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#संघीतकार_सत्यपाल_मलिक
सत्यपाल मलिक संघ की सरकार मे तीन राज्यों जम्मू और कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल अगस्त 2018 से अक्टूबर 2022 तक रहे क्योकि यह "लोहियाईट संघी" हैं।
*यह जाट के संघी नेता हैं जिन्होने जाट का पूरा वोट 2014 के चुनाव मे बीजेपी को देलवाया और राज्यपाल बना दिये
गए।इन्होने अपने साक्षात्कार मे जो भी कहा वह हम आप सब पहले से जानते हैं, कोई नई बात नही कही।पुलवामा मे पहली बार सैनिक नही मरे हैं, इस के पहले भी कांग्रेस काल मे नार्थ ईस्ट मे अलगाववादियों द्वारा सैनिक की ट्रेन जला दी जाती थी या उलट दी जाती थी।
*इन्होने अदानी के 20,000 करोड रूपया ($3 billion) को बडी घटना बताया है जो #झूठ है।यह कहॉ थे जब पिछले दस साल मे 15 सरकारी बैंक का सैकडो बिलियन डालर NPA हो गया और सब बैंक ख़त्म हो गया।आज केवल 12 सरकारी बैंक बचा है।ऐसा ऐसा 20,000 करोड माल्या, नीरव, अनील वगैरह सब पचा गये।
*इन के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया जिस को यह सही ठहराते हैं, मगर यह नही बोले कि इस 370 हटने के कारण चीन गलवान मे आ गया और अब अरूनाचल का नाम पता बदल कर अखण्ड चीन कह रहा है।
इमरान खान के कार्यकाल की दो घटना एतिहासिक है, पहला चीन को गलवान मे करोना कालखण्ड मे घुसपैठ करवाना, अरूनाचल का नाम पता बदलवाना और दूसरा फॉल ऑफ काबूल।

*सत्यपाल मलिक अपने पूरे साक्षात्कार मे एक व्यक्ति विशेष को टारगेट करते हैं।
राम माधव का नाम लिया जिन का नार्थ ईस्ट का वीडियो पहले से बाजार मे मौजूद है।"मत मारी वाली..." बात को अन्त मे डर कर वापिस ले लिया।

*ऐलानिया कहा कि "हम को कोई नही मारे गा, मेरा बहुत बडा समाज है, हम आज भी हर महीना दस सभा करते हैं" यानि हम जाट के बहुत बडे संघीतकार नेता हैं,
हम जाटों का वोट बीजेपी को ट्रासंफर फिर करा देने की क्षमता रखते हैं।

#नोट: वन्स मोर अमृतकाल, जब तक कि चाय मे #चीनी की चाशनी न लग जाऐ।फिर सुन्दर भारत बने गा, जय अल हिन्द।
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Apr 17
आह आह मंकी, वाह वाह मंकी..
तो अब करेंगें मंकी बात..।

अरे नही हुजूर, मन की बात नही..., मंकी बात। मंकी टॉक .. ओखेएए??

हिंदी मे एक अनुस्वार कितना फर्क ला देता है, यह हिंदुओं को पता होना चाहिए। नजर हटी, दुर्धटना घटी, इसलिए इसलिए निगाह और फोकस उसपर रखिए, जो गोद मे बैठा है।
ये स्ट्रिक्टली नो पॉलिटिक्स, ऑनली वाइल्डलाइफ पोस्ट है।
तो हजरात । मंकी हमारा पूर्वज है, इसलिए मंकी टॉक करना, हम सबके लिए अपनी जड़ों की ओर लौटना है। सिवाय उनके, जिन्होनें उद्विकास की यात्रा शुरू ही नही की थी।

दोस्तों, मंकी याने बन्दर .. वंडर-फुल जीव है।
ये ग्रुप में रहता है, ग्रुप में घूमता है, ग्रुप में ही एक से कर्म, कमेंट, और ज्ञान शेयर करता है। ग्रुप से बाहर, यह टिकता नही।

सभी मंकी मेमेलिया वर्ग के, प्राइमेट परिवार के सदस्य होते है। लेकिन इन्हें मोटे तौर तो भागों में बांटा गया है। पुरानी दुनिया के बन्दर ...
Read 20 tweets
Apr 16
स्व० उमेश पाल पुलिस सुरक्षा में माफिया द्वारा मारे गये
अतीक अहमद और अशरफ़ की हत्या न्यायिक हिरासत और पुलिस अभिरक्षा में माफिया के द्वारा की गई।
दोनों ही मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रदेश सरकार के लॉ एण्ड ऑर्डर की घोर नाकामी है
और इस मसले पर देश के सर्वोच्च न्यायालय के
माननीय न्यायधीश जी स्वत: संज्ञान ले कर भाजपा सरकार को तुरन्त को बर्खास्त करना चाहिए क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने देश की न्यायपालिका को शर्मसार किया है नीचा दिखाया है क्योकि न्यायालय से अतीक और अशरफ़ की कस्टडी ये कह कर ली थी कि अतीक और अशरफ़ की पूरी सुरक्षा की जाएगी जबकि देश
के सुप्रीम कोर्ट में अतीक अहमद ने पुलिस अभिरक्षा में उसकी हत्या का अंदेशा जता कर प्रार्थना पत्र दाखिल किया था ।
प्रयागराज में घटित दोनों हत्याकाण्ड सीधे तौर पर योगी सरकार और उत्तर प्रदेश पुलिस की घोर नाकामी है ।
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Apr 16
लड़के हैं मोहल्ले के.....
हर मोहल्ले में दर्जन भर लड़के ऐसे होते हैं जो पढ़ने-लिखने में भले लुल्ल होंगे लेकिन भौजाइयों के बीच बेहद लोकप्रिय होते हैं!
इनकी पहचान बेहद आसान है! हमेशा दांत चियारे मिलेंगे! कोई बड़ा दिख गया तो पांव छूकर हाथ को सीने से लगाएंगे!
इनके दोनों हाथों की कानी ऊँगली पर नेलपॉलिश चढ़ा होगा! पास वाले नुक्कड़ पर पान से लगायत परचून और बेकरी से लेकर चाट वाले तक- सबको धमका के रखते हैं!

इस प्रजाति का मुख्य काम गांव की औरतों को मायके छोड़ना, बूढी दादी को बैंक में ड्राप करना और बुढऊ लोगों के लिए
खैनी-बीड़ी जुगाड़ करना है! पुराने ज़माने में भौजाइयों के लिए 10 रूपये का स्क्रेच कार्ड खरीद कर लाना इन्ही की जिम्मेदारी थी! क्योंकि इससे ज्यादा इनकी औकात ही नहीं थी!

गांव में कोई मर मुरा गया तो बांस बल्ली फाड़ने सबसे पहले यही पहुँचते हैं!
Read 13 tweets
Apr 16
अर्जुन का वध महाभारत के परिणाम को बदल सकती थी। यह बात कर्ण जानता था और इसीलिए अपने सबसे विनाशकारी अस्त्र इंद्रास्त्र को बचा कर रखा था।

लेकिन भावी को कौन टाल सकता है। जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है।
ईश्वर किसी न किसी को माध्यम चुन ही लेता है, नहीं तो वह स्वयं ही किसी न किसी रूप में हस्तक्षेप करता है।

कृष्ण ने घटोत्कच्छ को चुना। अगली सुबह से पहले ही रात्रि में कौरव दल पर हमला होता है। दुर्योधन के ज़ोर देने पर कर्ण वह ताकत खो देता है जिससे अगली सुबह युद्ध का परिणाम सदैव
के लिए बदल सकता था।

घटोत्कक्ष कर्ण के इंद्रास्त्र से मारा जाता है। कौरवों में खुशी की लहर थी। लेकिन भावी बदल चुकी थी।

भगवान कृष्ण ने घटोत्कच्छ को माध्यम बनाकर संतुलन की आधारशिला रख दी थी।

और फ़िर भोर के सूरज के साथ सबकुछ बदल गया।
Read 5 tweets
Apr 16
कुर्सी पर हिजड़े रहते हैं और कुर्सी जाते ही शेर बन जाते हैं . कुर्सी पर नैतिकता इमानदारी पिछवाड़े में डालकर बैठे रहते हैं और हटते ही गांधी की याद आती है। हरिश्चंद्र बनने लगते हैं , गजब की दलाली है, कल तक इनको सब पता था , तब क्यूं नहीं बताये, ईस्तिफा क्यों नही दिये ?
अब बोकराती छांट रहे हो। बने हो समाजवादी , और कल तक मोदी का तलुआ चाटकर राज्यपाल बनकर मजा लिये ,अब आज प्रेस कांफरेंस का नाटककर रहे हो....तुम GB रोड के वेश्याओं से भी बदतर हो, चले मोदी जैसे संघी फासिस्ट से लड़ने... संघ कैसा है ,क्या है ? नही पता था ।
थू थू थू.... ये भी कहीं मोदी के स्क्रिप्ट का ही हिस्सा तो नहीं? केजरीवाल, ममता, शरद पवार ये सब कब क्या बोलेंगे , क्या करेंगे कोई नही जानता। कुर्सी के लिये ये कुछ भी कर सकते हैं ...... सरकार बने या न बने राहुल को इन दलालों से बचना चाहिये, मोदी हट जायेगा तो
Read 5 tweets
Apr 16
अतीक अहमद अपराधी था, मुझे से कोई सहानुभूति नही है, लेकिन ...
इस वाक्य से शुरु होने वाली किसी भी पोस्ट को पढ़ने में कोई दिलचस्पी नही।

आप कितने भी क़ानूनवादी, लोकतन्त्रप्रेमी, रेडिकल, धर्मनिरपेक्ष आदि आदि अनादि हों। यह लाइन बताती है, कि आप किसी सम्भावित हमले से डरे हुए हैं।
आप क्रिमिनल, मुसलमान प्रेमी, या हिन्दू विरोधी कहे जाने से आतंकित हैं।

आप तय मानते है कि अब आपके विचार पर तर्क नही आयेंगे। बल्कि आप पर निजी हमले होंगे। ये शारीरिक, और भौतिक होंगे।

यह वाक्य दरअसल आपका सफेद झंडा है। यह वाक्य उनकी सफलता है।
आपको गलत को गलत बोलने के पहले डिस्क्लेमर देना पड़ता है।

देना सेफ है, अनिवार्य है। ऐसा अब आप मानते हैं।

सच अकेला होता है, वो क्लियर स्टेटमेंट होता है। उसके साथ "अगर-मगर-लेकिन" खड़े नही होते। तो इसलिए किसी गुमान में न रहिये। यह सबूत है..

कि आप हार, वो जीत चुके हैं।
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