थ्रेड
उत्तर प्रदेश में रहते हुये भी पूरा खतरा उठाकर आप सबके मनोरंजन के लिए न्यूड फोटोज पोस्ट कर रहा हूं।
कृपया आनन्द लीजिए और कोई यू पी पुलिस को नहीं बताएगा। #up#UPPolice #nudes#porn#BREAKING
1- अंजली उम्र 12 वर्ष फिगर 88 - 75 - 100
छोटी टाँगे, चिकना बदन, सुतवां नाक, नशीली निगाहें।
(दूध भी देती है )
3- समीना ,उम्र ब्याह के लायक, व्हाइट स्किन, स्लिम फिगर, वेरी रोमांटिक इन बेड।
पाकिस्तान में बहुत फैन हैं इनके।
4- सकीना ,(समीना की चचेरी बहन)
हॉट है ।इससे ज़्यादा जानकारी नहीं है।
5-आसा - उम्र 12
रंग बिरंगी त्वचा, ज़बरदस्त फिगर, ब
हुत फैन हैं इनके दुनिया भर में।
सलमान खान से बदला लेने वाले को अपना सब कुछ सौंपने को तैयार हैं।
बेस्ट बॉडी
6- किटी
उम्र कमसिन,
फिगर बेजोड़,
बहुत stylish ,
.11 बॉयफ्रेंड हैं।
सौंदर्य प्रतियोगिता की विजेता रही हैं।
सुपर मॉडल हैं।
7 - जूली ।
उम्र - जवान हैं।
खूबसूरत सेक्सी फिगर।
गोरा चिट्टा बदन ।
फिटनेस फ्रिक,
सुपर इंटेलीजेंट,
ऐरे गैरों को भाव नहीं देतीं ( सितम्बर अक्टूबर के अलावा ) .
सुपर मॉडल
8-शीला -
21 साल की कमसिन कली
डायटिंग एक्सपर्ट,
योगा विशेषज्ञ ,
कई कलाओं में माहिर ,
खानदान में सबसे स्लिम ,
(केवल अरेंज मैरिज करेंगी )
9- रामदुलारी
उम्र 16
चंपकवन की सनी लियोन
एक्सपोज का शौक है।
खुद की पोर्न इंडस्ट्री खोलना चाहती हैं।
वेरी वेरी मॉडर्न
10- लीला
शाही खून (जूनागढ़ की राजकुमारी )
उम्र 16 - कलर पूछने की हिम्मत है?
विभिन्न तरीकों से आदमी को मार डालने में निपुण ,
अपने लिये जीवनसाथी की तलाश में ।
मॉडलिंग का कोई शौक नहीं ।
(पिछली बार इनकी फोटो लेने गये फोटोग्राफर का आज तक पता नहीं चला )
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कुछ ऐसी बातें जो ध्रुव सत्य हैं।
1-दुनिया में हर चीज़ का विकल्प है ,मेहनत को छोड़ कर।
मेहनत का विकल्प नहीं होता।
2 -घर से बाहर निकलने के बाद पैसों के अलावा आपका कोई सच्चा और वाकई काम आने वाला दोस्त नहीं होता।
3 - सेक्स किये बिना किसी से वास्तविक प्रेम नहीं हो सकता।
अगर कोई ऐसा मानता है तो मूर्खों के स्वर्ग में रहता है।
(माता पिता या भाई बहनों की बात नहीं हो रही इधर)
अगर आप दोनों एक दूसरे से सम्बन्ध ही नहीं बना पा रहे तो घण्टा भरोसा है आपको एक दूसरे पर ।
और भरोसा प्रेम का मूल तत्व है।
गंभीर
एक विलक्षण सामाजिक घटना से आज पाला पड़ा।
शुरू से शुरू करते हैं।
एक लड़की ने अपने से गैर जाति के युवक से पप्रेम के बाद कोर्ट मैरिज की।
दोनों ने अपने अपने परिवारों में कुछ न बताया। अपने परिवारों में रहते रहे
कुछ दिनों बाद लड़का कहीं बाहर गया था
और लड़की ने अपने पिता के द्वारा तय लड़के से शादी कर ली। ससुराल चली गई।
किसी को भी लड़की के द्वारा की गई कोर्ट मैरिज की बात नहीं पता थी।
(जिन्हें ये लग रहा हो कि मां बाप को कोर्ट मैरिज का नोटिस वाकई हर मामले में जाता ही है, उन्हें कोर्ट की कारस्तानियां नहीं पता )
लड़की ससुराल में
उधर जिस लड़के ने लड़की से कोर्ट मैरिज कर रखी थी,वो 3लौटा और लड़की अपनी ससुराल से अपने कोर्ट मैरिज वाले पति के साथ चली गई चुपचाप।
अब लड़की गायब तो लड़की के बाप ने उस लड़के पर लड़की की गुमशुदगी और हत्या के संदेह में रिपोर्ट दर्ज करवाई, जिससे खुद रिश्ता करवाया था।
जिंदा रहने के लिये जज्बे से कहीं ज्यादा बड़ी चीज जिम्मेदारियां होती हैं.
न जाने कितने बाप अपने बच्चों का पेट पालने के लिये उन परिस्थितियों में भी मुस्कुरा कर निकल जाते हैं जिन परिस्थितियों में वो लोग आत्महत्या के करीब पहुंच जाते हैं जिन पर किसी का पेट पालने की जिम्मेदारी नहींहोती
जिम्मेदारी एक विकट शब्द है। ये एक हजार करोड़ कुंटल लोहे से ज्यादा भारी शब्द है।
जिम्मेदारी एक कठिन शब्द है। गणित की किसी अनसुलझी प्रमेय से ज्यादा कठिन।
जिम्मेदारी एक भयानक शब्द है।
सौ फुट ऊंची आती लहरों वाली सुनामी से 4भी ज्यादा भयानक।
जिम्मेदारी क्या होती है , जिम्मेदारी कितना वजनदार शब्द है? उस लड़के से पूछो जिसका बाप अभी अभी गुजरा है , उस लड़की से पूछो जो अभी अभी शादी होकर ससुराल पहुंची हो और सास खत्म हो गई हो।
उस जूनियर एम्प्लॉय से पूछो जिसके सारे काम उसका सीनियर करता हो और अचानक वो सीनियर गुजर जाए
क्रियेटिविटी और किसी नैरेटिव के काउंटर पर एक थोड़ी सी बात।
क्रियेटिविटी का मतलब रचनात्मकता या सृजनशीलता हुआ और किसी नैरेटिव के काउंटर का मतलब किसी व्यक्ति के अपनी सृजनशीलता के दम पर बनाकर जनता में फैलाये हुये किसी सच या अर्धसत्य रचना का प्रत्युत्तर देना हुआ।
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रचना करना या सृजन करना सबके बस की बात नहीं होती।
अच्छी रचना या अच्छा सृजन तो और भी मुश्किल है।संस्कृत के इतिहास में एक ही कालिदास, इंग्लिश के इतिहास में एक ही शेक्सपियर, हिंदी के इतिहास में एक ही तुलसीदास हुआ है।
कवि लाखों रहे हैं हर भाषा में।
रचनाकार को आप किसी बंधन में नहीं बांध सकते। सृजनशीलता को बेड़ियों में नहीं बांधा जा सकता।
नदी नाले पहाड़ समुद्र भगवान शैतान प्यार सेक्स बच्चे बूढ़े आम अमरूद एक रचनाकार किसी भी विषय पर कभी भी लिखने के मूड में आ सकता है और लगभग सारी अच्छी रचनायें एक रचनाकार स्वयं के लिये लिखता है
ये फिलहाल मेरी आखिरी राजनीति से जुड़ी पोस्ट है और अब जल्द राजनीतिक पोस्ट नहीं करूंगा जल्द।
लेकिन कुछ कहके ही जाऊंगा।
शुरू करते हैं।
भाजपा 2014 के बाद पहली बार 270 सीटों से कम रही अपने दम पर।
नेता वही मोदी थे और जनता भी वोही।
अंतर केवल यूपी की सीटों से पड़ा वर्ना पूर्ण बहुमत था।
2019 की 303 सीटों की बात करें तो महाराष्ट्र और राजस्थान से भी बीजेपी की सीटें कम हुईं हैं।
अगर इन राज्यों की सीटों की बात न भी करें तो यूपी से अगर भाजपा को 2019 जैसी सीटें मिल जाती तो भाजपा पूर्ण बहुमत ले ही आती।
और नरेंद्र मोदी का आभा मंडल बहुत ज्यादा ही विशाल हो जाता।
पर ऐसा नहीं हुआ और केंद्र में आने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी अपने नाम पर अपनी पार्टी के लिये पूर्ण बहुमत नहीं जुटा पाये।
यहां एनडीए की बात नहीं कर रहा, केवल भाजपा की बात हो रही है।
कन्फ्यूज न हों।
मैं फील्ड में नौकरी करता हूं और महीने के पंद्रह बीस दिन और दिन के आठ नौ घंटे फील्ड में ही रहता हूं।
रोज कम से कम से कम दस बीस लोगों से झक झांय न कर लूं, रोटी नहीं पचती।
और जब मैं कुछ बोलता हूं तो उनसे ज्यादा सटीक बोलता हूं जो नोएडा या नवी मुंबई में फ्लैट पर बैठ बोलते हैं
आगे
राम मंदिर आंदोलन और अपनी सरकार शहीद करने के बाद भी 1993 में यूपी में भाजपा नहीं जीती थी।2024 में राम मंदिर
उद्घाटन के बाद भी भाजपा अकेले अपने दम पर 272 सीटें लाती नहीं दिख रही।
क्या कारण है?
मैं हमेशा कहता रहा हूं कि वर्तमान नरेंद्र मोदी मुझे 1989 के राजीव गांधी की याद दिलाते हैं जिनके प्रचार की इंतिहा हो चुकी थी। लोग मीडिया में उनका चेहरा देख ऊबने लगे थे।
अभी भी वोही हुआ।