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घर में #शंख रखने और बजाने के ये हैं ग्यारह आश्चर्यजनक लाभ....!!!
पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है। देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियमित रूप से बजाते हैं।
ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही
उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है!!
सनातन धर्म की कई ऐसी बातें हैं, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि कई दूसरे तरह से भी लाभदायक हैं।
शंख रखने, बजाने व इसके जल का उचित इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं। कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं।
आगे चर्चा की गई है कि पूजा में शंख बजाने और इसके इस्तेमाल से क्या-क्या फायदे होते हैं।
●१. ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है।
धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है.
शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है।
●२. शंख को इसलिए भी शुभ माना गया है, क्योंकि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु, दोनों ही अपने हाथों में इसे धारण करते हैं।
●३. पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है। जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों
के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं। अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है।
●४. शंख के जल से विष्णु लक्ष्मी आदि का अभिषेक करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
●५. ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे
छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।
●६. शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है। ऐसी मान्यता है कि शंख की पूजा से कामनाएं पूरी होती हैं. इससे दुष्ट आत्माएं पास नहीं फटकती हैं।
●७. वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-
कीटाणुओं का नाश हो जाता है. कई टेस्ट से इस तरह के नतीजे मिले हैं।
●८. आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां, पथरी, पीलिया आदि कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही किया जाना चाहिए।
●९. शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है। पुराणों के जिक्र मिलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमित तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है।
●१०. शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। यह दांतों के लिए भी लाभदायक है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस व
गंधक के गुण होने की वजह से यह फायदेमंद है।
●११. वास्तुशास्त्र के मुताबिक भी शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। शंख की आवाज से 'सोई हुई भूमि' जाग्रत होकर शुभ फल देती है.॥
#तिलक_लगाने_के_बाद_चावल_के_दाने_क्यों_लगाए_जाते_है
ये तो आपने अक्सर देखा होगा, कि जब आपके घर में कोई त्यौहार, शादी या पूजा का समय होता है
तो इसकी शुभ शुरुआत व्यक्ति को तिलक लगा कर की जाती है जी हां ये तो सब को मालूम है कि पूजा के दौरान व्यक्ति को तिलक लगाया जाता है @Itishree001
क्यूकि तिलक लगाना शुभ माना जाता है. मगर क्या आपने कभी ये सोचा है कि तिलक लगाने के बाद व्यक्ति के माथे पर चावल क्यों लगाए जाते है.
यकीनन आपको कभी ये सोचना की जरूरत ही नहीं पड़ी होगी. हालांकि आज हम आपको ये बताएंगे कि तिलक लगाने के बाद उसके ऊपर चावल क्यों लगाए जाते है.
गौरतलब है कि पूजा के दौरान माथे पर कुमकुम का तिलक लगाते समय चावल के दाने भी ललाट पर जरूर लगाए जाते है।
ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे की वजह भी आज हम आपको विस्तार से बताते है. अगर वैज्ञानिक दृष्टि की बात करे तो माथे पर तिलक लगाने से दिमाग में शांति और शीतलता बनी रहती है
शबरी बोली, यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो हे प्रभु श्री राम! आप यहाँ कहाँ आते ? श्री राम गंभीर हुए और कहा कि "भ्रम में न पड़ो माते!
श्री राम क्या केवल रावण का वध करने यहां आये है...?
अरे रावण का वध तो मेरा अनुज लक्ष्मण भी कर सकता था।
श्री राम हजारों कोस चल कर #Thread
इस गहन वन में आये है तो केवल तुमसे मिलने आये है माते,
ताकि हजारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे।
तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय श्री राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था।
जब कोई कपटी भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये
तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं।
यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक दरिद्र वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है।
श्री राम वन में बस इसलिए आए हैl ताकि जब युगों का इतिहास लिखा जाय तो उसमें अंकित हो कि सत्ता जब
लड़के ने नम्बर मांगा आप ने दे दिया,लड़के ने तस्वीर मांगी आप ने दे दी...लड़के ने वीडियो कॉल के लिए कहा आप ने कर ली, अब लड़के ने दुपट्टा हटाने को कहा आप ने हटा दिया। लड़के ने कुछ देखने की ख्वाहिश की आप ने पूरी कर दी #Threads
लड़के ने मिलने को कहा आप माँ बाप को धोखा देकर आशिक़ से मिलने पहुंच गयीं। लड़के ने पार्क में बैठ कर आप की तारीफ करते हुए आपको सब्ज़बाग दिखाए आपने देख लिये...फिर जूस कार्नर पर जूस पीते वक़्त लड़के ने हाथ लगाया, इशारे किये, मगर कोई बात नहीं अब नया ज़माना है यह सब तो चलता ही है...
अब फिर लड़के ने होटल में कमरा लेने की बात की, आप ने शर्माते हुए इंकार कर दिया, कि शादी से पहले यह सब अच्छा तो नहीं लगता न...फिर दो तीन बार कहने पर आप तैयार हो गयीं होटल के कमरे में जाने के लिए...आप दोनों ने मिल कर खूब एंजॉय किया...
ने पूछा- मधुसूदन! ब्राह्मण की पूजा करने से क्या फल मिलता है ? इसका आप ही वर्णन कीजिये, क्योंकि आप इस विषय को अच्छी तरह जानते हैं और मेरे पितामह भी आपको इस विषय का ज्ञाता मानते हैं।
नरेश! मैं ब्राह्मणों के गुणों का यथार्थ रूप से वर्णन करता हूँ, आप ध्यान देकर सुनिये। कुरुनन्दन!
पहले की बात है, एक दिन ब्राह्मणों ने मेरे पुत्र प्रद्युम्न को कुपित कर दिया। उस समय मैं द्वारका में ही था।
प्रद्युम्न ने मुझसे आकर पूछा - ‘मधुसूदन! ब्राह्मणों की पूजा करने से क्या
रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया और राम ने कैसे धनुष तोड़ दिया ?
ऐसा था धनुष : भगवान शिव का धनुष बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारिक था।
शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो
यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था। इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था।
देवी और देवताओं के काल की समाप्ति के बाद इस धनुष को देवराज इन्द्र को सौंप दिया गया था।
देवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवराज को दे दिया। राजा जनक
के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवराज थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था।
उनके इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था, लेकिन भगवान राम ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और इसे एक झटके में तोड़ दिया।
*क्रिश्चियन* लड़की ने कहा कि.. यीशु हमारे लिए सूली पर लटके और मर गए।
मैंने कहा, पगली भगवान शिव ने हमारे लिए जहर पिया और जिंदा है।
(स्वयं पढ़ें और बच्चों को भी अनिवार्यतः पढ़ाएं*_.. 🙏
एक ओर जहां *ईसामसीह* को सिर्फ चार कीलें ठोकी गई थीं, वहीं *भीष्म पितामह* को धनुर्धर
अर्जुन ने सैकड़ों बाणों से छलनी कर दिया था।
तीसरे दिन कीलें निकाले जाने पर ईसा होश में आ गए थे, वहीं पितामह भीष्म ५८ दिनों तक लगातार बाणों की शैय्या पर पूरे होश में रहे और जीवन, अध्यात्म के अमूल्य प्रवचन, ज्ञान भी दिया तथा अपनी इच्छा से अपने शरीर का त्याग किया था।
सोचें कि
पितामह भीष्म की तरह अनगिनत त्यागी महापुरुष हमारे भारत वर्ष में हुए हैं, तथापि सैकड़ों बाणों से छलनी हुए पितामह *भीष्म को जब हमने भगवान नहीं माना, तो चार कीलों से ठोंके गए ईसा को गॉड क्यों मानें*??
ईसा का भारत से क्या संबंध है?
२५ दिसंबर हम क्यों मनाएं?
क्यों बनाएं हम अपने