जिसने संसार को घर मान लिया वह गृहस्थी है, संसारी है और जो व्यक्ति संसार को सिर्फ एक पड़ाव मानता है वह संन्यासी है। संसार मुकाम है, बीच का पड़ाव; अंतिम मंजिल नहीं है। ऐसा जिसे दिखाई पड़ना शुरू हो गया वह संन्यासी है।
तब वह संसार से गुजरता है, लेकिन वैसे ही जैसे तुम किसी रास्ते से गुजरते हो। गृहस्थ का अर्थ है संसार को जिसने घर समझा। संन्यास से अर्थ है कि, संसार को जिसने घर नहीं समझा, सिर्फ मार्ग समझा, राह समझी बीच की, जिसे गुजार देनी है, जिससे गुजर जाना है।
जैसे ही यह ख्याल में आ गया कि संसार एक रास्ता है, पहुंचना है कहीं और, वैसे ही आसक्ति आपको नही पकड़ेगी। तुम रास्ते पर होते हो, फिर भी रास्ते से सदा मुक्त होते हो। रास्ते का तुम उपयोग करते हो, लेकिन रास्ता तुम्हारा उपयोग नहीं कर पाता। तुम उस पर पैर रखते हो इसीलिए कि, पैर उठा लोगे।
तुम्हारे सारे व्यवहार में अंतर पड़ जाएगा। नजर तो तुम्हारी उस परम उपलब्धि पर है, जहां पहुंच जाना है, जो हो जाना है। तो संन्यासी भी जीता है यहीं इन्हीं रास्तों पर, इन्हीं मकानों में, इन्हीं लोगों के बीच, इन्हीं बाजारों में यही सारी दुनिया है।
लेकिन उसकी दृष्टि भिन्न है, वो किसी चीज को पकड़ के नही रखता।
गृहस्थ का भाव मृत्यु को टाल देने का है सदा, भुला देने का है सदा। क्योंकि मृत्यु का स्मरण उसकी सारी व्यवस्था को नष्ट करता है। मान कर जीता है कि मृत्यु नहीं है संन्यासी मृत्यु को अभिमुख रख कर जीता है, सामने रख कर
जीता है। जानता है कि, मृत्यु है। बहुत बड़ा फर्क पड़ जाता है। मृत्यु को भूल कर जीओगे, तो जीवन की जो क्षुद्रतम घटनाएं हैं वे बड़ी महत्वपूर्ण हो जाएंगी। मृत्यु को सामने रख कर जीओगे, तो जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं भी क्षुद्रतम हो जाएंगी।
तो संन्यासी और संसारी में थोड़ा सा भेद है। जो जीवन जाग कर जी रहा है वो संन्यासी है और जिसके जीवन में जागरण नही है वो संसारी है।
ग़ालिब चिचा को कौन समझाए की "मगर" और "सितमगर" अगर शर्माने लगे, तो भला जिंदा कैसे बचेंगे।
दुनिया के कोने कोने में फैली 24 से उपर प्रजातियां, नन्हे मुन्ने अंडे से विशाल वाटर किंग का यह सफर, लाज और शर्म के बूते तय नही होता चिचा।
मितरों, आपको बता दूं कि मगरमच्छ, या क्रोकी जी बेसिकली "घिसटपेट" अर्थात "रेप्टाइल" याने छिपकली और गिरगिट कुल के चश्मोचिराग हैं।
मछलियां ही खाकर जीते है, लेकिन मछली सुरक्षा के वादे पर चुनाव जीतकर, मगर-"मच्छ" नाम से तालाब का राजा बन बैठे है।
यह तो वही बात हुई कि कोई ईरानी चितपावनी, पहले हिन्दुस्तानी होने का दावा करे, फिर मिलिटेंट संगठन खड़ा कर हिन्दू राष्ट्र बनाने लग जाये। फिर हिंदुओं को गद्दार बताकर उन्हीं का बाजा बजा दे। पहले भी ऐसा हुआ है। जब ऑस्ट्रियन पैदाइश हिटलर, जर्मनी का बादशाह बनकर
स्पष्टीकरण --'ये किस्सा किसी बादशाह और उसके किसी रफ्फूगर का है, इसका वर्तमान बादशाह और उसके रफ्फूगरों की सेना से कुछ लेना-देना नहीं है!'
""""""""कहते हैं एक बादशाह ने रफ्फूगर रखा हुआ था,
जिसका
काम कपड़ा रफ्फू करना नहीं, बातें रफ्फू करना था.!!
दरसल वो बादशाह की हर बात की कुछ ऐसी वज़ाहत करता कि सुनने वाले सिर धुनने लगते के वाकई बादशाह सलामत ने सही फरमाया,
एक दिन बादशाह दरबार लगाकर अपनी जवानी के शिकार की कहानी सुनाकर रियाया को बोर कर रहे थे,
जोश में आकर कहने लगे के एकबार तो ऐसा हुआ मैंने आधे किलोमीटर से निशाना लगाकर जो एक हिरन को तीर मारा तो तीर सनसनाता हुआ गया और हिरन की बाईं आंख में लगकर दाएं कान से होता हुआ पिछले पैर की दाईं टांग के खुर में जा लगा,
मिस चित्रा त्रिपाठी "OYO" जैसी "निर्लज्ज स्वीट" कोई नही है..और मिस साध्वी उमा भारती से चित्रा कभी भी नही जीत सकती..
~ "आजतक" पर मिस चित्रा "OYO" की डिबेट में मिस साध्वी उमा भारती श्रीमती सोनिया गांधी से जोशीमठ को बचाने की गुहार लगा रही थी..
मिस साध्वी उमा भारती की इस निर्लज्जता पर मर मिटने को दिल करता है..
मिस साध्वी उमा भारती कहती है कि उत्तराखंड के CM तो जोशीमठ के लिए काम कर रहे है और उन्हें CM पर पूरा भरोसा है..तो मिस साध्वी उमा, सोनियाजी की जगह आपको "विनाश पुरुष" मोदी से जोशीमठ को बचाने की दरख़ास्त करनी थी..
हिम्मत है मोदी का नाम लेने की?
√ मिस चित्रा "OYO" के गिरने की हद सुनिए..चित्रा का कहना है कि 1976 में जोशीमठ पर एक रिपोर्ट आई थी..अगर उस रिपोर्ट पर अमल किया जाता तो जोशीमठ बच जाता.. या'अनि जोशीमठ की तबाही के लिए शहीद इंदिरा गांधी ज़िम्मेदार है..
23/11/2020 से लिख रहा हूँ कि भारत के सबसे बड़े बैंक घोटालों में स एक "SREI इंफ्रा" के 50,000 करोड़ के घोटाले मे 10 सरकारी बैंकों का पैसा डूबेगा…अब 50,000 करोड़ का लोन लगभग 5500 करोड़ में सेटल हो रहा है..
डूबने वाले सरकारी बैंकों के नाम है
1. केनरा बैंक,
2 यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, 3. पंजाब नेशनल बैंक, 4. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, 5. बैंक ऑफ बड़ोदा,
6 इंडियन बैंक, 7. पंजाब एंड सिंध बैंक, 8. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, 9. UCO बैंक, 10. बैंक ऑफ इंडिया
SREI के मालिक हेमंत कनोड़िया और सुनील कनोड़िया दोनों अनिल अंबानी और दूसरे चोरों की तरह ऐश कर रहें है..जबकि इन्हें जेल में होना था..
मेरा एक सीधा सा सवाल है : SREI के मालिकों ने बीजेपी को कितना चंदा दिया था? बस इस सवाल का जवाब चाहिए..
राहुल से सोनी सोरी पर हुए सवाल, और जवाब की आलोचना पढ़ी।
राहुल का जवाब तीन टुकड़ों में था। पहले तो उन्होंने रिटर्न सवाल किया, कि आप यही सवाल प्रधानमंत्री से कर सकते है??
बात डेमोक्रेसी की है। सोनी पर कुछ हुआ, तो आप राहुल से पूछ लेंगे।
सिद्दीकी कप्पन, खालिद पानसरे, गौरी लंकेश पर क्या पुनिया साहब प्रधानसेवक से सवाल कर सकते है??
दूसरी बात उन्होंने कही कि भाजपा की तरह कांग्रेस, अशांति और अत्याचार का कोई डेलिब्रेट अटेम्प्ट नही करती। याने घटनाये घटती हैं, सरकार की ओर से कारित नही की जाती।
सिद्दीकी कप्पन, खालिद पानसरे, गौरी लंकेश पर क्या पुनिया साहब प्रधानसेवक से सवाल कर सकते है??
दूसरी बात उन्होंने कही कि भाजपा की तरह कांग्रेस, अशांति और अत्याचार का कोई डेलिब्रेट अटेम्प्ट नही करती। याने घटनाये घटती हैं, सरकार की ओर से कारित नही की जाती।
कोई 23 साल पहले अनिल कपूर श्रीदेवी और उर्मिला मातोंडकर की फिल्म आई थी जुदाई।
इसमें उर्मिला अनिल को पसंद करने लगती है और उसे हासिल करने के लिए
श्री देवी को 1 करोड़ रूपये ऑफ़र करती है..
जिसे श्री देवी स्वीकार कर अनिल की शादी(दूसरी) उर्मिला से करने को तैयार हो जाती है..
कल अख़बार में .. भोपाल की एक खबर छपी थी..
जिसमे एक 52 वर्षीय महिला का दिल अपने सहकर्मी 42 वर्षीय पुरुष पर आ गया
जिसके दो बच्चे भी है..
उसने परिवार न्यायालय में
काउंसलिंग के दौरान
एक 60 लाख का डुप्लेक्स मकान 27 लाख की ऍफ़ डी और 1 प्लाट
जिनकी कुल कीमत लगभग
सवा करोड़ होती है के बदले में पहली पत्नी से उसके पति को खरीद लिया ..
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इस घटना से .. यह प्रमाणित होता है .. कि 1997 से लेकर .. आज तक ...
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विवाहित पुरुषो की कीमत में कोई ख़ास वृद्धि नहीं हुई है.. ☹️
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1997 में अनिल कपूर 1 करोड़ में बिके थे..