अगर आपको लगता है आपकी बहन, बेटी या कोई मित्र #LoveJihad का शिकार हो रही है तो कृपया उन्हें सच्चाई जानने और उससे बचने के कुछ ये उपाय अवश्य बतायें
1. उन लड़कों से गायत्री मंत्र या हनुमान चालीसा सुनाने को कहें
2. उन्हें अपने साथ मंदिर ले जाएँ, उन्हें पूजा का प्रसाद अवश्य खिलाएं
3.. हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थ जैसे रामायण, महाभारत, गीता आदि में में वर्णित कथाओं के बारे में पूछिये
4. रमजान के महीने में उसे कुछ न कुछ अवश्य खिलायें अगर खाने में आनाकानी करें तो समझिये की वो हिंदू नहीं है
7. अगर वो मांसाहारी भोजन में सिर्फ हलाल गोस्त की ही मांग करे तो इसका मतलब वो हिन्दू नहीं है
8. उसे भगवान् की या रुद्राछ की माला पहनने
को दीजिये और हमेशा पहनने को कहें, अगर वो न पहने तो हिंदू नहीं है
9. जुम्मे की नमाज के वक्त उसे मंदिर ले जाएँ अगर मु-slim होगा तो नहीं जायेगा।
10. उससे सामने इ-slamकी बुराईओं को बोलते रहिये। उनकी 🕋🕌या उनकी 📖 के बारे में कुछ बोलने पर अगर वो आपका विरोध या ग़ुस्सा करे तो समझिये वो हिन्दू नहीं है।
जागरूक रहें जागरूक करें 🙏🏻🚩
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As per Modern Science the speed of light is 186,000 miles/second
Now read it carefully & get to know the Power of Vedic Science👇
Speed of light was known to Indians in Vedic period and was determined accurately in Rig Ved thousands #LongThread
of years ago.
It was further elaborated by Sayana ( An influential commentator on the Vedas) in the 14th century AD in his commentaries on Rig Ved.
Many years after that, The velocity of Light was calculated by ‘Maxwell’ in the 19th century.
In Rig-Ved,there is a hymn which
is incredibly close to the information about the speed of light
तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रं द्वे द्वे शते द्वे च योजने एकेन निमिषार्धेन क्रममाण नमोऽस्तुते।। -सायण ऋग्वेद भाष्य (१.५ ० .४)
अर्थ- आधे निमेष में 2202 योजन का मार्गक्रमण करने वाले प्रकाश तुम्हें नमस्कार है ।
यूँ तो भारत में नागा साधुओं का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन आज भी इनका जीवन आम लोगों के लिए एक रहस्य की तरह होता है
भारत में लगने वाले सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ, के कई अलग-अलग रंगों में से सबसे रहस्यमयी रंग होते हैं- नागा साधु
जिनका संबंध शैव परंपरा से है
सनातन परंपरा की रक्षा करने और इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग संन्यासी अखाड़ों में हर महाकुंभ के दौरान नागा साधु बनने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
आमतौर पर नागा साधु सभी संन्यासी अखाड़ों में बनाए जाते हैं लेकिन जूना अखाड़ा सबसे ज्यादा
नागा साधु बनाता है।
सभी 13 अखाड़ों (निरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा,आह्वान अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचाग्नि अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा,उदासीन नया अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा और निर्मोही अखाड़ा)
हरिसिंह नलवा जिनके डर से पठान आजभी स्त्रियों के वस्त्र पहनते हैं, जिसे आज पठानी सूट कहा जाताहै वो दरअसल स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाला सलवार कमीज है
इतिहास की इस सच्चीघटना जिसे खुद मियां गुल औरंगजेब ने स्वीकार किया था #BoycottPathaan
(मियां गुल औरंगजेब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह मोहम्मद अयूब खान के दामाद और बलूचिस्तान के पूर्व गवर्नर रहे हैं)
हिंदुस्तान का इतिहास जहाँ वीरों की शौर्य गाथाओ से भरा हुआ हैं बहाँ दुर्भाग्य है की वर्तमान इतिहास में हम हरिसिंह जी नलवा के शौर्य और वीरता को याद करने के
स्थान पे हम पठानों के गुणगान कर रहे जिन्हें भारत से कभी प्रेम नहीं रहा हैं| भारत के पिछले 250 वर्ष के इतिहास में जब भी वीर योद्धाओ का नाम लिया जायेगा, वीर शिरोमणि हरी सिंहजी नलवा के नाम के उल्लेख के बिना अधुरा ही माना जायेगा|
Vikramaditya ( 77 BCE - 15 CE )
(NOT CHANDRAGUPTA VIKRAMADITYA) was the first Chakravarti emperor of India, the empire spread to Arabia, Europe, Rome
The great king Vikramaditya, whose name is counted among the best kings of India, #Thread
and in his name Continues the year counting system of India, which we call 'Vikrami Samvat'.
In fact, Vikramaditya started the title of Chakravarti Emperor by the kings in India.
Vikramaditya's empire stretched from present-day India to Africa and Rome.
Vikramaditya was the first king to hoist victory over the entire Arab world of the present day.
King Vikramaditya comes from the few great kings of this era who became the emperors of the "Chakravarti" after performing the Ashwamedha Yagya.
‘संवत्सर’ यह संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है 'वर्ष' । हिन्दू पंचांग में ‘60 संवत्सर’ होते हैं।
भारतीय *पंचांग* प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक ‘वर्ष’ का एक विशिष्ट नाम होता है, और प्रत्येक नाम का एक विशिष्ठ अर्थ! #Thread
जिस तरह प्रत्येक ‘माह’ के नाम नियुक्त हैं (जैसे चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन)
उसी तरह प्रत्येक आने वाले ‘वर्ष’ का एक नाम होता है। 12 माह के 1 काल को ‘संवत्सर’ कहते हैं और हर संवत्सर का एक नाम होता है।
संवत्सर तीन प्रकार के होते हैं एवं पाँच भाग होते हैं जिसमें सभी महीने पूर्णतः निवास करते हों।
भारतीय संवत्सर के पांच भाग हैं- सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास
तीन प्रकार हैं :
[1] सावन संवत्सर - यह 360 दिनों का होता है। संवत्सर का मोटा सा हिसाब इसी से लगाया जाता है।
“अलाउद्दीन खिलजी” की बेटी “शहज़ादी फिरोज़ा” जिसने हिंदू राजकुमार के लिए दी अपनी जान
जालौर के “वीरमदेव सोनगरा चौहान” की गौरवगाथा 🙏🏻🚩
क्यूँकि ये सच्चाई आपको कोई फ़िल्मकार बड़ेपर्दे पर दिखाने का साहस नहीं कर पायेगा, जबकि इसके विपरीत तो आपने कई फ़िल्मों में देखा होगा
1298 AD में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति अलुगखाखा और नसरतखां ने गुजरात विजय अभियान के लिए जालोर के कान्हड़ देव से रास्ता माँगा, परन्तु कान्हड़ देव ने आक्रांताओं को अपने राज्य से होकर आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी | अतः खिलजी के सेना अन्य रस्ते से गुजरात पहुंची
जब अलाउद्दीन खिलजी की सेना सोमनाथ मंदिर को तोड़ने के बाद मंदिर में रखे शिवलिंग को लेकर दिल्ली जा रही थी
जालोर के राजा कान्हड़ देव चौहान को शिवलिंग के बारे में पता लगा तो उन्होंने अलाउद्दीन खिलजी की सेना पर हमला कर दिया। इस युद्द में खिलजी की सेना हार हुई