छत्रपति शिवाजी महाराज की जयन्ती पर विशेष:

हमारे देश की धरती ने ऐसे कई महापुरुषों को जन्म दिया जिनके भीतर शेर का साहस था, चीते की तेज़ी थी और बाज़ की नज़र। जिन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर भारत का परचम लहराया। उन्हीं में एक नाम हैं शिवाजी महाराज। कवि भूषण की इस (1/6)
कविता से उनके पूरे व्यक्तित्व की कल्पना की जा सकती है।

भूषण वैसे तो रीति काल के कवि थे लेकिन उस दौर में उनकी कलम वीर रस से सराबोर थी। माना जाता है कि भूषण कई राजाओं के यहां रहे और वहां सम्मान प्राप्त किया। पन्ना के महाराज छत्रसाल के यहाँ इनका बड़ा मान हुआ। भूषण ने प्रमुख (2/6)
रूप से शिवाजी और छत्रसाल की प्रशंसा में ही लिखा है। अब ज़रा भूषण के युद्ध वर्णन में छंद का ध्वन्यात्मक सौंदर्य और अलंकारों का सजीव चित्रण देखिए...

साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि,
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं
‘भूषण’ भनत नाद विहद नगारन के,
नदी नद मद गैबरन के रलत है ।।
(3/6)
ऐल फैल खैल-भैल खलक में गैल गैल,
गजन की ठैल पैल सैल उसलत हैं ।
तारा सो तरनि धूरि धारा में लगत जिमि,
थारा पर पारा पारावार यों हलत हैं ।।

बाने फहराने घहराने घण्टा गजन के,
नाहीं ठहराने राव राने देस देस के ।
नग भहराने ग्रामनगर पराने सुनि,
बाजत निसाने सिवराज जू नरेस के ।।
(4/6)
हाथिन के हौदा उकसाने कुंभ कुंजर के,
भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के ।
दल के दरारे हुते कमठ करारे फूटे,
केरा के से पात बिगराने फन सेस के ।।

इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडब सुअंभ पर,
रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं।
पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाह पर राम-द्विजराज हैं ।।
(5/6)
दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,
'भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।
तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,
त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं ।।

#chatrapatishivajimaharaj

#साभार
(6/6)
🙏🙏

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with सनातनी हिन्दू 100% Follow Back

सनातनी हिन्दू 100% Follow Back Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @Modified_Hindu9

Feb 19
मोतीलाल नेहरू की 5 पत्नियाँ थीं।

(1) स्वरूप रानी
(2) थुसु रहमान बाई
(3) मंजुरी देवी
(4) एक ईरानी महिला
(5) एक कश्मीरी महिला

नंबर एक स्वरूप रानी और नंबर तीन मंजुरी देवी को लेकर कोई समस्या नहीं है। दूसरी पत्नी थुसू रहमान बाई के पहले पति मुबारक अली थे। मोतीलाल की नौकरी, (1/10)
मुबारक अली के पास थी। मुबारक की आकस्मिक मृत्यु के कारण मोतीलाल थुसु रहमान बाई से निकाह कर लिये और परोक्ष रूप से पूरी संपत्ति के मालिक बन गये।

थुसु रहमान बाई को मुबारक अली से 2 बच्चे पहले से ही मौजूद थे:

(1) शाहिद हुसैन
(2) जवाहरलाल,

मोतीलाल द्वारा इन दोनों बच्चों शाहिद (2/10)
हुसैन और जवाहरलाल को थुसु रहमान बाई से निकाह करने की वजह से अपना बेटा कह दिया गया।

प्रासंगिक उल्लेख:-

जवाहरलाल की माँ थुसू रहमान बाई थी, लेकिन उनके पिता मुबारक अली ही थे। तदनुसार थुसू रहमान बाई से निकाह करने की वजह से मोतीलाल, जवाहरलाल नेहरू के पालक पिता थे।

मोतीलाल की (3/10)
Read 12 tweets
Feb 19
क्या आप जानते हैं कि... हमारे प्राचीन महादेश का नाम “भारतवर्ष” कैसे पड़ा...? साथ ही क्या आप जानते हैं कि... हमारे प्राचीन हमारे महादेश का नाम... "जम्बूदीप" था...? परन्तु... क्या आप सच में जानते हैं जानते हैं कि... हमारे महादेश को "जम्बूदीप" क्यों कहा जाता है... और, इसका (1/27)
मतलब क्या होता है...?

दरअसल... हमारे लिए यह जानना बहुत ही आवश्यक है कि... भारतवर्ष का नाम भारतवर्ष कैसे पड़ा...? क्योंकि... एक सामान्य जनधारणा है कि... महाभारत एक कुरूवंश में राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के प्रतापी पुत्र... भरत के नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" (2/27)
पड़ा... परन्तु इसका साक्ष्य उपलब्ध नहीं है...! लेकिन... वहीँ हमारे पुराण इससे अलग कुछ अलग बात... पूरे साक्ष्य के साथ प्रस्तुत करता है...।

आश्चर्यजनक रूप से... इस ओर कभी हमारा ध्यान नही गया... जबकि पुराणों में इतिहास ढूंढ़कर... अपने इतिहास के साथ और अपने आगत के साथ न्याय (3/27)
Read 29 tweets
Feb 19
प्रिय मित्र गण

यद्यपि आपकी व्यस्तता में अतिक्रमण करते हुए लिख रहा हूँ, पर आशा करता हूँ कि आप इसे जरूरी महत्व अवश्य देंगे। हालाँकि चलन के अनुसार मुझे इस संबोधन को 'ओपन लैटर' बनाकर रवीश कुमार को लिखना चाहिए था, लेकिन विडम्बना यह है कि जो आदतन ओपन लैटर लिखते रहते हैं, (1/11)
वह औरों के ओपन लैटर नहीं पढ़ते हैं।

इसलिए मैं यह डायरेक्ट लैटर आपको लिख रहा हूँ, क्योंकि इस दौर में, आप उस मुकाम पर हैं, जहाँ से आप लोकतंत्र पर 'एहसान' बन चुके लोगों तक अपनी बात न केवल पहुँचा सकते हैं, बल्कि फेंक कर भी मार सकते हैं, और ऐसे ही एक एहसान इस कालखंड में (2/11)
रवीश कुमार हैं। जिनके लिए दुनिया न तो गोल है और न ही सपाट बल्कि NDTV में उनके 20 साल के कैरियर और उनके घर से NDTV स्टूडियो की 25 किलोमीटर की दूरी में सिमटी हुई है।

इसलिए उनको लगने लगा है कि प्रनॉय रॉय का स्टूडियो ही वह लैब है, जहाँ न केवल ' सत्य' का निर्माण होता है, (3/11)
Read 13 tweets
Feb 19
मैं हिन्दू क्यों हूँ?

इंसान की आस्थाओं पर हमला से बड़ा अपराध कुछ भी नहीं है। ये सच है कि मिशनरियों ने दुनिया भर में अपने स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोले और लोगों की सेवाएं की पर इन सबके बावजूद वो अपराधी हैं। वो अपराधी इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने सहज और सरल लोगों के आस्था पर (1/8)
आधात किया। ये अपराधी इसलिये भी हैं क्योंकि इन लोगों ने किसी के उपास्य के बारे में कुतर्क गढ़के उनके उस विश्वास को चोटिल किया जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उनका संबल बनता रहता है।

मेरी, आपकी नानी-दादी-माँ और भारत के लाखों-करोड़ों लोग इसी आस्था पर सदियों से हिन्दू धर्म को (2/8)
जीवित रखे हुए हैं, उनकी इन्हीं आस्थाओं पर सारा भारत तीर्थों की पुनीत परंपरा से बंधा हुआ है जो शत्रुओं के सैकड़ों प्रहारों के बाबजूद भी नष्ट नहीं होता, दुर्गा, काली या राम, कृष्ण उनके लिये वही है जो पुराणों में बताया गया है और जिसे अपनी माँ की गोद में और अपने पुरोहितों (3/8)
Read 10 tweets
Feb 19
मेरी अज्ञानी सहेलियों!

मेरे PG में एडमिशन में डेढ़ माह की देरी के चलते एक अनिवार्य विदेशी भाषा में अरेबिक भाषा के अतिरिक्त कोई अन्य सीट खाली नहीं थी। मैं अपनी क्लास की एक इकलौती हिन्दू लड़की हूँ, जबकि MBA से लेकर इंजीनियरिंग के प्रोग्राम तक के सारे स्टूडेंट्स मुस्लिम (1/16)
हैं, जिनमें कश्मीरी के अलावा विदेशी अफगानिस्तानी व इराकी भी हैं।

कुछ अफगानिस्तानी लड़कों का एक ग्रुप है, जो खुद को अभी से एंटरप्रेन्योर कहता है। भविष्य में, इनकी खजूर बेचने की प्लानिंग है। इसीलिये अभी से यहाँ कॉन्टेक्ट्स और मार्किट बना रहे हैं, ताकि डिग्री खत्म होते ही (2/16)
अफगानिस्तान से निर्यात करना प्रारंभ कर सकें।

बहरहाल, इन लोगों के साथ मेरी नोट्स उधारी माँगने वाली दोस्ती है। ये लोग क्लास में सदैव मेरी मदद को तत्पर रहते हैं। इस दौरान ये न कुछ कॉम्युनल बोलते, न ही इनकी कोई जिहादी मानसिकता उजागर होती है और न ही कभी अपनी पुरुष उग्रवादी (3/16)
Read 18 tweets
Feb 19
अर्जुन को घमंड हो गया कि उससे बड़ा कोई श्रीकृष्ण भक्त नहीं है। श्रीकृष्ण भी इसको ताड़ गये।

एक दिन श्रीकृष्ण अर्जुन को अपने साथ घुमाने ले गए। रास्ते में उनकी भेंट एक निर्धन ब्राह्मण से हुई। उनका व्यवहार थोड़ा विचित्र था। वह सूखी घास खा रहे थे और कमर से तलवार लटक रही थी।
(1/6)
अर्जुन ने उससे पूछा, 'आप तो अहिंसा के पुजारी हैं। जीव हिंसा के भय से सूखी घास खाकर अपना गुजारा करते हैं। लेकिन फिर हिंसा का यह उपकरण तलवार क्यों आपके साथ है?'

ब्राह्मण ने जवाब दिया, 'मैं कुछ लोगों को दंडित करना चाहता हूं।'

"आपके शत्रु कौन हैं"? अर्जुन ने जिज्ञासा (2/6)
जाहिर की।

ब्राह्मण ने कहा, 'मैं चार लोगों को खोज रहा हूं, ताकि उनसे अपना हिसाब चुकता कर सकूं। सबसे पहले तो मुझे नारद की तलाश है। नारद मेरे प्रभु को आराम नहीं करने देते, सदा भजन-कीर्तन कर उन्हें जागृत रखते हैं।

फिर मैं द्रौपदी पर भी बहुत क्रोधित हूं। उसने मेरे प्रभु को (3/6)
Read 8 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(