यह पानी की बोतल, नाइक गुलाब सिंह (वीर चक्र मरणोपरांत, 13 कुमाऊं रेजिमेंट) की है। इसपर पड़े गोलियों के निशान शत्रु की फायरिंग किस तरह हो रही थी उसे बता रहे हैं जो युद्ध की भीषणता को समझाने में पर्याप्त हैं।
नवंबर 1962 में लद्दाख में रेज़ांगला की लड़ाई में चीनी मशीन गन (1/5)
की स्थिति पर गुलाब सिंह ने सीधे हमला किया। इस लड़ाई में उस दिन अमर होने वाले 114 भारतीय सैनिकों में से एक नाइक गुलाब सिंह भी थे जो हरियाणा रेवाड़ी के मनेठी गाँव में पैदा हुए थे। इस टुकड़ी के 120 वीरों की वजह से ही आज लद्दाख भारत का हिस्सा बना हुआ है।
मेजर-जनरल इयान (2/5)
कार्डोज़ो अपनी पुस्तक "परम वीर, अवर हीरोज इन बैटल" में लिखते हैं: जब रेज़ांग ला को बाद में बर्फ हटने के बाद फिर से देखा गया तो खाइयों में मृत जवान पाए गए जिनकी उँगलियाँ अभी भी अपने हथियारों के ट्रिगर पर थी... इस कंपनी का हर एक आदमी कई गोलियों या छर्रों के घावों के साथ (3/5)
अपनी ट्रेंच में मृत पाया गया। मोर्टार मैन के हाथ में अभी भी बम था। मेडिकल अर्दली के हाथों में एक सिरिंज और पट्टी थी जब चीनी गोली ने उसे मारा...। सात मोर्टार को छोड़कर सभी को एक्टिव किया जा चुका था और बाकी सभी मोर्टार पिन निकाल दागे जाने के लिए तैयार थे। यह संसार का सबसे (4/5)
भीषण लास्ट स्टैंड वारफेयर था जहाँ 120 वीरों ने वीरता से लड़ते हुए 1300 चीनी सैनिकों को मार डाला था और लद्दाख को चीन द्वारा कब्जाने के मसूबों पर पानी फेर दिया।
स्वतंत्रता की कीमत चुकानी होती है, यह मुफ़्त में नहीं मिलती...
(1) स्वरूप रानी (2) थुसु रहमान बाई (3) मंजुरी देवी (4) एक ईरानी महिला (5) एक कश्मीरी महिला
नंबर एक स्वरूप रानी और नंबर तीन मंजुरी देवी को लेकर कोई समस्या नहीं है। दूसरी पत्नी थुसू रहमान बाई के पहले पति मुबारक अली थे। मोतीलाल की नौकरी, (1/10)
मुबारक अली के पास थी। मुबारक की आकस्मिक मृत्यु के कारण मोतीलाल थुसु रहमान बाई से निकाह कर लिये और परोक्ष रूप से पूरी संपत्ति के मालिक बन गये।
थुसु रहमान बाई को मुबारक अली से 2 बच्चे पहले से ही मौजूद थे:
(1) शाहिद हुसैन (2) जवाहरलाल,
मोतीलाल द्वारा इन दोनों बच्चों शाहिद (2/10)
हुसैन और जवाहरलाल को थुसु रहमान बाई से निकाह करने की वजह से अपना बेटा कह दिया गया।
प्रासंगिक उल्लेख:-
जवाहरलाल की माँ थुसू रहमान बाई थी, लेकिन उनके पिता मुबारक अली ही थे। तदनुसार थुसू रहमान बाई से निकाह करने की वजह से मोतीलाल, जवाहरलाल नेहरू के पालक पिता थे।
क्या आप जानते हैं कि... हमारे प्राचीन महादेश का नाम “भारतवर्ष” कैसे पड़ा...? साथ ही क्या आप जानते हैं कि... हमारे प्राचीन हमारे महादेश का नाम... "जम्बूदीप" था...? परन्तु... क्या आप सच में जानते हैं जानते हैं कि... हमारे महादेश को "जम्बूदीप" क्यों कहा जाता है... और, इसका (1/27)
मतलब क्या होता है...?
दरअसल... हमारे लिए यह जानना बहुत ही आवश्यक है कि... भारतवर्ष का नाम भारतवर्ष कैसे पड़ा...? क्योंकि... एक सामान्य जनधारणा है कि... महाभारत एक कुरूवंश में राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के प्रतापी पुत्र... भरत के नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" (2/27)
पड़ा... परन्तु इसका साक्ष्य उपलब्ध नहीं है...! लेकिन... वहीँ हमारे पुराण इससे अलग कुछ अलग बात... पूरे साक्ष्य के साथ प्रस्तुत करता है...।
आश्चर्यजनक रूप से... इस ओर कभी हमारा ध्यान नही गया... जबकि पुराणों में इतिहास ढूंढ़कर... अपने इतिहास के साथ और अपने आगत के साथ न्याय (3/27)
यद्यपि आपकी व्यस्तता में अतिक्रमण करते हुए लिख रहा हूँ, पर आशा करता हूँ कि आप इसे जरूरी महत्व अवश्य देंगे। हालाँकि चलन के अनुसार मुझे इस संबोधन को 'ओपन लैटर' बनाकर रवीश कुमार को लिखना चाहिए था, लेकिन विडम्बना यह है कि जो आदतन ओपन लैटर लिखते रहते हैं, (1/11)
वह औरों के ओपन लैटर नहीं पढ़ते हैं।
इसलिए मैं यह डायरेक्ट लैटर आपको लिख रहा हूँ, क्योंकि इस दौर में, आप उस मुकाम पर हैं, जहाँ से आप लोकतंत्र पर 'एहसान' बन चुके लोगों तक अपनी बात न केवल पहुँचा सकते हैं, बल्कि फेंक कर भी मार सकते हैं, और ऐसे ही एक एहसान इस कालखंड में (2/11)
रवीश कुमार हैं। जिनके लिए दुनिया न तो गोल है और न ही सपाट बल्कि NDTV में उनके 20 साल के कैरियर और उनके घर से NDTV स्टूडियो की 25 किलोमीटर की दूरी में सिमटी हुई है।
इसलिए उनको लगने लगा है कि प्रनॉय रॉय का स्टूडियो ही वह लैब है, जहाँ न केवल ' सत्य' का निर्माण होता है, (3/11)
इंसान की आस्थाओं पर हमला से बड़ा अपराध कुछ भी नहीं है। ये सच है कि मिशनरियों ने दुनिया भर में अपने स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोले और लोगों की सेवाएं की पर इन सबके बावजूद वो अपराधी हैं। वो अपराधी इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने सहज और सरल लोगों के आस्था पर (1/8)
आधात किया। ये अपराधी इसलिये भी हैं क्योंकि इन लोगों ने किसी के उपास्य के बारे में कुतर्क गढ़के उनके उस विश्वास को चोटिल किया जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उनका संबल बनता रहता है।
मेरी, आपकी नानी-दादी-माँ और भारत के लाखों-करोड़ों लोग इसी आस्था पर सदियों से हिन्दू धर्म को (2/8)
जीवित रखे हुए हैं, उनकी इन्हीं आस्थाओं पर सारा भारत तीर्थों की पुनीत परंपरा से बंधा हुआ है जो शत्रुओं के सैकड़ों प्रहारों के बाबजूद भी नष्ट नहीं होता, दुर्गा, काली या राम, कृष्ण उनके लिये वही है जो पुराणों में बताया गया है और जिसे अपनी माँ की गोद में और अपने पुरोहितों (3/8)
हमारे देश की धरती ने ऐसे कई महापुरुषों को जन्म दिया जिनके भीतर शेर का साहस था, चीते की तेज़ी थी और बाज़ की नज़र। जिन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर भारत का परचम लहराया। उन्हीं में एक नाम हैं शिवाजी महाराज। कवि भूषण की इस (1/6)
कविता से उनके पूरे व्यक्तित्व की कल्पना की जा सकती है।
भूषण वैसे तो रीति काल के कवि थे लेकिन उस दौर में उनकी कलम वीर रस से सराबोर थी। माना जाता है कि भूषण कई राजाओं के यहां रहे और वहां सम्मान प्राप्त किया। पन्ना के महाराज छत्रसाल के यहाँ इनका बड़ा मान हुआ। भूषण ने प्रमुख (2/6)
रूप से शिवाजी और छत्रसाल की प्रशंसा में ही लिखा है। अब ज़रा भूषण के युद्ध वर्णन में छंद का ध्वन्यात्मक सौंदर्य और अलंकारों का सजीव चित्रण देखिए...
साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं
‘भूषण’ भनत नाद विहद नगारन के,
नदी नद मद गैबरन के रलत है ।।
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मेरे PG में एडमिशन में डेढ़ माह की देरी के चलते एक अनिवार्य विदेशी भाषा में अरेबिक भाषा के अतिरिक्त कोई अन्य सीट खाली नहीं थी। मैं अपनी क्लास की एक इकलौती हिन्दू लड़की हूँ, जबकि MBA से लेकर इंजीनियरिंग के प्रोग्राम तक के सारे स्टूडेंट्स मुस्लिम (1/16)
हैं, जिनमें कश्मीरी के अलावा विदेशी अफगानिस्तानी व इराकी भी हैं।
कुछ अफगानिस्तानी लड़कों का एक ग्रुप है, जो खुद को अभी से एंटरप्रेन्योर कहता है। भविष्य में, इनकी खजूर बेचने की प्लानिंग है। इसीलिये अभी से यहाँ कॉन्टेक्ट्स और मार्किट बना रहे हैं, ताकि डिग्री खत्म होते ही (2/16)
अफगानिस्तान से निर्यात करना प्रारंभ कर सकें।
बहरहाल, इन लोगों के साथ मेरी नोट्स उधारी माँगने वाली दोस्ती है। ये लोग क्लास में सदैव मेरी मदद को तत्पर रहते हैं। इस दौरान ये न कुछ कॉम्युनल बोलते, न ही इनकी कोई जिहादी मानसिकता उजागर होती है और न ही कभी अपनी पुरुष उग्रवादी (3/16)