानी को उनके काम के लिए देश के (8/10)
सफलतम मानव संसाधन विकास मंत्रियों में गिना जाएगा। उनको उनकी योग्यता की वजह से नहीं, उनके अभूतपूर्व कार्यों के लिए जाना जायेगा। सिर्फ डेढ़ साल में ही शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने क्या क्या काम किया है, कौन कौन से मूलभूत परिवर्तन किये हैं, शिक्षा को कैसे डिजिटल इंडिया (9/10)
से जोड़ा है, NHRC में बैठे हुए वामपंथियों का किस तरह से सफाया किया है, यह सब जानकारी Ministry of Human Resources Development की वेबसाइट पर भी मिल जायेगा। तो, उनपर फ़िज़ूल सवाल उठाने से पहले ज़रा वो सब पढ़कर आना।

@INCIndia @RahulGandhi

#साभार
(10/10)
🙏🙏

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with सनातनी हिन्दू 100% Follow Back

सनातनी हिन्दू 100% Follow Back Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @Modified_Hindu9

Jan 1
महाभारत गुरुओं से भरी पड़ी है। यहाँ सब कुछ न कुछ सीखने ही आ जा रहे होते हैं। शुरुआत में कौशिक नाम के ब्राह्मण एक धर्म व्याध से व्याध गीता सीखने जा रहे होते हैं तो अंत के हिस्से में भीष्म शरसैय्या पर लेटे हुए भी करीब दर्ज़न भर गीताएँ सुना देते हैं। ज्यादातर ऐसे प्रसंगों में (1/27) Image
स्त्रियाँ प्रश्न पूछ रही होती हैं, या जवाब दे रही होती हैं। दार्शनिक मुद्दों पर स्त्रियों का बात करना कई विदेशी अनुवादकों और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की दृष्टि से सही नहीं रहा होगा। शायद इस वजह से ऐसे प्रसंगों को दबा कर सिर्फ युद्ध पर्व के छोटे से हिस्से पर जोर दिया जाता (2/27)
रहा है।

सीधे स्रोत के बदले, कई जगह से परावर्तित होकर आई महाभारत की जानकारी की वजह से आज अगर महाभारत काल के गुरुओं के बारे में सोचा जाए तो सिर्फ दो नाम याद आते हैं। महाभारत में, आपस में साले बहनोई रहे कृपाचार्य और द्रोणाचार्य ही सिर्फ गुरु कहने पर याद आते हैं। कृपाचार्य (3/27)
Read 29 tweets
Jan 1
1968 में हुआ हिंदुओं के साथ सबसे बड़ा धोखा...

मथुरा की कथित शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष डॉ जेड हसन का एक बयान कल अखबार में छपा था। जेड हसन ने कहा है कि वो कृष्ण जन्मभूमि मामले को अदालत के बाहर निपटाना चाहते है।

अल तकैय्या (काफिरों को धोखा देने के लिए मुसलमानों (1/11) Image
द्वारा बोला जाने वाला पवित्र झूठ) करते हुए हसन ने कहा कि मथुरा प्रेम की नगरी है और यहां पर कोई विवाद नहीं होने देंगे और अदालत के बाहर विवाद को सुलझाने के लिए श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान से बात करेंगे।

ये जानकारी तो आपको होगी ही की मथुरा की सिविल अदालत ने कृष्ण जन्म (2/11)
स्थल के 13.7 एकड़ का आमीन सर्वे कराने का निर्णय किया है उसी के संदर्भ में हसन का यह बयान आया है।

-यहां आपको ये बात समझनी होगी कि आखिर ये श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान क्या है? दरअसल श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान, शाही ईदगाह कमेटी के द्वारा बनवाया गया एक फर्जी संस्थान (3/11)
Read 13 tweets
Jan 1
दुश्मन का स्वार्थ ले डूबा

एक पर्वत के समीप बिल में मंदविष नामक एक बूढा सांप रहता था। अपनी जवानी में वह बड़ा रौबीला सांप था। जब वह लहराकर चलता तो बिजली सी कौंध जाती थी पर बुढापा तो बडे-बडों का तेज़ हर लेता हैं।

बुढापे की मार से मंदविष का शरीर कमज़ोर पड गया था। उसके विषदंत (1/15) Image
हिलने लगें थे और फुफकारते हुए दम फूल जाता था। जो चूहे उसके साए से भी दूर भागते थे, वे अब उसके शरीर को फांदकर उसे चिढाते हुए निकल जाते। पेट भरने के लिए चूहों के भी लाले पड़ गए थे। मंदविष इसी उधेडबुन में लगा रहता कि किस प्रकार आराम से भोजन का स्थाई प्रबंध किया जाए। एक दिन (2/15)
उसे एक उपाय सूझा और उसे आजमाने के लिए वह दादुर सरोवर के किनारे जा पहुंचा।

दादुर सरोवर में मेढकों की भरमार थी। वहां उन्हीं का राज था। मंदविष वहां इधर-उधर घूमने लगा। तभी उसे एक पत्थर पर मेढकों का राजा बैठा नज़र आया। मंदविष ने उसे नमस्कार किया “महाराज की जय हो।”

मेंढक राज (3/15)
Read 17 tweets
Jan 1
11वीं-13वीं शताब्दी में महिषासुर का वध करती दुर्गा माँ की एक ज्वालामुखीय पत्थर का स्तंभ

इंडोनेशिया, पूर्वी जावा।

एक भैंस पर खड़ी होकर, आठ-सशस्त्र देवी राक्षस को उसके बालों से पकड़ती हैं और तलवार, शंख और धर्मचक्र जैसी विभिन्न विशेषताओं को धारण करती हैं। उसके धड़ को एक (1/7) ImageImageImageImage
भारी हार के साथ समोच्च और सुशोभित किया गया है, एक सौम्य अभिव्यक्ति वाला चेहरा और एक मुकुट और विस्तृत बालों की सज्जा के साथ द्वारा मुकुट पहनाया गया है।

वह कई मनको की कमरबंद, दो रोसेट क्लैप्स और लटकन वाले बंदनवार के साथ एक बाटिक सारंग में लिपटी हुई है, उनके बाल एक ऊंचे (2/7) ImageImageImageImage
शिगॉन में बंधे हुए हैं, जो किनारों पर बहते हैं, एक प्रभामंडल द्वारा समर्थित है और उसके चारों ओर एक तोरण बनाने वाली स्टेल है।

उद्गम: वर्तमान मालिक के दादाजी के व्यक्तिगत संग्रह से, अधिग्रहीत सी। 1960 में इटली में, और वहां से एक ही परिवार में वंश द्वारा।

भैंस रुपी दानव (3/7) Image
Read 9 tweets
Jan 1
मतांतरण पर भाषा कैसे बदल गई मीलार्ड की। क्या मतांतरण के आरोप गलत हैं। कितनी बेंच बनेंगी इस विषय पर?

वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय की धार्मिक मतांतरण पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने 14 नवंबर को कहा था कि “जबरन मतांतरण देश की सुरक्षा (1/11)
के लिए खतरा है, नहीं रोका तो हो जाएगी मुश्किल। नागरिकों को मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को भी इससे खतरा हो सकता है।”

बेंच ने कहा कि धोखे, प्रलोभन, धमकी के जरिये मतांतरण नहीं रोका गया तो बेहद कठिन स्थिति पैदा हो जाएगी।

इसके बाद 12 दिसंबर की सुनवाई में उपाध्याय (2/11)
की याचिका का विरोध करने वाले वकील दुष्यंत दवे ने ऐसा व्याख्यान दिया जैसे कोई मतांतरण हो ही नहीं रहा हो और उपाध्याय के दूसरे धर्मों के खिलाफ लगाए गए मतांतरण के आरोपों को हटाने की मांग की। इस पर मीलार्ड की भाषा बदल गई और उपाध्याय को कहा कि “अन्य धर्मों पर लगाए आरोपों (3/11)
Read 13 tweets
Jan 1
संगमेश्वर महादेव राजस्थान से ७० कि.मी. दूर माही अनास नदी के संगम स्थल पर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। ये मंदिर लगभग २०० वर्ष पुराना है। वर्ष में ३ से ४ महीने ये मंदिर गायब रहता है। दरअसल वर्षों के कुछ महीने इस मंदिर के दर्शन न होने की वजह इसका पानी में डूब जाना है।
(1/10) ImageImage
हर वर्ष ये स्थल ४ फीट तक पानी में डूब जाता है, लेकिन भक्त इस मंदिर के दर्शन करने नाव पर पहुंच जाते हैं। हैरान करने वाली तो ये है कि इतना समय पानी में रहने के बावजूद भी ये मंदिर में कोई नुक्सान नहीं होता। कोई इसे चमत्‍कार कहता है तो कोई ईश्‍वरीय शक्ति।

तो आईए जानें, इस (2/10)
मंदिर की और भी खास बातें:

संगमेश्वर महादेव नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर राजस्थान में बांसवाड़ा से ७० कि मी दूर भैंसाऊ गांव में माही और अनास नदी के संगमस्थल पर स्थित है।

हर वर्ष यह मंदिर जुलाई-अगस्त में डूब जाता है लेकिन इस साल मानसून में देरी की वजह से यह स्थिति सितंबर में (3/10)
Read 12 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(