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#ParivartanYatra#UttarPradesh#Day15#BanEVM
भारत मुक्ति मोर्चा व बहुजन क्रांति मोर्चा EVM भंडाफोड राष्ट्रव्यापी परिवर्तन यात्रा पार्ट-2 #संत_कबीर_नगर जिला मुख्यालय मे EVM भंडाफोड राष्ट्रव्यापी परिवर्तन यात्रा का आगमन होने पर नेतृत्व मा.वामन मेश्राम साहब का गर्मजोशी से स्वागत
किया गया, बाद शहर मे EVM मशीन के खिलाफ नारे लगाते हुए पैदल रैली निकाली गई|
हनुमान - महाकपी जातक के बोधिसत्व की चोरी मात्र है| हनुमान का रामायण से संदर्भ है| रामायण यह निर्विवाद रूप से दशरथ जातक की चोरी है| इस रामायण मे जो राम भक्त या रामसेवक पात्र है वह हनुमान है| हनुमान के अनेक नाम है जैसे महावीर, महाकपि केसरीनंदन आदि महाकपि माने विशाल वानर.
जातक कथाएं
भारतीय संस्कृति का अविभाज्य हिस्सा है| ऐसी मान्यता है की, बोधिसत्व बुद्धत्व की अवस्था को प्राप्त करने के पहले अनेक पारमिताओ को अलग अलग जन्म मे हासिल करते है| यह जन्म मनुष्य तथा अमानुष्य के भी होते है| इन जातको से नीतिमता और सदाचार की शिक्षा मिलती है| जातक का गहरा असर भारतीय ही
नही बल्कि विदेशी संस्कृति को भी प्रभावित करती है| जातक बुद्ध पूर्व साहित्य का संग्रह है| अपितु रामायण, महाभारत आदि कथा बुद्ध के बाद के साहित्य है| इस सभी साहित्य मे आए अनेक पाए जाने वाली नैतिकता वास्तव मे जातको से प्रभावित है| महाकपि जातक मे बोधिसत्व एक वानरो के मुखिया है जिसे
👉जब मोबाइल फोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर ने किया पहला कॉल
दिन था 03अप्रैल और साल 1973👈
आज से 50 साल पहले👈
👉इंजीनियर मार्टिन कूपर न्यूयॉर्क के सिक्स्थ एवेन्यू के एक कोने मे खडे होते है| फिर जेब से फोन बुक निकालते है| इसके बाद वो क्रीम रंग के एक बडे डिवाइस पर लिखे नंबर को
दबाते है और उसे अपने कान से लगा लेते है| इस दौरान वहां से गुजर रहे लोग उन्हे घूरते है क्योंकि वो कुछ ऐसा देख रहे थे, जो उन्होने पहले कभी नही देखा था|
👉दरअसल यह हाथ से पकड सकने वाले यानी हैंडी फोन से किया गया पहला कॉल था| मोटरोला कंपनी की अपनी टीम के साथ मार्टिन कूपर ने सन 1973
मे पहला मोबाइल फोन बनाया था और उसका वजन दो किलोग्राम था|
👉मोटरोला के इस इंजीनियर ने अपनी प्रतिद्वंद्वी फर्म 'बेल लेबोरेट्रीज' के एक कर्मी को कॉल किया और कहा- 'मैं आपको पर्सनल, हाथ मे पकडने लायक और अपने साथ ले जा सकने वाले सेल फोन से कॉल कर रहा हूं|''
👉बेल कंपनी उस दौरान कार मे
#WamanMeshram
छत्रपति क्रांति सेना और भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज के जयंती के अवसर पर राज्यस्तरीय विशाल सभा
दि:-8अप्रैल2023,
समय:-सांम 4 से 10 बजे तक,
स्थान:-अंजुमन हाइस्कूल मैदान, माई मोहल्ला, छ.शिवाजी महाराज ग्रामीण अस्पताल के सामने, जुन्नर, पुणे, MH
विषय:-
🎯छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मतारिख और जन्म वर्ष के विवाद के पीछे मूल वजह छत्रपति शिवाजी महाराज तथा माँसाहेब जिजाऊ का चरित्रहनन करना है| -एक गंभीर चर्चा
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अथवा👈
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🎯छत्रपति शिवाजी महाराज की असली जन्मतारिख 8अप्रैल1627 को बदलकर 19फरवरी1630 यह तारीख असंवैधानिक तरीके से
आरएसएस-भाजपा के ब्राह्मणो ने महाराष्ट्र तथा देश की जनता पर थोपी है| -एक गंभीर चर्चा
उद्घाटक:- मा.न्यायमूर्ति टी.वी.नलवाड़े (पूर्व न्यायाधीश, मुंबई हाईकोर्ट,महाराष्ट्र)
विशेष मार्गदर्शक:- इतिहासचार्य एड.अनंतराव दारवटकर (पूणे, महाराष्ट्र)
डॉ.विलास खरात (राष्ट्रीय महासचिव, भारत
#अवलोकितेश्वर, बुद्ध और तारा के शिल्प से प्रेरित है लक्ष्मण, राम और सीता के चित्र| #बुदुरुवगला बौद्ध विहार जो आज #श्रीलंका का प्राचीन विहार है| यह विहार महायानी बुद्धिजम से प्रेरित है|
यहा बोधिसत्व की लागभग 7 मूर्तीया है| यह मूर्तीया साधारणतः 9-10 शताब्दी मे बनाई गई है|
इन,
मूर्तियो मे एक खास मूर्ति है, जो बुद्ध, बोधिसत्व अवलोकितेश्वर और बोधिसत्व तारा की है|
इस शिल्प के मध्यमे बुद्ध खड़े है उनके दाएं बाजू मे बोधिसत्व तारा तथा बाये ओर अवलोकितेश्वर है|
भारत मे ब्राह्मणो द्वारा राम , लक्ष्मण और सीता इन पात्रो को रामायण मे रेखांकित किया गया| इन पात्रो
की अनेक चित्र भी आधुनिक काल मे बनाई गई|
वास्तविकता मे राम, लक्ष्मण और सीता काल्पनिक पात्र है, उन्हे चित्रित करना संभव नही था, इसलिए बुद्ध, अवलोकितेश्वर और तारा के इस शिल्प का उपयोग राम, लक्षण और सीता के रुप मे किया गया| रामायण वास्तव मे जातक कथाओकी चोरी मात्र है|
रामायण का राम
सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने वाले भारत के पहले और अब तक के आखिरी मुख्यमंत्री माननीय श्री नीतीश कुमार है|
मुख्यमंत्री ने जब चैत शुक्ल अष्टमी को सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किया, तब तूफान खड़ा हो गया कि अशोक की जन्म - तिथि इतिहासकारो को नही पता तो
मुख्यमंत्री कैसे जान गए?
दरअसल जो सम्राट असोक का आदर्श जिया है, वो जानेगा कि उनकी जन्म - तिथि कब है?
कंबोडिया के राजा जयवर्मन सप्तम ने सम्राट असोक के आदर्शों को अपने जीवन मे उतारा था| बौद्ध धम्म के प्रचार हेतु उन्होने भी अपने बेटे को असोक की भाँति श्रीलंका भेजा था|
राजा जयवर्मन
सप्तम को कंबोडिया का सम्राट असोक कहा जाता है|
राजा जयवर्मन सप्तम चैत शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक जो उत्सव समारोह मनाते थे, वह सम्राट असोक का जन्मोत्सव समारोह ही था|
- @563Rajendra
Rajendra Prasad Singh
fb.watch/jrUf_GBsP1/?mi…
जजो की भर्ती पर बड़ा खुलासा/संसद मे कानून मंत्री ने खोले राज/कोलेजियम की वजह से बहुजनो की हकमारी/SC-ST-OBC को नही बनने दिया जा रहा जज/SHAMBHU ON JUDGE EXAM AND HC-SC
ब्राह्मणो के धर्म शास्त्रो मे एक प्रसंग आता है कि द्रोणाचार्य नामक ब्राह्मण ने एक
प्रतिभासंपन्न--एकलव्य (आदिवासी व्यक्ति) का अँगूठा काटा था|
गुरु दक्षिणा के नाम पर भोले भाले ईमानदार आदिवासी का|
21 वी सदी मे भी द्रोणाचार्य के वंशज आदिवासियो के साथ वही इतिहास दोहरा रहे है|
क्या आदिवासी समुदाय के बुद्धिजीवियो को अपने समुदाय पर हो रहे अन्याय व अत्याचारो को जड़ से