Badal Saraswat Profile picture
Mar 27 17 tweets 5 min read Twitter logo Read on Twitter
#काँग्रेस_के_कुकर्म

मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूँ।
बात 1991 की है। तब चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। चंद्रशेखर की सरकार मात्र 60 सांसदों की सरकार थी जिसे बाहर से काँग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त था। चंद्रशेखर ने 10नवम्बर 1990 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।

Read👇
पर जैसा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से करती आई है, चार महीने बाद ही राजीव गाँधी ने चंद्रशेखर की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। चंद्रशेखर के पास पद से त्यागपत्र देने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
6 मार्च 1991 को उन्होंने अपने करीबी साथियों के साथ गुड़गांव के भोंडसी आश्रम में बैठक की..
जिसमें यह तय किया गया कि चंद्रशेखर राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति श्री आर वेंकटरमन को अपना त्यागपत्र सौंप देंगे।

चंद्रशेखर राष्ट्रपति भवन के लिए निकलने ही वाले थे कि उन्हें बताया गया कि डॉ मनमोहन सिंह⌨️ उनसे मिलने के लिये आये हैं। मनमोहन सिंह चंद्रशेखर के चार मास के शासन काल के
दौरान उनके सलाहकार के पद पर आसीन थे।
चंद्रशेखर ने डॉक्टर साब को अंदर बुलवा लिया और आने का कारण पूछा। पर जो कारण मनमोहन सिंह ने बताया उससे चंद्रशेखर भी हैरान रह गये।

दरअसल, कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री के साथ चर्चा के दौरान यह बात निकल कर आई थी कि UGC यानि कि University Grants
Commission (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के चेयरमैन का पद रिक्त है। चंद्रशेखर ने डॉक्टर सिंह को कोई उपयुक्त नाम सुझाने के लिये कहा था।

पर वो तब की बात थी।

अब सिचुएशन अलग थी। प्रधानमंत्री त्यागपत्र देने वाले थे और मनमोहन सिंह का 'प्रधानमंत्री के सलाहकार' का पद जाने वाला था।
तो मनमोहन सिंह को लगा कि प्रधानमंत्री त्यागपत्र दे उससे पहले ही उनसे UGC के चेयरमैन के पद पर स्वयं की नियुक्ति करवा ली जाये और वैसे भी नाम देने के लिये चंद्रशेखर ने उन्हीं से तो कहा था। और हाँ, चूँकि यह पद एक शुद्ध राजनैतिक पद नहीं है तो भाजपा भी ज़्यादा हो-हल्ला नहीं मचायेगी।
और गाँधी परिवार की सेवा तो वे 1971 से करते आ रहे हैं तो राजीव गाँधी तो खुश ही होंगे कि सरकार भले ही अपनी न बन पाये पर UGC का चेयरमैन तो अपना आदमी बन गया।

तो जनाब!6 मार्च की सुबह जैसे ही मनमोहन सिंह को यह पता चला कि कुछ ही घंटों में चंद्रशेखर इस्तीफा देने वाले हैं,वह फटाफट भोंडसी
आश्रम पहुँच गए और प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि वह त्यागपत्र देने के पहले उन्हें UGC का चेयरमैन बनाने का आदेश जारी कर दें।

चंद्रशेखर हतप्रभ थे कि ऐसे समय में जब उनकी सरकार ऑलरेडी अल्पमत में आ चुकी है और इतने महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति करने का नैतिक अधिकार खो चुकी है,
मनमोहन सिंह उनके पास यह प्रस्ताव लेकर क्यों❓ आये हैं🤔
पर चंद्रशेखर को भी नैतिकता की अधिक चिंता कहाँ रहती थी! चिंता रहती तो वे कांग्रेस के 211 सांसदों का बाहरी समर्थन लेकर जनता दल (समाजवादी) के मात्र 60 सांसदों की सरकार नहीं बनाते।
उन्होंने UGC के चेयरमैन के पद पर मनमोहन सिंह की
नियुक्ति के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए।

15 मार्च 1991 को,अर्थात चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने के पूरे 9 दिन बाद,मनमोहन सिंह ने UGC के चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभाला।
उन्होंने यह कार्यभार तब संभाला जब देश में एक कार्यवाहक सरकार थी जिसे शीर्षस्थ पदों पर नियुक्ति
का कोई नैतिक अधिकार नहीं था।

यह कहानी मैंने आपको इसलिये सुनाई ताकि आपको यह अंदाजा हो कि डॉ मनमोहन सिंह कितने पदलोलुप इंसान हैं।
यह बिना किसी पद के रह ही नहीं सकते। जब से मैंने होश संभाला है यह किसी न किसी पद पर बने ज़रूर रहते हैं चाहे सरकार किसी की हो।

अगर हम मोरारजी भाई और
चरण सिंह के दो-ढाई वर्षों को छोड़ दें तो 1971 से लेकर 1996 तक वो लगातार केंद्र सरकार या किसी केंद्रीय संस्थान में किसी न किसी शीर्ष पद पर आसीन ज़रूर रहे।

और फिर 2004 से लेकर 2014 तक जब वह सोनिया गाँधी की चरण पादुका प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रख के उनके behalf पर प्रॉक्सी सरकार
चला रहे थे उसे कौन नहीं जानता?

और तो और, 2013 में जब राहुल गाँधी ने उनके कैबिनेट द्वारा पास किया गया एक ऑर्डिनेंस भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ के फेंक दिया था तब भी उनके मन में प्रधानमंत्री के पद से त्यागपत्र देने का खयाल नहीं आया।

क्योंकि मनमोहन सिंह को पद चाहिए...
अगर आप उन्हें पद देंगे तो यकीन मानिये वो हर वो काम करेंगे जिसे करने के लिए आप उनसे कहेंगे फिर चाहे इससे उनकी प्रतिष्ठा पर दाग ही क्यों न लगता हो।
अब कुछ साल से सरकार में कोई पद नहीं है तो कांग्रेस पार्टी में #ग़ुलाम का पद ही सही...
पूरी निष्ठा के साथ गुलामी बजा रहे हैं...
सोनिया गाँधी जो कहने के लिये कहती है, वो कहते हैं।

पर जब उनसे ये पूछा जाता है कि बताइये कि आपने किस नियम के तहत प्रधानमंत्री राहत कोष के पैसे "राजीव गाँधी फाउंडेशन" को दान में दे दिये तो वो मौन हो जाते हैं😡😡😡
क्योंकि ग़ुलाम अपने मालिक के ख़िलाफ़ अपनी ज़ुबान कभी नहीं खोलता।

@dr_shrikant003 बड़े भईया जी का लेख✍️✍️✍️

ForMorePost👇👇👇
m.facebook.com/story.php?stor…
और हाँ मोदीजी के संज्ञान में सब कुछ है😎😎😎
ये बात कभी मत भूलना....

👉बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला मनमोहन सिंह जानते हैं👈:- मोदीजी🙏🙏🙏
☝राजसभा में 9 Feb2017 में ऐसे ही नहीं कहा था...😎😎😎

⏳⏳⏳

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with Badal Saraswat

Badal Saraswat Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @saraswat_badal

Mar 27
#काँग्रेस_के_कुकर्म और #नेहरू_के_कुकर्म

"नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की थी" और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं” (विभाजनकालीन भारत के साक्षी)

"इस शीर्षक को पढ़कर आप अवश्य चौकेंगे,लेकिन सत्ता के लिए जवाहरलाल लहरू के ये कुछ व्यक्तिगत रहस्य भी जानने से यह स्पष्ट होता है

Read👇
यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के उपरान्त भी भारत क्यों अपने गौरव को पुन: स्थापित न कर सका"- विनोद कुमार सर्वोदय

श्री नरेन्द्र सिंह जी जो ‘सरीला’ रियासत (टीकमगढ़ के पास,बुंदेलखंड) के प्रिंस थे तथा बाद में गवर्नर जनरल लार्ड वेवल व लार्ड माउण्टबैटन के वे ए.डी.सी. रहे थे।
इस कारण 1942 से 1948 तक की वाइसराय भवन में घटित घटनाओं के वे स्वयं साक्षी थे।
उनसे इस लेख के लेखक (प्रो सुरेश्वर शर्मा) की प्रथम भेंट दिसम्बर 1966 में "इण्डिया इण्टरनेशनल सेंटर, दिल्ली" में हुई थी।प्रिंस आफ़ सरीला श्री नरेंद्र सिंह उस समय काफी वृद्ध थे और इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर
Read 20 tweets
Mar 27
#काँग्रेस_के_कुकर्म

राहुल गांधी और कांग्रेस क्यों बार-बार कहते हैं कि "मोदी सरकार" #सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है***

क्योंकि सीबीआई के दुरुपयोग की पूरी #हिस्ट्री कांग्रेस के पास है...

और इनके पास इतने "गंदे रिकॉर्ड" हैं जिसे जानकर आप चौक जायेंगे😱😱😱

Read👇👇👇
1983 में #बिहार में और केंद्र में दोनों जगहों पर कांग्रेस सत्ता में थी बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र थे और केंद्र में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी...
उस वक्त बिहार विधान परिषद की सभापति थी राजेश्वरी सरोज दास उन्होंने एक लड़की गोद ली हुई थी जिसका नाम था श्वेतनिशा त्रिवेदी...
उन्होंने कभी यह खुलासा नहीं किया कि उस लड़की के असली मां बाप कौन थे वह लड़की बेहद खूबसूरत थी राजेश्वरी सरोज दास ने अपने प्रभाव से अपनी गोद ली हुई बेटी को बिहार विधानसभा में टेलीफोन ऑपरेटर बना दिया,
श्वेत निशा त्रिवेदी इतनी खूबसूरत थी के विधानसभा में सभी विधायक लोग उसे बॉबी कहकर
Read 20 tweets
Mar 25
कमाल की बात है....
राहुल गाँधी की सांसदी छिनने के बाद अगर एक नेता या पार्टी सबसे ज्यादा शोर मचा रहे हैं.. तो वह है केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी...

केजरीवाल के आज(24/3/23) के statement देखे...
चेहरा एकदम तमतमाया हुआ था, शब्द भी कड़े कठोर थे... अनाप शनाप बोल रहे थे...
Read👇 ImageImageImageImage
ऐसा दिखा रहे थे जैसे कि भारतीय लोकतंत्र को बचाने की इस लड़ाई में अब बस वही एक सूरमा बच गए हैं.

इतना तो केजरीवाल साहब तब नहीं गुस्सा हुए, जब मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी हुई थी...

दरअसल केजरीवाल को अब एक अवसर दिख रहा है...
हो सकता है ऊपर से आदेश भी आ गया हो...
कि लोहा गर्म है, मार दो हथोड़ा...

राहुल बेशक़ पप्पू हों, लेकिन कहीं ना कहीं विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं...
लेकिन उनके रास्ते से हटने के बाद जो Vaccume बना है, उसे भरने की कोशिश 2-3 नेता तो करेंगे है... जैसे केजरीवाल, ममता बनर्जी, चंद्रशेखर राव आदि.
Read 5 tweets
Mar 25
#काँग्रेस_के_कुकर्म Vs #इतिहास_ही_हमारी_धरोहर_है

वीर सावरकर जी की पुस्तक "हिंदुत्व" के पेज न0 86 से पेज न0 91 तक

आधुनिककाल के चंद्रगुप्त का ही उदाहरण देखने के लिये हम अपने पाठकों से कहते हैं। चंद्रगुप्त ने एक ब्राह्मण कन्या से विवाह किया और इनसे अशोक के पिता की उत्पत्ति

Read👇 Image
हुई और इस अशोक ने युवराज रहते एक वैश्य कन्या से विवाह किया।
हर्ष वैश्य था और उसने अपनी कन्या एक क्षत्रिय राजपुत्र को ब्याह दी।
व्याधकर्मा एक व्याध का पुत्र था और उसकी माता उस व्याध की सहधर्मिणी एक विप्र कन्या थी और यह व्याधकर्मा विक्रमादित्य का यज्ञाचार्य हुआ था।
कृष्ण भट्ट ब्राह्मण होकर भी एक चांडाल कन्या पर इतना मोहित हुआ कि उसने खुल्लमखुल्ला उससे विवाह किया। इसने फिर "मातंगी पन्थ" नाम का एक धर्म-सम्प्रदाय चलाया।

ये सब लोग हिन्दू ही कहलाते थे और आज भी उन्हें कोई अहिन्दु नहीं कहता। उन्हें हिन्दू कहलाने का अधिकार भी है।
Read 27 tweets
Mar 24
#धर्मयुद्ध 🛡️🛡️🛡️

☝️एक सर्वश्रेष्ठ निर्भ्रन्त #त्रिविक्रमा के अनंत रौद्र का उत्तराधिकारी भी कर्तव्यनिष्ठ अपने मार्गदर्शक का अनुसरण करने वाला एक शिष्य ही होता है...

☝️क्योंकि "निर्भ्रन्त " हर पल हर क्षण हमेशा अपने शिष्य को कभी #अर्जुन या कभी #अभिमन्यु जैसा ही पाता है***

1/2
☝️धर्मयुद्ध के युद्धक्षेत्र में "निर्भ्रन्त" इस बात को बखूबी समझता है कि "इसे इस बार भी युद्धक्षेत्र में सम्भालना होगा"
☝️हर पल हर एक क्षण इसे मजबूत बनाना होगा...

☝️ताकि युद्धक्षेत्र के मैदान में "जिम्मेदारियों का बोझ" अथवा एक अयोग्यता* इसका वध न कर सके...

2/3
☝️धर्मयुद्ध के वक़्त जब कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन विषाद और मोह से ग्रस्त होकर अपना गांडीव रख देता है और युद्ध न करने की घोषणा करते हुए अपने रथ पर बैठ जाता है और इसी प्रकार युद्ध के मैदान में एक अयोग्यता* के कारण "अभिमन्यु का वध" भी हो जाता है...

3/4
Read 5 tweets
Mar 11
एक बड़ी प्राचीन, तिब्बत में कहानी है। एक आदमी यात्रा से लौटा है-लंबी यात्रा से। अपने मित्र के घर ठहरा और उसने मित्र से कहा रात, यात्रा की चर्चा करते हुए, कि एक बहुत अनूठी चीज मेरे हाथ लग गई है।

और मैंने सोचा था कि जब मैं लौटूंगा तो अपने मित्र को दे दूंगा,

Read👇👇👇
लेकिन अब मैं डरता हूं, तुम्हें दूं या न दूं। डरता हूं इसलिए कि जो भी मैंने उसके परिणाम देखे वे बड़े खतरनाक हैं।

मुझे एक ऐसा ताबीज मिल गया है कि तुम उससे तीन आकांक्षायें मांग लो, वे पूरी हो जाती हैं। और मैंने तीन खुद भी मांग कर देख लीं। वे पूरी हो गई हैं और
अब मैं पछताता हूं कि मैंने क्यों मांगीं?

मेरे और मित्रों ने भी मांग कर देख लिए हैं, सब छाती पीट रहे हैं, सिर ठोक रहे हैं। सोचा था तुम्हें दूंगा, लेकिन अब मैं डरता हूं, दूं या न दूं।

मित्र तो दीवाना हो गया। उसने कहा, 'तुम यह क्या कहते हो; न दूं?
Read 16 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(