विधायक चोरी हो गए थे।

अब जो होना था, हो गया। चोरी हो गयी थी। आजकल बहुत हो रही थी, क्या राष्ट्र -क्या महाराष्ट्र, क्या मध्य प्रदेश- क्या साइड प्रदेश। हर जगह, कोई तो है, जो विधायक चुरा लेता था।
विधायक कोई आदमी नही था, वो जनता का पांच साल के लिए मत था। देश मे कम से कम,
कहने भर का लोकतंत्र तो था, इसलिए विधायक चोरी होना सबसे बड़ा क्राइम था। जनता थाने पहुची, रपट लिखाने..

लिखाया- मैं तो मन्दिर को जा रही थी। मैं तो थाली बजा रही थी, मैं नोट बदलवा रही थी, मैं तो 15 लाख पा रही थी, अब विधायक चुरे तो मैं क्या करूँ?
कलम रोककर थानेदार मुस्कुराया- ये तो तुम्हारी गलती है। तुमने सही पार्टी नही चुनी।

अखबार बोला- "तूने खिड़की खुली छोड़ी होगी"
एंकर बोला- "तूने ताला न लगाया होगा"
दलाल चीखा-" तूने विधायक बांधकर कर क्यो न रखे"
ट्रोल बोले- "तूने चोर को ही क्यो न चुना"
चौतरफा हमले से जनता खिसिया गयी। एड़ियां रगड़ती हुई बोली- इसमे सारी गलती मेरी ही है क्या??

थानेदार बोला- वाह जी वाह। तो और भला किसकी गलती हो सकती है ?
"चोर के बारे में क्या ख्याल है?" -जनता मुंह झुकाकर बोली। एंकर ट्रोल और दलाल उछल पड़े। और एक साथ गुर्राए-

चोप्प। बिल्कुल चुप..
ख़बरदार जो चौकीदार का नाम लिया।

#रिबोर्न_की_बोधकथाऐं
Image

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with sharmass27@yahoo.in

sharmass27@yahoo.in Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @sharmass27yaho1

Jan 17
फिर से लौट के बुद्धू ,,,,

जब दोस्तों ने पुस्तक मेले जाने का प्रोग्राम बनाया , तो सोचा मैं भी चलता हूं , लुप्त हो रही पुस्तक प्रजाति के दर्शन हो जाएंगे ।

देश की अर्थव्यवस्था की तरह ही मेरी जेब की अर्थव्यवस्था भी दयनीय थी
ख़ैर मुझ जैसा गरीब सेक्यूलर जैसे तैसे पैदल ही पुस्तक मेले में पहुंचा
एंट्री टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे तो दीवार फलांगने का विचार बनाया ।

मेले की दीवार देश की समस्याओं और गरीबी की तरह विशाल रूप धरे खड़ी थी ,
लेकिन मैं देश का एक ऐसा जिम्मेदार नागरिक था जो ऐसी समस्याओं के थपेड़े रोजाना सहकर अंबुजा सीमेंट बन चुका था ।
बस मुझे दीवार पर चढ़ने के लिए एक किक चाहिए थी
फिर सलमान खान को ध्यान करते हुए मैं वहां घांस चर रहे सांड के पास पहुंचा , और बोला
खा खाकर सांड हो रहे हो लेकिन यह ताकत किस
Read 15 tweets
Jan 17
राम का दौर क्या था? रामायण कब लिखी गयी?
किसने लिखा, कब लिखा।

जवाब हैं हजारों साल पहले, वाल्मीकि ने लिखा। वो पहले कवि, साहित्यकार थे। क्रोंच पक्षी में से एक का निषाद द्वारा वध देखकर पहला छंद रचा था।

वाल्मीकि राम के समकालीन थे, क्योकि लव कुश तो उनके ही आश्रम में जन्मे।
जाहिर है, रामायण का घटनाक्रम उनके दौर में ताजा रहा होगा।
वाल्मीकि रामायण- अयोध्याकाण्ड

उग्र तेज वाले नृपनंदन श्रीरामचंद्र, जावाली के नास्तिकता से भरे वचन सुनकर उनको सहन न कर सके और उनके वचनों की निंदा करते हुए उनसे फिर बोले :-

“निन्दाम्यहं कर्म पितुः कृतं ,
तद्धस्तवामगृह्वाद्विप मस्थबुद्धिम्।
बुद्धयाऽनयैवंविधया चरन्त ,
सुनास्तिकं धर्मपथादपेतम्।।”
(सर्ग – 109. श्लोक : 33)

हे जावाली! मैं अपने पिता (दशरथ) के इस कार्य की निन्दा करता हूँ कि उन्होने तुम्हारे जैसे वेदमार्ग से भ्रष्ट बुद्धि वाले धर्मच्युत नास्तिक को अपने यहाँ रखा।
Read 14 tweets
Jan 15
दोहरी नागरिकता का कानून बने।

पिछले 8 साल में 12 लाख से अधिक लोग भारतीय नागरिकता छोड़ गए। अभी का डेटा है कि हर दिन 500+ लोग नागरिकता छोड़ रहे हैं।

कबूतरबाजी से जाने वाले अवैध अप्रवासी इसमे शामिल नही। शिक्षा के लिए छात्र वीजा, या नौकरी के लिये H1B टाइप वीजा लेकर वाले
इसमे शामिल नही। 180 दिन बाहर गुजारने वाले NRI भी शामिल नही। वे सब भारतीय पासपोर्ट ही कैरी करते हैं।

बकायदा नागरिकता छोड़ने वाले लोग जाने वाले वे है, जो वेल ऑफ हैं, सेटल्ड हैं, नागरिकता खरीद सकते हैं, वहां की इकॉनमी में इन्वेस्ट करके, जॉब्स क्रिएट करके नागरिकता का हक
हासिल करते हैं।

याने जिनकी सम्पत्ति/वर्थ सौ-दोसौ करोड़ से ज्यादा है। इसका मतलब हर दिन 15 से 20 हजार करोड़ वर्थ वाले भारतीय नागरिक देश छोड़ रहे हैं।
लोग देश क्यो छोड़ रहे हैं, वो सवाल करना देशद्रोह है। लेकिन जाहिर है कि उन्हें कोई दूसरा देश, ज्यादा रहने योग्य लगता है।
Read 8 tweets
Jan 15
कॉलेज में मनोविज्ञान की क्लास चल रही थी, प्रोफेसर अपना व्याख्यान चालू रखे थे बीच-बीच में ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखते भी थे जैसे ही उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखने के लिए चॉक उठाया पीछे से किसी स्टूडेंट ने सीटी बजा दी , प्रोफ़ेसर ने पूछा सीटी किसने बजाई :

कोई नहीं बोला सब चुप ;
प्रोफेसर ने कहा चलो आज का लेक्चर यहीं रोकते हैं आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं |

सब बच्चे राजी हो गए और कहानी तन्मयता से सुनने लगे ,

प्रोफेसर : कल रात मुझे देर तक नींद नहीं आई मैंने सोचा क्यों ना इस समय का सदुपयोग किया जाए | मैंने सोचा कार में पेट्रोल नहीं है
पेट्रोल ही भरवा लिया जाए ताकि सुबह कॉलेज जाने में जल्दबाजी ना करना पड़े मैंने कार निकाली और पेट्रोल पंप पर गया और टंकी फुल करवा ली|

वापस लौटते वक्त देखा कि सड़कें खाली थी तो मैनें सोचा क्यों ना एक-दो लॉन्ग ड्राइव हो जाए मन भी फ्रेश हो जाएगा |
Read 11 tweets
Dec 21, 2022
न्याय व्यवस्था का संक्रमण काल ....

पिछले साल आपको याद है कि एक काजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जामिया मिलिया के बच्चों की अपील नहीं सुनूंगा...
आज बिल्किस बानों के बलात्कारियों को जेल से संघी सरकारों द्वारा छोड़ने के फैसले पर मुहर लगाकर कानून के राज पर काला अलकतरा
पोतकर न्याय को जो मजाक बना दिया...
आदरणीय चंद्रचूड़ जी आपसे देश को बहुत आशा है , कृपया सुप्रीम कोर्ट की शाख को बचा लिजिये, इतिहास माफ नहीं करेगा...

अंग्रेजी न्यायाधीश रॉबर्ट स्टीवंस ने कहा है
कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश प्रबल रूप से ट्रेड यूनियनिस्ट रहे हैं ।
उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, ' न्यायाधीशों को न्यायाधीशों द्वारा चुनना लोकतंत्र का विपरीत है '
लॉर्ड बिंघम ने २००१ में कहा, अदालतों में जज सबसे मुखर हो जाते हैं ...जब राज्य के राजनीतिक अंग कम प्रभावी होते हैं और दब्बू दलाल बन जाते हैं जब कोई दबंग तानाशाह सरकार चलाता है।
Read 16 tweets
Dec 21, 2022
जैसे सतयुग, द्वापर , त्रेता , कलयुग का वर्णन होता है न, पता नहीं ये सब युग रहा की नहीं , हमें नहीं पता , लेकिन हम मानते ही नही , हमें पूर्ण विश्वास है कि आज का युग और कुछ नहीं , यह देश के रामराज्य का शरूवाती 'मोदी युग' है ।
बिना किसी शंका, तर्क, वाद-विवाद आदि इत्यादि के स्वीकार करना होगा कि देश में आज की सियासत का कोई भी आख्यान प्रात:स्मरणीय विश्वगुरू परम आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के उल्लेख के बिना कहा-सुना, पढ़ा-लिखा नहीं जा सकता।

मेरा भी मानना है कि 2014 में माननीय मोदी
जी को बागडोर सौंप कर देश ने कोई गलती नहीं की थी। क्यूंकि मिडिया पत्रकार को जनता अपना शुभचिंतक समझती थी, उसे मिडिया, अखबार , पत्रकारों पर पूरा विश्वास था कि वे जनता के सामने देश की सही तस्वीर रखेंगे लेकिन उन्हें नही पता चला कि देश का चौथा
Read 32 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(