इधर मार्केटिंग का एक नया हथकंडा मैदान में उतारा गया है। फिल्म रिलीज होते ही वेबसाइट पर उसका एडवांस बुकिंग टिकट अधिकांश हाल भरा दिखाया जाता है। कुछ ही सीटे खाली होती है। यह एक मनोवैज्ञानिक दबाव की तरह काम करता है और कुछ भकोड़िए दर्शक उस पिटी फिल्म के टिकट को बेचैनी (1/8)
से खरीद बैठते हैं। आप वहां जाइए तो देखते हैं कि पूरी हाल खाली होगी। ए से लेकर जेड तक की सारी सीटों में मुश्किल से 20-25 सीटें बिकी होंगी। लेकिन जब एडवांस टिकट को आप ऑनलाइन चेक करेंगे तो देखेंगे सीटें काफी हद तक फुल हैं। यह कोई सॉफ्टवेयर है। जब टिकट के लिए जैसे ही बुक (2/8)
करते हैं सीट आपको मिल जाती है। पठान फिल्म के लिए यही हथकंडा अपनाया जा रहा है। देशभर के सारे हॉल खाली पड़े हैं। फिक्स मजहबी दर्शकों के अलावा सामान्य सिने प्रेमी सिनेमा हॉल जाकर देखना नहीं चाह रहा है। बस कुछ सटोरिए नए लड़के और हल्के- फुल्के फिल्म बाजी एडवांस बुकिंग करवा रहे (3/8)
हैं। लेकिन एडवांस बुकिंग का एक झूठा खेल जारी है। मजे की बात है इसमें मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी शामिल है जिससे पठान फिल्म को हिट दिखाया जा सके। वे हर हथकंडा अपना रहे हैं। राजनीतिज्ञ प्रबंधन से लेकर हवाला खेल तक।
26 जनवरी को पठान रिलीज़ होंगी और हिट होते ही बागेश्वर धाम का चैप्टर भी खत्म हो जायेगा।
165 करोड़ रुपये सर्फ मीडिया मैनेजमेंट के लिए बजट बनाया है।
पठान फ्लॉप हुई तो सभी खान की ब्रांड वैल्यू खत्म हो जाएँगी जो ये नही होने देना चाहते।
एक तीर से (5/8)
दो शिकार हिन्दू सनातन के काम करने वाले संत की बदनामी भी हो जाएंगी और पठान बॉयकॉट से भी बच जाएंगी। मज़ा देखिए, इस समय 4-5 प्रमुख न्यूज़ चैनल, 24 घंटे बिना किसी उकसाबे के, बिना किसी शिकायत के, बागेश्वर धाम के पीछे पड़ गए है.. जैसे इसके अलाबा वर्तमान में और कोई महत्व पूर्ण (6/8)
विषय नही बचा है.. और भी सूक्ष्म रूप से देखेंगे तो पता लगेगा कि यह सभी चैनल, बीच का मार्ग अपनाते दिख रहे है यानी 2-3 विचार अंधविश्वास कहने वालों के और 2-3 विचार समर्थन करने वालों के दिखा रहे ताकि पठान फ़िल्म रिलीज होते ही सुविधाजनक ढंग से इससे बाहर निकल लिया जाए। (7/8)
भारतीय पत्रकारिता का विद्रुप और हैरान कर देने वाला अत्यंत निम्न स्तर का चेहरा है यह।
आप सभी से निवेदन है कि दोनों लड़ाई लड़नी है। फिल्म तो वैसे भी पिट चुकी है हमे केवल क्रेडिट लेना है।
बीबीसी की फर्जी डाक्यूमेंट्री के पीछे निकल पड़े देश के गद्दार। केवल गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी का नाम याद रहता है। जबकि किसी और दंगे के समय का कोई मुख्यमंत्री याद नहीं रखते।
यह बात सही साबित होती है कि भारत एक अनोखा देश है जहां देश के “गद्दार” पैदा होते हैं जो आज (1/12)
बीबीसी (बकवास ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन) की फर्जी डॉक्यूमेंट्री के पीछे चल पड़े हैं जिससे मोदी को निशाना बना सकें। मई 2022 में राहुल गाँधी लंदन के दौरे पर ऐसा सोशल मीडिया में कहा गया है कि वह सैम पित्रोदा के साथ बीबीसी प्रमुख से मिल कर आया था और ऐसा माना जा सकता है कि इस (2/12)
डाक्यूमेंट्री की पटकथा तब ही लिखी गई हो।
राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले कहा भी था कि उसकी यात्रा के बाद कुछ और होगा और फिर और भी कुछ होगा। यात्रा ख़त्म होने से पहले यह “कुछ तो सामने आ गया” लगता है अभी “कुछ और भी होने वाला” ज्यादा भयंकर होगा।
किरेन रिजिजू खुद एक मजबूत स्तम्भ है, उसे जस्टिस (रिटायर्ड) सोढ़ी के कंधे का सहारा नहीं चाहिए। किसी का बयान Quote करना कोई गलत बात नहीं होती।
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज आर एस सोढ़ी के कॉलेजियम के विरोध में दिए गए बयान को कानून मंत्री ने हाल ही में Quote क्या कर दिया, (1/10)
जस्टिस सोढ़ी को नशा हो गया। उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा है कि रिजिजू मेरे कंधे पर रख कर बंदूक ना चलाएं, जजों की नियुक्ति के मसले पर न्यायपालिका और सरकार को Mature Debate करनी चाहिए।
एक दिन पहले सोढ़ी जी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान का (2/10)
अपहरण कर लिया है और यह भी कहा कि राज्यों के हाई कोर्ट का सुप्रीम कोर्ट बॉस कैसे हो सकता है, यह बयान किरेन रिजिजू ने Quote कर दिया था जिस पर सोढ़ी जी ने आपत्ति की है।
जस्टिस सोढ़ी को एक बात समझनी चाहिए कि किरेन रिजिजू स्वयं एक मजबूत स्तम्भ हैं और वो कॉलेजियम के विरोध में (3/10)
गोआ के तात्कालिक मुश्लिम शासक यूसुफ आदिल शाह को पराजित कर पुर्तगालियों ने गोआ में अपनी सत्ता स्थापित की। अगले पच्चीस तीस वर्षों में गोआ पर पुर्तगाली पूरी तरह स्थापित हो गए। फिर शुरू हुआ गोआ का ईसाईकरण। कुछ लोग उनकी कथा के प्रभाव में आ कर धर्म बदल लिए और ईसाई हुए। (1/19)
जो धन ले कर बदले उन्हें धन दिया गया, जो भय से बदल सकते थे उन्हें भयभीत कर बदला गया। और जो नहीं बदले...?
गांव के बीच मे एक हिन्दू को खड़ा करा कर उसे आरा से चीरा जाता, हिन्दू युवतियों को नग्न कर सँड़सी से उनके स्तन नोचे जाते... स्त्रियों को नग्न कर उनकी दोनों टांगो में (2/19)
दो रस्सी बाँध दी जाती और दोनों रस्सियां दो घोड़ों से जोड़ दी जातीं। दोनों घोड़े दो ओर दौड़ाये जाते और पल भर में एक शरीर दो भाग में बंट जाता। अरे रुकिए! यह कार्य केवल पुर्तगाली सैनिक नहीं करते थे, उनके साथ एक पादरी रहता था जो बाइबल पढ़ कर अपनी देख-रेख में कार्य प्रारम्भ (3/19)
मुस्लिमो से वफादारी की आस मत करो हिन्दुओ। 1946 में जब ना आजादी मिली थी और ना बाबा साहेब का संविधान बना था, तब भी अखंड भारत के 99.99% मुस्लिमों ने पाकिस्तान बनवाने के लिए हुए जनमत संग्रह में जिन्ना की मुस्लिम लीग का समर्थन किया था। जो .1% बचे मुस्लिम थे उन्हें भारत की (1/19)
राजनीति में उच्च मंत्री पदों का प्रलोभन देकर पहले ही खरीद लिया था कांग्रेस ने।
ये जो आज शुद्रों से दलित वर्ग में कन्वर्ट हुए लालची मुस्लिमी ग़द्दारों के साथ मिलकर जय भीम जय मीम चिल्ला रहे हैं, इन्होंने भी हिन्दुओ से गद्दारी करके एक अलग देश दलितिस्तान लेने के सपने पाल कर (2/19)
जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट दिया था।
1946 में देश में 7 करोड़ मुसलमान थे, पाकिस्तान बनवाने के लिए हुए जनमत संग्रह में जिन्ना की मुस्लिम लीग को 9 करोड़ से ज्यादा लोगों ने समर्थन किया था। सोचिए 7 करोड़ मुस्लिम तो पाकिस्तान बनाने के पक्ष में समर्थन दिए, मगर 2 करोड़ दलितों (3/19)