एक बात है गौर करने लायक, शायद आप जानते हो... या फिर नहीं भी... #टाईटेनिक जब समुन्द्र मे डूब रहा था तो उसके आस पास तीन ऐसे जहाज़ मौजूद थे जो टाईटेनिक के मुसाफिरो को बचा सकते थे।
सबसे करीब जो जहाज़ मौजूद था उसका नाम #SAMSON था और वो हादसे के वक्त (1/11)
टाईटेनिक से सिर्फ सात मील की दुरी पर था।
सैमसन के कैप्टन ने न सिर्फ टाईटेनिक कि ओर से फायर किए गए सफेद शोले (जोकि इन्तेहाई खतरे की हालत मे हवा मे फायर किया जाता है) देखे थे, बल्कि टाईटेनिक के मुसाफिरो के चिल्लाने के आवाज़ को भी सुना भी था। लेकिन सैमसन के लोग गैर कानूनी (2/11)
तौर पर बहुत कीमती समुन्द्री जीव का शिकार कर रहे थे और नही चाहते थे कि पकड़े जाए लिहाजा वो टाईटेनिक की हालात को देखते हुए भी मदद न करके अपनी जहाज़ को दुसरे तरफ़ मोड़ कर चले गए...
ये जहाज़ हम मे से उन लोगो कि तरह है जो अपनी गुनाहो भरी जिन्दगी मे इतने मग़न हो जाते है कि (3/11)
उनके अंदर से इन्सानियत का एहसास खत्म हो जाता है और फिर वो सारी जिन्दगी अपने गुनाहो को छिपाते गुजार देते है I
दूसरा जहाज़ जो करीब मौजूद था उसका नाम #CALIFORNIAN था जो हादसे के वक्त टाईटेनिक से चौदह मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने भी टाईटेनिक की तरफ़ से मदद की पुकार को (4/11)
सुना... और बाहर निकल कर सफेद शोले अपनी आखो से देखा लेकिन क्योकि टाईटेनिक उस वक्त बर्फ़ की चट्टानो से घिरा हुआ था।
और उसे उस चट्टानो के चक्कर काट कर जाना पड़ता इसलिए वो कैप्टन मदद को ना जा कर अपने बिस्तर मे चला गया और सुबह होने का इन्तेजार करने लगा। जब सुबह वो टाईटेनिक (5/11)
के लोकेशन पर पहुचा तो टाईटेनिक को समुन्द्र कि तह मे पहुचे हुए चार घंटे गुज़र चुके थे और टाईटेनिक के कैप्टन #Adword_Smith समेत 1569 मुसाफिर डूब चुके थे।
ये जहाज़ हमलोगो मे से उनकी तरह है जो किसी की मदद करने अपनी सहूलत और असानी देखते है और अगर हालात सही ना हो तो किसी की (6/11)
मदद करना अपना फ़र्ज़ भूल जाते है।
तीसरा जहाज़ #CARPHATHIYA था जो टाईटेनिक से 68 मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने रेडियो पर टाईटेनिक के मुसाफारो की चीख पुकार सुनी... जबकि उसका जहाज़ दूसरी तरफ़ जा रहा था उसने फौरन अपने जहाज़ का रुख मोडा और बर्फ़ की चट्टानो और खतरनाक़ (7/11)
मौसम की परवाह किए बगैर, मदद के लिए रवाना हो गया। मगर वो दूर होने की वजह से टाईटेनिक के डूबने के दो घंटे बाद लोकेशन पर पहुच सका लेकिन यही वो जहाज़ था। जिसने लाईफ बोट्स की मदद से टाईटेनिक के बाकी 710 मुसाफिरो को जिन्दा बचाया था और उसे हिफाज़त के साथ न्यूयार्क पहुचा दिया (8/11)
था। उस जहाज़ के कैप्टन #आर्थो_रोसट्रन को ब्रिटेन के तारीख के चंद बहादुर कैप्टनो मे शुमार किया जाता है और उनको कई समाजिक और सरकारी आवार्ड से भी नवाजा गया था।
याद रखें... हमारी जिन्दगी मे हमेशा मुश्किलात रहती है, चैलेंज रहते है लेकिन जो इस मुश्किलात और चैलेंज का सामना (9/11)
करते हुए भी इन्सानियत की भलाई के लिए कुछ कर जाए उन्हे ही इन्सान और इंसानियत सदैव याद करती है।
जो कार्य केंद्र एवं राज्य सरकार को करनी चाहिए वो कार्य वह कर रहे हैं, तो जाहिर सी बात है मौजूदा माहौल में हमारे चारो तरफ बड़े पैमाने पर लोगों को मदद की ज़रूरत हैI अपनी सामर्थ्य (10/11)
व सुविधानुसार मदद जरूर करें,हम नहीं कर सकते है तो जो कर रहे है उन्हें अपनी सामर्थ्य अनुसार मदद् करे, कोरोना रूपी महामारी /टाइटैनिक डूबने से पहले जितनी जिंदगियां हम बचा लेगे वहीं हमारा पुण्य होगा।
पश्चिम के लोकतांत्रिक देश भारत की जगह एक तानाशाह देश को सैन्य सामग्री की आपूर्ति करते रहे : विदेशमंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर
रूस, यूक्रेन युद्ध पर भारत का साथ नहीं मिलने की टीस पश्चिमी देशों में बार बार उभरकर सामने आ रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ऑस्ट्रिया की (1/12)
यात्रा पर थे।
राजधानी वियना में वहां के सरकारी टेलिविजन पर बातचीत के दौरान पत्रकार ने रूस-भारत संबंधों को लेकर उनसे कई सवाल पूछे और भारत को घेरने की कोशिश की। जबकि विदेश मंत्री ने भारत, रूस संबंधों पर साफगोई से जवाब देते हुए पश्चिमी देशों के स्टैंड पर सवाल खड़े किए और एक (2/12)
बार फिर उन्हें आईना दिखा दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं और इसे समझने के लिए हमें इतिहास में जाना चाहिए।
ऑस्ट्रिया के एंकर ने कहा कि रूस सबसे ज्यादा भारत को हथियार एवं सैन्य सामग्री की आपूर्ति करता है, क्या वह मास्को की आलोचना करेंगे? इस (3/12)
क्या सुप्रीम कोर्ट सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को “कानूनी तौर पर वैध” बनाना चाहता है? 2017 से रोहिंग्या मुस्लिमों की याचिका पर सुनवाई क्यों नहीं करता सुप्रीम कोर्ट। नैनीताल हाई कोर्ट को पार्टी बनाए सुप्रीम कोर्ट।
जिस तरह सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ए एस (1/12)
ओका की पीठ ने हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने के नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा है कि हाई कोर्ट का आदेश पर जिस तरह लोगों को प्रशासन हटाने की कोशिश कर रहा है, वह गलत है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए। मानवता के आधार पर यह जरूरी (2/12)
है क्योंकि दावा किया गया है कि वे लोग वहां 60-70 वर्ष से रह रहे हैं।
हाई कोर्ट ने भी गलत आदेश दिया है तो उसके Chief Justice को भी पार्टी बनाए सुप्रीम कोर्ट, अब ये प्रथा शुरू होनी चाहिए।
एक सूचना के अनुसार रेलवे की 2500 वर्ग किलोमीटर भूमि पर इसी तरह लोगों ने कब्ज़ा (3/12)
पनीर के फूल के बारे में आपको पता है या नहीं? चलिये, आज इसी की बात बताता हूँ।
8 से 10 साल पहले तक एक पौधे को पहचानता तो था लेकिन उसके गुणों को लेकर मेरे पास कोई पुख्ता पारंपरिक जानकारी नहीं थी।
भोपाल के पास रायसेन के (1/11)
एक गाँव में एक हर्बल जानकार से मुलाक़ात हुई तो डायबिटीज के मैनेजमेंट को लेकर वे बार बार 'पनीर के फूलों' का जिक्र कर रहे थे। मेरे अनुरोध किए जाने के बाद उन्होंने मुझे पनीर के फूलों के दर्शन करवाए। मैनें इन्हें देखते ही पहचान लिया। अश्वगंधा के परिवार के एक अन्य सदस्य के (2/11)
रूप में इसे 'विदानिया कोग्युलेंस' का नाम दिया गया है। अंग्रेजी भाषा में इसे 'इंडियन रेनेट' कहते हैं।
पनीर के फूल को 'पनीर डोडा' के नाम भी जाना जाता है और चरक संहिता में इसे 'ऋष्यगंधा' का नाम दिया गया है। यद्यपि इन्हें पनीर के फूल कहा जाता है लेकिन ये ना तो पनीर से (3/11)
गुजरात हाई कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के बेट द्वारका के 2 द्वीपों पर कब्जा करने के सपने को चकनाचूर कर दिया है।
गुजरात का यह विषय इस समय काफी चर्चा में है। हमें सोशल मीडिया के जरिए पता चला वरना हमें पता नहीं चलता।
यह समझने के लिए कि (1/15)
पलायन और कब्जा कैसे होता है, क्या भूमि जिहाद है, अगर आप केवल बेट द्वारका द्वीप का अध्ययन करें, तो सारी प्रक्रिया समझ में आ जाएगी।
कुछ साल पहले तक यहां की लगभग पूरी आबादी हिंदू थी।
यह ओखा नगर पालिका के अंतर्गत आने वाला इलाका है, जहां जाने का एक मात्र रास्ता पानी ही है। (2/15)
इसलिए लोग बेट द्वारका से बाहर जाने के लिए नाव का प्रयोग करते हैं।
द्वारकाधीश का प्राचीन मंदिर यहां स्थित है। कहा जाता है कि पांच हजार साल पहले रुक्मिणी ने यहां एक मूर्ति की स्थापना की थी। समुद्र से घिरा यह द्वीप बेहद शांत था। लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना था। धीरे- (3/15)
आखिर JNU में ऐसा क्या है जो वहां देशद्रोही ही ज्यादा पैदा हुए?
जानिए एक उदाहरण से कि ये जेएनयू यूनिवर्सिटी किस तरह विदेशी शिकंजे में है? आपको मैं एक उदाहरण दे रहा हूं, ऐसे कई गुप्त रहस्य जेएनयू से जुडे हैं।
एक था कम्युनिस्ट, नाम था कामरेड सज्जाद जहीर। लखनऊ में पैदा हुए। (1/17)
ये मियां साहब, पहले तो Progressive Writers Association, यानि अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के रहनुमा बनकर उभरे, आज भी इनके परिवार के लोग फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से देश, भाजपा, संघ, हिन्दू विरोधी मुहिम चलाए हुए हैं। आप चाहें तो इनके लोगों द्वारा बनाया फेसबुक (2/17)
पेज खोल कर, इनकी जहरीली मानसिकता से परिचित हो सकते हैं।
इन्होंने अपनी किताब "अंगारे" से अपने लेखक होने का दावा पेश किया। बाद मे ये सज्जाद जहीर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वेसर्वा बने, मगर बाबू साहब की रूह में तो इस्लाम बसता था, इसीलिए 1947 मे नये इस्लामी देश बने, (3/17)