यह #thread हर उस इंसान के लिए है जिसका यह मानना है कि 1. भारतीयों को पाकिस्तान के साथ #cricket को राजनीति और धर्म से अलग रख कर देखना चाहिए, और 2. #cricket को लेकर आपसी खेल के निर्णय में भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही नैतिक धरातल पर खड़े हैं।
आपको बुरा और कड़वा लग सकता है लेकिन..
आपका उपरोक्त दोनों बातों को मानना बिल्कुल वैसा ही है जैसा अंग्रेज़ी कम्मोड को घरेलू कुआँ मान कर, उसमें से पानी निकाल कर, चाय बनाकर, उसी कम्मोड पर बैठकर पीना। क्यूँकि यहाँ भी आपका फ़ोकस शेष हर संदर्भ को भूल कर केवल पानी और सीट पर है जैसे वहाँ केवल खेल और उसके रोमांच पर है।
आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, श्रीलंका इत्यादि से क्रिकेट खेलने में खेल के अतिरिक्त कोई और संदर्भ नहीं होता। लेकिन पाकिस्तान के साथ ऐसा नहीं है। पाकिस्तान के खिलाड़ी हमेशा खेल भावना को ठोकर मार कर धर्म और राजनीति को खेल के बीच भी और बाद भी सर्वोपरि रखते आए हैं।
BCCI और भारत सरकार का कुछ भी निर्णय हो, लेकिन पिछले 30 वर्षों से जो कुछ भी पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने खेल और खेल के इर्द गिर्द किया है, उसे देखकर कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति अपने आत्मसम्मान को गिरवी रखकर इन दुष्ट लोगों से कोई सम्बंध नहीं रखना चाहेगा।
मियाँदाद की किरण मोरे का मज़ाक़ बनाती उछल कूद हो, कुम्बले के दस विकेट रोकने के लिए वकार का खुद आउट हो जाने की बात करना हो, शोएब अख़्तर की गेंदबाज़ी से सचिन और भारत के बाक़ी खिलाड़ियों की टाँगे काँपने इत्यादि का मज़ाक़ उड़ाते TV स्टूडीयोस में इनके खिलाड़ी, धोनी के विदेश में शतक…
ना होने का मज़ाक़ उड़ाते इनके खिलाड़ी,सचिन को उस टेस्ट मैच में रन आउट लेना और प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में बेशर्मी के साथ मीडिया को दोष देना,और तो और जिनके प्रधानमंत्री तक भारत के वर्ल्ड कप से बाहर होने पर मज़ाक़ उड़ाते हुए ट्वीट करें,वह देश खेल भावना की बात ना ही करे तो बेहतर है।
यह लोग राजनीति के लिए कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट लीग करवाते हैं। पहले खेल की बात करते हैं, जब दोनों देशों में शांति के लिए खेलने के लिए बुलाया जाता है और वाजपेयी जैसे सम्माननीय प्रधानमंत्री इनके खिलाड़ियों का सम्मान करने के लिए मिलने जाते हैं तो अफ़रीदी जैसा घटिया …
आदमी उनका उस वृद्ध अवस्था में ज़ोर से हाथ दबा देता है और आज भी वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे घटिया लोग TV स्टूडीओ में बैठकर इसका मज़ाक़ उड़ाते हैं। सोचिए आपने अपने घर की छत पर अपने कुछ दोस्तों को खेलने के लिए बुलाया हो। और उनमें से एक आपके पिता जी का अपमान करे और स्कूल में भी..
इसका मज़ाक़ बनाए, क्या आप दोबारा उसे खेलने बुलाते अपने घर? भारत के साथ हर मैच जिहाद की तरह देखने वाले लोग हमें राजनीति और खेल को अलग रखने पर ज्ञान बाँटते हुए शोभा नहीं देते
धर्म की तो बात ही क्या करूँ। इनका खेल शुरू होने से पहले से लेकर प्रेज़ेंटेशन सेरेमोनी तक…
हर बात अल्लाह और इस्लाम से शुरू होती है और वहीं ख़त्म। भारत को हराकर इनका कुफ़्र टूटता है। वकार यूनिस रिज़वान को हिंदुओं के सामने मैदान पर नमाज़ पढ़ते देखकर ख़ुश हो जाता है। इंज़माम और सईद अनवर के अनुसार सबको मुस्लिम बनाना उनका फ़र्ज़ है और जो नहीं बनेंगे वह नर्क में जलेंगे।
सकलेन मुश्ताक़ की मानें तो मुस्लिम बन जाने के बाद आपकी बल्लेबाज़ी औसत डबल हो जाएगी। ड्रेसिंग रूम में यह लोग तबलीग देते हैं तो सन्यास लेने के बाद मौलाना बन जाते हैं।
इनकी टीम का इकलौता ईसाई खिलाड़ी कुछ ही वर्षों में मुस्लिम हो जाता है और एक अकेले हिंदू खिलाड़ी को टीम से अलग खाना.
खाना पड़ता है।
अफ़रीदी TV में हिन्दी धारावाहिक में पूजा का दृश्य देखकर TV तोड़ देता है और बहुत गर्व से अपने TV स्टूडीओ में बताता है और शोएब अख़्तर खून की नहरें भरते हुए ग़जवा ए हिंद की बात करता है। कहता है कश्मीर जीतने के बाद आगे भारत भी जीतेंगे इंशल्लाह।
तो कोई मुझे यह बताए कि..
अगर इस बात की आधा प्रतिशत भी सम्भावना है कि इनका कोई खिलाड़ी इन सब से प्रेरणा लेकर मैदान में आकर फट जाए ग़जवा ए हिंद की शुरुआत हमारी टीम से करते हुए (लिखते हुए भी हाथ काँपते हैं) तो क्या हमें अपने एक भी खिलाड़ी की जान ख़तरे में डालनी चाहिए?
जिस राजनीति और धार्मिक कट्टरता से भरा हुआ खेल भावना से कोसो दूर खेल का इतिहास यह लोग ढो रहे हैं, खेलने के लायक़ तो दूर, काफिर भेद और आतंकवाद की वजह से उनके देश के खेलने पर भी प्रतिबंध होना चाहिए अगर दक्षिण अफ़्रीका पर केवल रंगभेद के चलते प्रतिबंध लग सकता है तो। #NoCricketWithPak
लीजिए। अभी तो थ्रेड पोस्ट किए दस मिनट भी नहीं हुए और मेरे अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा की चिंता पर मुहर लगाते इनके अपने ही मैच में ब्लास्ट हो गया। #NoCricketWithPak
Yes, ICC rules should be fair to everyone and Pak should’ve been banned to play international cricket for it’s hatred and differential treatment to players of other religion and being a strong advocate of terrorism like South Africa was banned for racism. #NoCricketWithPak
यह है इनकी खेल भावना। यह है इनका दूसरे खिलाड़ियों को लेकर सम्मान। हर कोई जानता है कि यह लोग शारजाह में कैसे जीतते थे। फिर भी कभी देखा है हमारे खिलाड़ियों ने TV स्टूडीयोस में कुछ कहा हो। इनका मुँह बंद ही नहीं होता। #NoCricketWithPak
@AgentSaffron@RajSharma1857 It was always increasing day by day since 2000 or perhaps even before that.
No of people carrying JSB stickers on their vehicles is a normal sight now.
His posters in college/varsity’s hostel rooms is normal.
It is slow but systematic.
Pls read the thread. 🙏
@AgentSaffron@RajSharma1857 They have moved Diwali celebrations away and named it Bandi Chhod Diwas in just a decade.
We always read Shri Guru Hargobind Singh Ji returned to Amritsar on Diwali and ‘Daal Roti Ghar di, Diwali amritsar di’ in scholl.
In front of our eyes they seperated themselves from Diwali.
@AgentSaffron@RajSharma1857 Seperate wishes of Diwali and Bandi chhod diwas are new normal.
Calling it out would be called extremism but the truth is it is a long term strategy to dissociate Sikhs from Hindus, their festivals and rituals.
Next generation won’t even know they were same once.
Haters should come up with facts.
I tried discussing with you.
Asked you again and again.
Let’s start with first issue.
You couldn’t even start.
Farmers are respected for farming not for blocking roads for months for nothing.
Open your eyes and see POLITICAL written all over it
You sermon others and mock them calling Godi media and Bhakts on showing other side of reality but get offended when called khalistani for justifying armed rebellion against issues that you can’t even write and then play victim. @Harshdeepkaurrr
On one side you show kisan giving water to jawans and should be respected. When someone show you kissan attacking Jawan, then ‘Oh there are two sides of coin and Govt should be blamed’ @Harshdeepkaurrr