A monk decides to meditate alone, away from his monastery. He takes his boat out to the middle of the lake, moors it there, closes his eyes and begins his meditation.
After a few hours of undisturbed silence, he suddenly feels the bump of another boat colliding with his own.
With his eyes still closed,he senses his anger rising,& by the time he opens his eyes,he is ready to scream at the boatman who dared disturb his meditation
But when he opens his eyes,he sees it’s an empty boat that had probably got untethered & floated to the middle of the lake
At that moment, the monk achieves self-realization,and understands that the anger is within him; it merely needs the bump of an external object to provoke it out of him.
From then on, whenever he comes across someone who irritates him or provokes him to anger,he reminds himself,
राहुल गांधी विदेश में जाकर यह शिकायत क्यों नहीं करता है कि भारत का लोकतंत्र इतना निरंकुश हो चुका है कि 75 वर्षो से दबे राज सरेआम उजागर किये जा रहे है।
सोशल मिडिया मेरे बारे में निम्न लिखित गलत खबरे चला रहा है।
यह कि....
(1). यह कि मैंने सुकन्या का बलात्कार कर उसकी हत्या करवा दी और उसके पूरे परिवार को गायब करवा दिया है।
(2).यह कि मेरी माँ को बार डांसर कहा जाता है।
(3) .यह कि मेरी माँ के अवैध सम्बन्ध क्वात्रोची और माधवराव सिंधिया के साथ रहे थे।
(4). यह कि मेरे बाप के चीथड़ों से मिलान के लिए मेरे DNA की जगह प्रियंका का DNA दिया गया इस डर से की कहीं मैं राजीव की जगह किसी और की औलाद साबित न हो जाऊं।
(5). यह कि प्रियंका की शादी के बाद उसके ससुराल के सभी सदस्यों की एक एक कर हत्या करवा दी गई।
आए दिन की खबरें हो गई हैं बच्चियों के साथ ज्यादतियां ! मन दुखित होता है कि एक तरफ बातें होती हैं उच्च आदर्शों की दूसरे तरफ पतन के पाताललोक में जा रहे हमारे आदर्श! कोशिश की है अपनी बात कहने की
स्त्री हूँ मुझे वही रहने दो
ना बनाओ मुझे अपने माथे का चंदन वंदन
मत कहो मुझे देवी, ना करो सम्मान मेरा
स्त्री हूँ मैं मुझे वही रहने दो
उमा, रमा, ब्रम्हणी, दुर्गा और काली कहकर मुझे
उन देवियों का मान ना घटाओ
उनके वक्र नेत्र भस्म कर देते थे बड़े बड़े असुरों को
वो बिचरतीं थीं बियाबानों में भी बेखौफ
मुझमें वह चमत्कारी शक्ति नहीं है
मैं सहम जाती हूँ भरी सड़कों में भी
गर आदमीनुमा राक्षस मुझे घूर कर देख भी ले
चलते हुए रास्ते में गर अंदेशा भी हो जाये
कि कोई पीछा कर रहा है तो प्राण आधे सूख जाते हैं
घर से बाहर निकली लड़की का मोबाइल ओफ जाये तो
नीलामे दो दीनार,"जबरदस्ती का भाईचारा ढोते हिंदुओं अपना इतिहास तो देखो
समयकाल,ईसा के बाद की ग्यारहवीं सदी
भारत अपनी पश्चिमोत्तर सीमा पर अभी-अभी ही राजा जयपाल की पराजय हुई थी
इस पराजय के तुरंत पश्चात का अफगानिस्तान के एक शहर..गजनी का एक बाज़ार..!
ऊंचे से एक चबूतरे पर खड़ी कम उम्र की सैंकड़ों हिन्दु स्त्रियों की भीड .. जिनके सामने हज़ारों वहशी से दीखते बदसूरत किस्म के लोगों की भीड़ लगी हुई थी.जिनमें अधिकतर अधेड़ या उम्र के उससे अगले दौर में थे.!
कम उम्र की उन स्त्रियों की स्थिति देखने से ही अत्यंत दयनीय प्रतीत हो रही थी..
उनमें अधिकांश के गालों पर आंसुओं की सूखी लकीरें खिंची हुई थी,मानो आँसुओं को स्याही बना कर हाल ही में उनके द्वारा झेले गए भीषण दौर की कथा प्रारब्ध ने उनके कोमल गालों पर लिखने का प्रयास किया हो!
एक बात सब में समान थी,किसी के भी शरीर पर वस्त्र का एक छोटा सा टुकड़ा भी नहीं था..
फिल्म #वास्तव में पुलिस अधिकारी बने दीपक तिजोरी, संजय दत्त को समझाते हैं कि..अपराध की दुनियां को छोड़ दो अन्यथा, किसी दिन पकड़े जाओगे या एनकाउंटर हो जायेगा....
पलटकर गैंगस्टर संजय दत्त दीपक तिजोरी से पूछता है कि..मुझे पकड़ेगा कौन.यह तुम्हारी निकम्मी पुलिस,
जो मेरे सामने कुत्तों की तरह दुम हिलाती है.....?
पुलिस अधिकारी बने दीपक तिजोरी ने बहुत सुन्दर जवाब दिया था....पुलिस निकम्मी नहीं है, तेरे ऊपर भ्रष्ट, गद्दार और सत्तालोलुप नेताओं का हाथ है, आज इन भ्रष्ट और निकम्मे नेताओं ने पुलिस के हाथ बांध रखे हैं!
लेकिन जिस दिन कोई ईमानदार और राष्ट्रवादी नेता सत्ता संभालेगा, उस दिन यही पुलिस तुझे कुत्तों की तरह घसीटते हुए ले जायेगी।
ये उदाहरण इसलिए दिए ताकि आप याद कर सकें वह वक्त....जब आज़म खान ने तीन घंटे तक एक S.S.P. को अपने घर के बाहर खड़ा रहने का आदेश दे दिया था।