दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय
मुई खाल की स्वांस सो, सार भसम होइ जाय
किसी दफ़्तर में एक चपरासी काम करता था। उसकी मैनेजर के साथ किसी बात को लेकर अनबन हो गई। मैनेजर तो मैनेजर ठहरा उसने चपरासी के वेतन एवं भत्ते सब रोक दिये।
छोटा आदमी क्या कर सकता है उसने चुपचाप सब सहन कर लिया और चुपचाप अपनी ड्यूटी करता रहा। कई महीने बीत गये लेकिन उसने किसी को कुछ न कहा और न ही किसी बात की शिकायत की। मैनेजर को यह सब देखकर बड़ी ग्लानि हुई।
एक दिन उसने चपरासी को अपने पास बुलाकर कहा कि मैं तुम्हारे कर्तब्यपरायणता का कायल हो गया हूँ इसलिए कल से तुम्हारे सारे वेतन भत्ते फिर से शुरू किए जाते हैं।
चपरासी ने मैनेजर की बात सुनी और नजरें झुकाकर उत्तर दिया "ठीक है साहब वेतन भत्ते शुरू हो जाने के बाद मैं भी आपके चाय में पेशाब करना छोड़ दूंगा।"
दिसम्बर 1989 में वीपी सिंह देश की सबसे ऊंची कुर्सी पर विराजमान थे। वैसे तो वे उप्र की एक रियासत मांडा के राजा थे। मगर चुनावी नारों में स्वघोषित फकीर थे, अब चुनाव बाद देश की तकदीर थे।
हालांकि उनकी खुद की तकदीर, बाहर से टेक दे रही भाजपा के हाथ मे थी। तकदीर वाले फकीर की सरकार बने हफ्ता हुआ था,
की गृहमन्त्री की बेटी किडनैप हो गयी।
1982 तक श्रीनगर में अमिताभ, विनोद मेहरा और राखी "किंतनी खूबसूरत ये तस्वीर है, ये कश्मीर है" गुनगुनाते फिरते थे।
तब नेशनल कान्फ्रेंस की सरकार थी। जुलाई 1984 में इंदिरा ने फारुख की पार्टी में तोड़फोड़ की। कांग्रेस समर्थन से फारुख के जीजा, गुलशाह की सरकार बनवा दी। आम राजनैतिक चाल थी। उल्टी पड़ी।
गुलशाह अपनी ही फितरत के थे। खुद की जमीन मजबूत करने लगे।
"यौन शोषण की मांडवाली लाइव चल रही है..हुकूमत, वज़ीर, गोदिमीडिया सब मिल कर यौन शोषण की मांडवाली कर रहे है..केंद्र का वज़ीर/मंत्री यौन शोषण की मांडवाली कर रहा है😊"
~ बीजेपी का सांसद ब्रजभूषण पर यौन शोषण का इल्ज़ाम है..मांडवाली कर रहा है केंद्र का वज़ीर अनुराग ठाकुर..
गोदिमीडिया बता रहा है कि यौन शोषण की मांडवाली में 4 घन्टे की मीटिंग बेनतीजा रही..और कितना "बिकास" चाहिए🤣
~ ब्रजभूषण को जेल में होना था पर वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे है..ब्रजभूषण ने यौन शोषण किया था या नहीं ये तो मुक़म्मल तौर पर नहीं कहा जा सकता..
पर मोदी की ज़ुबान में कहा जा सकता है : बृजभूषण कितने तेजस्वी है, कितने उच्च विचार है..
सवाल यह नहीं कि धीरेंद्र शास्त्री से मिलने एबीपी के इस एजेंट को किसने भेजा होगा–सब जानते हैं। असल सवाल यह है कि क्या गोदी चैनलों को इस बात की ज़रा भी चिंता नहीं कि कल तक चुड़ैल, डायन, स्वर्ग का रास्ता...वगैरह परोसकर दोजख के दरवाजे पर पहुंच चुकी मीडिया ऐसे प्रपंच में
पड़कर तबाह हो जाएगी
आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सर्विलांस और डेटा के बाज़ार में जब बैंक अकाउंट तक गुप्त नहीं तो यह आदमी अपनी जिम्मेदारी भूल बाबा की जय क्यों कह रहा है?
जाहिर है स्टूडियो में बैठे अपने आकाओं और बीजेपी आईटी सेल के इशारे पर, क्योंकि नागपुर से हमला हुआ है सनातन पर।
वॉट्सएप पर चैनलों का ठप्पा चढ़ाकर इसे भेजना है, वरना करोड़ों लोगों को यकीन कैसे होगा?
यही प्रचार है। भारत में 47 प्रतिशत लोग मोबाइल में इंटरनेट यूज नहीं करते। वे कानों से देखते हैं।
कुंडी डाली
ताला मारा
सीढ़ी लगा उतरने
खाली पेट चला रमधनिया ईंटा गारा करने
संध्या भोजन में छोड़ा था सूखी रोटी एक
बड़ी देर से इधर उधर बस उसे रहा था देख
टाइम देखा घड़ी बजाने वाली थी जब सात
थी मजदूरों के मंडी में हलचल की शुरुआत
देर हुई तो फिर मजदूरों को पूछेगा कौन
सुरती धरी हथेली पर फिर निकल पड़ा वह मौन
गमछा बांधा
तहमद डाली
बूसट लगा पहनने
खाली पेट चला रामधनिया ईंटा गारा करने
घर से आया फोन पूछती रमरतिया कुछ खाया?
कह देता है झूठ उसे था तहरी आज बनाया।
साथी सभी गए छुट्टी वह आज अकेला सोया
सुबह हो गई मगर रह गया वह सोया का सोया
जाते ही जब काम मिल गया, गया सभी कुछ भूल
पानी पीकर रहा मिटाता अपने हिय का शूल
बालू छाना
गिट्टी डाली
ईंटें लगा पकड़ने
खाली पेट चला रमधनिया ईटा गारा करने
ज्यादा पानी पीने से फिर लगी खूब लघुशंका
जिसे देखकर धू धू जलने लगी सभी की लंका
मालिक बोला कामचोर है, संगी हंसे ठठाए
मदारी के खेल में ताली बजते रहने का...
विश्व गुरू बनने की कतार में हम लगे हैं...
भारत को सोने की चिड़िया किस रूप में कहा जाता रहा है और किस रूप में आगे भी कब तक कहा जाता रहेगा … यह आज तक समझ में नहीं आया.…… सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी तो
सुनी है पर ये सोने की चिड़िया क्या बला है ....... आज़ादी के बाद भारत को सोने की चिड़िया बनाने का दावा करीब डेढ़ हज़ार बार तो सुना जा चुका है …… रोजाना जान दे रहे किसानों को भोंपू लगा कर सुनाया जाए तो शायद वे ज़हर खाना छोड़ लाठी-डंडा लेकर निकल पड़ेंगे
और चिल्लायेंगे ----अबे बाहर निकल के आ भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाले!!!
इतिहास में किसी पंडत टाइप इतिहासकार ने भारत नाम के देश को दो-चार जगह ज़रूर सोने की चिड़िया बताया है-एक तो तब हमारा देश आर्यावर्त हुआ करता था … जिसमें विमान उड़ा करते थे …