The Constitution Of India (Twenty-fourth Amendment) Act,1971
Statement of Objects and Reasons appended to the Constitution (Twenty-fourth Amendment) Bill, 1971 which was enacted as THE CONSTITUTION (Twenty-fourth Amendment) Act,
1971
STATEMENT OF OBJECTS AND REASONS-
The Supreme Court in the well-known Golak Nath's case [1967, 2 S.C.R. 762] reversed,by a narrow majority, its own earlier decisions upholding the power of Parliament to amend all parts of the Constitution including Part III relating to
fundamental rights.The result of the judgment is that Parliament is considered to have no power to take away or curtail any of the fundamental rights guaranteed by Part III of the Constitution even if it becomes necessary
लोगों ने अपनी स्वतंत्रता कितना भी बडा या महान आदमी हो,
उसके चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए |
वैसे ही उस पर इतना भी भरोसा नहीं करना चाहिए की,उसे प्राप्त अधिकारों का उपयोग,वह लोकतान्त्रिक संस्थाओं ( Destroying Democratic Institutions) को नष्ट करने के लिए करे।
जॉन स्टुअर्ट मिल
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने यह जॉन स्टुअर्ट मिल के विधान का भारत के लोगो को इशारा संविधान सभा में 25/11/1949 के दिन क्यो दिया था?
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने यह इशारा इसलिए दिया था क्योकी उनके लिये सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण स्वतंत्रता है,भारत के लोगो में भक्ती और व्यक्ती पुजा दुनिया के दुसरे देशो से बहुत ज्यादा है।
हम, भारत के लोगों के द्वारा अनवरत भारत का संविधान जागरूकता महाअभियान जारी है, संविधान उद्देशिका, मौलिक अधिकार, मूल कर्त्तव्य, राज्य की नीति के निदेशक तत्व।
समता, समानता, समाजिक न्याय विरोधी विचारधारा के धार्मिक साहित्यों व प्रचार पर भारत की संघ सरकार द्वारा तत्काल बैन लगाना होगा।
~ "अनुच्छेद 13 - मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ " -भाग III – मूलभूत अधिकार
1) इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त सभी विधियाँ उस मात्रा तक शून्य होंगी जिस तक वे इस भाग(अनुच्छेद 12 से 35) के उपबंधों से असंगत हैं।
(2) राज्य,ऐसी कोई विधि नहीं बनाएगा जो इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छीनती है या न्यून करती है और इस खंड के उल्लंघन में बनाई गई प्रत्येक विधि उल्लंघन की मात्रा तक शून्य होगी।
~ "अनुच्छेद 340 - पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति" -भाग XVI – कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध
1) राष्ट्रपति भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के और जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं..
उनके अन्वेषण के लिए और उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो उपाय किए जाने चाहिएं।
उनके बारे में और उस प्रयोजन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान किए जाने चाहिएं और जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान किए जाने चाहिएं
उनके बारे में सिफारिश करने के लिए,आदेश द्वारा,एक आयोग नियुक्त कर सकेगा जो ऐसे व्यक्तियों से मिलकर बनेगा जो वह ठीक समझे और ऐसे आयोग को नियुक्त करने वाले आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिाश्चित की जाएगी।