#दुर्योधन

महाभारत का ही नहीं विश्व के सबसे बड़े खलनायकों का आदिगुरू।

आपको शायद यह शब्द अजीब लग रहा होगा लेकिन सत्य यही है। संसार में एक से एक हिंसक और खूँख्वार पात्र हुये लेकिन दुर्योधन संसार का पहला अनूठा खलनायक था।

क्या वह रावण से ज्यादा खतरनाक योद्धा था? क्या वह (1/15)
अलैग्जेंड्रिया की लाइब्रेरी जलाने वाले खलीफा उमर से बड़ा बर्बर था? क्या वह तैमूर गजनवी और औरंगजेब जैसे मुस्लिम बादशाहों जैसा हत्यारा था?

नहीं, वह इन पैशाचिक गुणों में इन खलनायकों के आसपास भी नहीं था लेकिन उसमें एक ऐसी कला थी जिसने न केवल उस युग के जनसामान्य ही नहीं बल्कि (2/15)
राजनीति के माहिर ऋषियों व राजाओं को भी भ्रमित कर दिया।

वह घोर अन्यायी और परपीड़क होने के बावजूद स्वयं को विक्टिम प्रदर्शित करने में माहिर था।

वह झूठा नैरेटिव गढ़ने में माहिर था।

उसकी इस कला ने उसके बर्बर कार्यों और पापों को ही नहीं ढंक लिया बल्कि उल्टे पांडवों को ही (3/15)
लगभग अधर्मी सिद्ध कर दिया।

भरतवंश में योग्यतम राजकुमार को राज्य देने की परंपरा थी और उसने जनसामान्य के सामने सिद्ध कर दिया कि उसे केवल उसके पिता की नेत्रहीनता की सजा मिल रही है।

उसने धूर्ततापूर्वक मायामहल में हुई घटना को पूर्णतः झूठ बोलकर द्रोपदी द्वारा 'अंधे का बेटा' (4/15)
कहने से जोड़कर प्रस्तुत किया जबकि द्रौपदी ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था।

उसने पांडवों को धृतराष्ट्र के माध्यम से द्यूत खेलने की आज्ञा दी और 'द्यूत मर्यादा' के अंतर्गत जबरदस्ती पांडवों और द्रौपदी को दाँव पर लगाने के लिये मजबूर किया और दुनियाँ के सामने युधिष्ठिर को 'जुआरी' (5/15)
साबित कर दिया।

उसकी फेक नैरेटिव गढ़ने की क्षमता का अंदाजा इसीसे लगा लीजिये कि उसने कृष्ण पर युद्ध के नियमों को तोड़ने वाला छलिया साबित कर दिया जबकि राजकुमार श्वेत से लेकर अभिमन्यु की निरीह हत्या से लेकर अर्जुन और भीम की हत्या के लिये इन एकल योद्धाओं पर क्रमशः सुशर्मा (6/15)
की पूरी संशप्तक सेनाओं और कलिंगराज की हाथियों की सेनाओं का आक्रमण करवाया।

संसार में अन्यायी और पापी होने के बाद भी स्वयं को विक्टिम प्रदर्शित करने वाला व्यक्ति और जनसमूह अत्यंत कुटिल और भयानक रूप से खतरनाक होता है और इस दृष्टि से दुर्योधन ऊपर वर्णित खलनायकों से दस गुना (7/15)
ज्यादा खतरनाक था।

क्या पांडव युद्ध जीत पाते?

सवाल ही नहीं था, अगर कृष्ण न होते।

और क्या हो अगर आज बीस करोड़ दुर्योधन एक मस्तिष्क, एक आवाज और एक इकाई के रूप में आ जायें?

जरा देखिये अपने चारों ओर, वे आपके चारों ओर मौजूद हैं।

उन्होंने आठ सौ साल तक मंदिर तोड़े, (8/15)
पुस्तकालय जलाये, औरतों को बलात्कार के बाद नग्न कर खुले बाजारों में बेचा लेकिन उन्होंने सफलतापूर्वक नैरेटिव स्थापित कर दिया कि वे तो अपने हिंदू पड़ोसियों के साथ अमनो मुहब्बत से रह रहे थे।

उन्होंने 1946 में लगभग शत प्रतिशत रूप से पाकिस्तान के पक्ष में मतदान किया व (9/15)
पाकिस्तान का निर्माण कराने के बाद सफलतापूर्वक हिंदुओं पर नैरेटिव थोप दिया कि संविधान के कारण उन्होंने भारत में ही रुकने का फैसला किया जबकि संविधान विभाजन के तीन वर्ष बाद लागू हुआ था।

उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी धार्मिक मान्यता के कारण तुर्की के खलीफा (10/15)
के पक्ष में खिलाफत आंदोलन में भाग लिया पर नैरेटिव इस तरह गढ़ा की भारत की स्वतंत्रता में उन्होंने बराबर भाग लिया।

सर सैयद अहमद शाह से लेकर जिन्ना तक वे अंग्रेजों की गोदी में खेलते रहे लेकिन माफीनामे की पर्ची सफलतापूर्वक सावरकर के माथे पर लगा दी।

उन्होंने जिंदगी में (11/15)
गांधीजी की तमाम चापलूसियों के बावजूद उनकी एक बात नहीं सुनी और जिन्ना को अपना नेता माना लेकिन गोडसे को लेकर सवाल सबसे पहले करते हैं।

संसार में नब्बे प्रतिशत आतंकवादी घटनाओं के बावजूद सफलता पूर्वक स्थापित कर देते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं लेकिन निर्दोष साबित हुए (12/15)
साध्वी प्रज्ञा व कर्नल पुरोहित के माध्यम से हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ देते हैं।

बछड़ाचोर अखलाक व चोर तबरेज की पिटाई में हुई दुर्घटनावश मृत्यु को मोबलिंचिंग का नैरेटिव गढ़ देते हैं लेकिन चंदन गुप्ता और निरीह भरत यादव की दर्दनाक मृत्यु को सामान्य घटना साबित कर देते हैं।
(13/15)
महाकाल एक्सप्रेस के नामकरण व उसके शुभागमन प्रतीक के रूप में एक बर्थ के रिजर्वेशन पर धर्मनिरपेक्षता को खतरे का नैरेटिव सैट करते हैं और प्लेटफॉर्म पर दरगाह, सड़कों पर नमाज और रेलवे स्टेशन पर मस्जिद खड़ी करने से रोकने पर धार्मिक रूप से विक्टिम शो करते हैं।

आप कैसे लड़ोगे इन (14/15)
संगठित दुर्योधनों से?

बस एक रास्ता है,
.
.
.
.
.
बस एक,
.
.
केवल एक,
.
.
इनका आर्थिक बहिष्कार करो।

इनकी आजीविकाओं का बहिष्कार करो।

इनकी जंघायें तोड़ दो।

#साभार
(15/15)
🙏🙏

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Feb 18
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शिव को पतिरूप में पाने के लिए तपस्या करतीं माता पार्वती की परीक्षा लेने गए सप्तर्षियों ने कहा, "किसके लिए तप कर रही हो देवी? उस शिव के लिए जिसके पास न घर है न दुआर? न खेत है न बाग-बगीचे? कुछ काम धाम करता नहीं, भांग खा कर मस्त पड़ा रहता है। जिसके पास (1/11) Image
स्वयं पहनने के लिए कपड़े नहीं वह तुमको क्या पहनाएगा भला? तुम जैसी विदुषी और सुन्दर कन्या का विवाह तो किसी राजकुल में होना चाहिए, छोड़ो यह तप घर चलो..."

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Feb 18
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उनकी नियमित दिनचर्या थी...! भोजन की थाली लेकर मंदिर के गर्भगृह में घुसते तो निश्चित नहीं था कि कब बाहर निकलें... एक दिन उनकी पत्नी शारदा उन्हें खोजते हुए मंदिर जा पहुंची... श्रद्धालु जा चुके थे और परमहंस गर्भगृह के भीतर भोग लगा रहे थे... दरवाजे की दरार से उन्होंने अंदर (2/4)
झाँका तो वे स्तब्ध रह गईं... साक्षात काली रामकृष्ण के हाथों से भोजन ग्रहण कर रहीं थीं...! उस दिन से शारदा का जीवन बदल गया...!

हिन्दुओं को मूर्तियों में जान फूंकने का विज्ञान हजारों साल पहले से मालूम था... अटल श्रद्धा के उस अदृश्य (3/4)
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Feb 18
भारत जोड़ो यात्रा और हिन्दू धर्म

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शिव महत्वपूर्ण बनकर उभरते हैं पौराणिक काल मे और मानव दृष्टि से शिव के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना है, उनका विवाह। यह सिर्फ हिन्दू धर्म ही है जहां ईश्वर का विवाह होता है। हिन्दू धर्म (2/18)
के दो सबसे यूनिक और सेंट्रल आईडियाज है, पुनर्जन्म और विवाह। मंदिर में देवताओं की शादी होती है। मीनाक्षी मदुराई मंदिर में मीनाक्षी मदुराई के भगवान सोमसुन्दर से विवाह का बहुत विशाल आयोजन होता है।

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Feb 18
यह पानी की बोतल, नाइक गुलाब सिंह (वीर चक्र मरणोपरांत, 13 कुमाऊं रेजिमेंट) की है। इसपर पड़े गोलियों के निशान शत्रु की फायरिंग किस तरह हो रही थी उसे बता रहे हैं जो युद्ध की भीषणता को समझाने में पर्याप्त हैं।

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मेजर-जनरल इयान (2/5)
कार्डोज़ो अपनी पुस्तक "परम वीर, अवर हीरोज इन बैटल" में लिखते हैं: जब रेज़ांग ला को बाद में बर्फ हटने के बाद फिर से देखा गया तो खाइयों में मृत जवान पाए गए जिनकी उँगलियाँ अभी भी अपने हथियारों के ट्रिगर पर थी... इस कंपनी का हर एक आदमी कई गोलियों या छर्रों के घावों के साथ (3/5)
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Feb 18
भारतीय न्यायिक प्रणाली: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण

भारत की न्यायिक प्रणाली दुनिया की सबसे पुरानी न्यायिक प्रणाली है।

लेकिन प्राचीन भारत की न्याय व्यवस्था का अध्ययन करने से पहले पाठकों को कुछ ब्रिटिश लेखकों द्वारा भारतीय न्यायशास्त्र और प्राचीन भारत की कानूनी प्रणाली की गलत (1/7) Image
व्याख्या को खारिज करना चाहिए।

उदाहरण के लिए हेनरी मेने ने प्राचीन भारत की कानूनी प्रणाली को "क्रूर गैरबराबरी के तंत्र" के रूप में वर्णित किया। भारतीय सिविल सेवा के एक सेवानिवृत्त सदस्य एलन ग्लेडहिल ने लिखा है कि जब अंग्रेजों ने भारत में सत्ता पर कब्जा किया, "कानूनी (2/7)
सिद्धांतों की कमी थी।"

ये कथन असत्य हैं एवं अज्ञानता, साम्राज्यवादी स्वार्थ, भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रति अवमानना ​​​​के कारण दिये गए हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि ये कथन साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को पुष्ट करने का प्रयास थे और साम्राज्यवाद के उत्कर्ष में ब्रिटिश (3/7)
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Feb 18
भारत दुनिया का एकमात्र चतुर देश है जो 15 फरवरी को अरब देशों को कम्युनल कहता है और 16 फरवरी को उनके साथ व्यापारिक समझौता कर लेता है।

मुस्लिम देशों का एक संगठन है OIC, इसमे दादागिरी दो देशों की मुख्य रूप से चलती है एक सऊदी अरब दूसरा संयुक्त अरब अमीरात।

मैं अमीर और गरीब (1/11)
मुसलमान पर विस्तार से लिख चुका हूं। फिलहाल आप ये समझ लीजिये कि अमीर मुसलमान वो है जिसे इस्लाम से कोई लेना देना नही है लेकिन वो इस्लाम का मास्क पहनता है उदाहरण सऊदी, अमीरात, ओमान के शेख। वही गरीब मुसलमान वो है जिसके पास पैसे और शिक्षा का अभाव है मगर वो इस्लाम को ही (2/11)
सबकुछ मानता है उदाहरण पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश के मुसलमान।

अमीर मुस्लिम देश यह जानते है कि शरिया पर चलकर समृध्दि नही मिलेगी, इसलिए उन्होंने टैक्स लगाने शुरू कर दिये महिलाओ को अधिकार देने आरंभ किये है। लेकिन ये मुस्लिम देशों का प्रतिनिधित्व करना चाहते है क्योंकि (3/11)
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