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प्रचारक: #भारत_का_संविधान, अध्यक्ष : संविधान अनुसंधान प्रकोष्ठ - नई दिल्ली प्रदेश #MihirArmy लक्ष्य : भारत के सभी नागरिक संविधान की भावना से अवगत हों ..✌️
Apr 17, 2023 6 tweets 1 min read
महत्वपूर्ण विषय है।

#उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में लोग वोट माँगने आयेंगे।

हम,भारत के 90% बैकवर्ड क्लास के लोगों को उनसे क्या प्रश्न करने चाहिए?

संवैधानिक नैतिकता,जाति,
पाखंड एवं आडम्बर में से क्या महत्वपूर्ण है आपके लिए? पार्षद के कार्य🇮🇳
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*भारत का संविधान,बारहवीं अनुसूची - अनुसूचियाँ;*

(अनुच्छेद 243ब)

1. नगरीय योजना जिसके अंतर्गत नगर योजना भी है।

2. भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण।

3. आर्थिक और सामाजिक विकास योजना।

4. सड़कें और पुल।
Apr 15, 2023 8 tweets 2 min read
The Constitution Of India (Twenty-fourth Amendment) Act,1971
Statement of Objects and Reasons appended to the Constitution (Twenty-fourth Amendment) Bill, 1971 which was enacted as THE CONSTITUTION (Twenty-fourth Amendment) Act, Image 1971

STATEMENT OF OBJECTS AND REASONS-

The Supreme Court in the well-known Golak Nath's case [1967, 2 S.C.R. 762] reversed,by a narrow majority, its own earlier decisions upholding the power of Parliament to amend all parts of the Constitution including Part III relating to
Apr 15, 2023 5 tweets 1 min read
भारत में लोकतंत्र सफल न होने के महत्वपूर्ण कारण;

1) सामाजिक विषमता, (क्रमिक असमता और ऊच, नीच पर आधारित जाती,वर्ण)

2) सशक्त विपक्ष न होना,Lack of Strong Opposition Party

3) लोगों में लोकनिष्ठा न होना, Lack of PUBLIC Loyalty Image 4) लोगों में संवैधानिक नैतिकता
न होना,Lack of Constitutional Morality in the People of India

5) स्वतंत्र,निष्पक्ष और पारदर्शक चुनाव संपन्न न होना Not to held free fair and transparent Election
Apr 15, 2023 4 tweets 1 min read
लोगों ने अपनी स्वतंत्रता कितना भी बडा या महान आदमी हो,
उसके चरणों में अर्पित नहीं करना चाहिए |

वैसे ही उस पर इतना भी भरोसा नहीं करना चाहिए की,उसे प्राप्त अधिकारों का उपयोग,वह लोकतान्त्रिक संस्थाओं ( Destroying Democratic Institutions) को नष्ट करने के लिए करे।

जॉन स्टुअर्ट मिल Image डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने यह जॉन स्टुअर्ट मिल के विधान का भारत के लोगो को इशारा संविधान सभा में 25/11/1949 के दिन क्यो दिया था?
Apr 15, 2023 4 tweets 6 min read
भारत का संविधान ही जीवन है।
@rashtrapatibhvn

हम, भारत के लोगों के द्वारा अनवरत भारत का संविधान जागरूकता महाअभियान जारी है, संविधान उद्देशिका, मौलिक अधिकार, मूल कर्त्तव्य, राज्य की नीति के निदेशक तत्व।

#SupremeCourtOfIndia @barandbench @LokSabhaSectt @PMOIndia @HMOIndia @RahulGandhi @laluprasadrjd @mkstalin @Mayawati @yadavakhilesh @jayantrld @yadavtejashwi @SachinPilot @ChiefMihirArmy @maheshindia @LtGovDelhi @ArvindKejriwal @Profdilipmandal @Fight4RightTeam @JANTA_KI_AAWAJ_ @TribalArmy @HemantSorenJMM @WamanCMeshram
Apr 15, 2023 6 tweets 2 min read
समता, समानता, समाजिक न्याय विरोधी विचारधारा के धार्मिक साहित्यों व प्रचार पर भारत की संघ सरकार द्वारा तत्काल बैन लगाना होगा।

~ "अनुच्छेद 13 - मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियाँ " -भाग III – मूलभूत अधिकार Image 1) इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त सभी विधियाँ उस मात्रा तक शून्य होंगी जिस तक वे इस भाग(अनुच्छेद 12 से 35) के उपबंधों से असंगत हैं।
Apr 15, 2023 5 tweets 1 min read
~ "अनुच्छेद 340 - पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए आयोग की नियुक्ति" -भाग XVI – कुछ वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध

1) राष्ट्रपति भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के और जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं.. Image उनके अन्वेषण के लिए और उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिए  संघ या किसी राज्य द्वारा जो उपाय किए जाने चाहिएं।

उनके बारे में और उस प्रयोजन के लिए  संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान किए जाने चाहिएं और जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान किए जाने चाहिएं
Mar 27, 2023 5 tweets 2 min read
सांसद प्रत्याशियों और सांसदों द्वारा ली जाने वाली शपथ/प्रतिज्ञान
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*भारत का संविधान, तीसरी अनुसूची,*

*3 (क)* संसद के लिए निर्वाचन के लिए अभ्यर्थी द्वारा ली जाने वाली शपथ या किए जाने वाले प्रतिज्ञान का प्ररूप :- 'मैं,अमुक,जो राज्यसभा (या लोकसभा) में स्थान भरने के लिए अभ्यर्थी के रूप में नाम निर्देशित हुआ हूँ ईश्वर की शपथ लेता हूँ/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ कि मैं विधि द्वारा स्थापित *भारत का संविधान* के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा
Mar 26, 2023 5 tweets 2 min read
25 मार्च 1931 को भगत सिंह व अन्य साथियों को फाँसी दी गई।

का प्रमुख कारण है कि भगत सिंह द्वारा अछूतों के लिए पृथक निर्वाचन की माँग का पुरज़ोर समर्थन करना।

पाखंडी वर्ग द्वारा षड्यंत्र रच अन्तिम इच्छा से भी उन्हें वंचित रखा गया कि गोली से उड़ाओ,फाँसी नहीं।

..🧵 अंग्रेजों तथा गांधी द्वारा अपील थी कि आजीवन कारावास की सजा हो।

पाखंडी वर्ग जानता था कि यदि जीवित रहा तो भगत सिंह 1932 में बाबा साहब डॉ बी आर अम्बेडकर के पुना पैक्ट के समर्थन में साथ देगा।

भगत सिंह अछूतों के संवैधानिक अधिकारों के पक्षधर थे।

पानी,सड़क,सार्वजनिक स्थानों पर समान..
Mar 25, 2023 4 tweets 1 min read
"#ब्राह्मण_सबके_बाप_हैं " यह नारे जयपुर ब्राह्मण महापंचायत के पांडाल से लगाए गए।

यह नारा न सिर्फ जातीय विद्वेष बल्कि इस देश में ब्राह्मणवाद की चरम सीमा को दिखा रहा हैं.

किसी का बाप बनना या किसी को नाजायज मानना अपने आप में महिला विरोधी नारा हैं!

अनुच्छेद 19(2) का उल्लंघन है। ~ "अनुच्छेद 19 - वाक्‌-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण" -भाग III – मूलभूत अधिकार

[(2) खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर
[भारत की प्रभुता और अखंडता]****, राज्य की सुरक्षा,विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों,
Mar 25, 2023 16 tweets 3 min read
यदि भारत देश में *लोकतंत्र* को जीवित रखना है।
तो हम, भारत के लोगों के बीच *भारत का संविधान, अनुच्छेद - 19* का राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार करना बेहद जरूरी है।
सर, मैडम अनुच्छेद 19

(1) सभी नागरिकों को--
(क) वाक्‌-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य का,
(ख) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का,
(ग) संगम या संघ बनाने का,
(घ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का,
(ङ) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का, [और]*
Mar 10, 2023 5 tweets 2 min read
*भारत का संविधान,अनुच्छेद - 28 : कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता, भाग - III, मूलभूत अधिकार;*

1) राज्य-निधि से पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। 2) खंड (1) की कोई बात ऐसी शिक्षा संस्था को लागू नहीं होगी जिसका प्रशासन राज्य करता है किंतु जो किसी ऐसे विन्यास या न्यास के अधीन स्थापित हुई है जिसके अनुसार उस संस्था में धार्मिक शिक्षा देना आवश्यक है।

3) राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य-निधि से सहायता पाने वाली शिक्षा संस्था
Mar 10, 2023 6 tweets 2 min read
*भारत का संविधान,अनुच्छेद - 25 : अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने,आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता, भाग - III, मूलभूत अधिकार;*
1) लोक व्यवस्था,सदाचार और स्वास्नय तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।

2) इस अनुच्छेद की कोई बात किसी ऐसी विद्यमान विधि के प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या राज्य को कोई ऐसी विधि बनाने से निवारित नहीं करेगी जो--
Mar 10, 2023 12 tweets 2 min read
भक्त प्रह्लाद के नाम की आड़ के पीछे आर्यों की बदसलूकी का षड्यंत्र छिपाने का प्रयोग किया गया।

राजा बली के पिता का नाम

विरोचन था।

विरोचन के पिता का नाम

प्रह्लाद था।

प्रह्लाद के पिता का नाम

हिरण्यकश्यप था।

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी,

जिसका नाम होलिका था। जिसका नाम होलिका था।

होलिका युवा और बहादुर

लड़की थी।

वह आर्यों से युद्ध में

हिरण्यकश्यप के समान ही

लड़ती थी।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद
Mar 9, 2023 4 tweets 1 min read
What is Constitutional Morality?

संवैधानिक नैतिकता क्या है? ग्रिस का इतिहासकार ग्रोट के अनुसार संवैधानिक नैतिकता मतलब संवैधानिक सिद्धांतो के प्रति सर्वोत्तम सन्मान रखकर कानून(भारत का संविधान) के निश्चित दायरे में रहकर
काम करनेवाले नागरिक,सरकार के आदेशो का पालन करते हुए,उनको खुद की राय और कार्य को स्वतंत्रता से अभीव्यक्त करना चाहिए और जनता
Mar 8, 2023 4 tweets 2 min read
भारत का संविधान का अनुच्छेद 25 में सभी वर्गों के भारत के नागरिकों को उनके धर्म का पालन एवं प्रचार प्रसार की स्वतंत्रता दी गई है और विषय को मौलिक अधिकारों में रख न्यायालय को संरक्षक बनाया गया है।

..🧵 ImageImageImageImage न्यायालय के पास किसी भी विशेषत: मौलिक अधिकारों के विषय पर स्वतः संज्ञान का विशेषाधिकार भी है।

पर प्रशासन के सुस्त आचरण पर न्यायालय द्वारा संज्ञान न लेना दुर्भाग्यपूर्ण है।

न्यायालय को चाहिए कि अनुच्छेद 25 पर व्याख्या जारी करें।ताकि ब्राह्मणवादियों द्वारा दुष्प्रचार पर रोक लगे।
Mar 8, 2023 10 tweets 2 min read
डॉ.अंबेडकर जानते थे कि वे जिस वर्ग के लिए संघर्ष कर रहे हैं।वह सामाजिक,आर्थिक,शैक्षिक और राजनीतिक,सब तरह से कमजोर है।उस स्थिति से लड़ना और जीतना कोई आसान काम नहीं।यह चौतरफा लड़ाई थी,जिसमें एक ओर ताकतवर हिंदू(ब्राह्मणवाद) धर्म-रक्षक भी थे। लंबी चली लड़ाई में डॉ.अंबेडकर ने कई आंदोलन किए।मंदिर प्रवेश के मुद्दे पर उन्होंने 1927-30 के बीच अछूतों के साथ नाशिक के काला राम मंदिर,पूना के पार्वती और अमरावती के अंबादेवी मंदिर में प्रवेश किया,जहां उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा।
Mar 8, 2023 5 tweets 1 min read
कमजोर सामाजिक तबकों की स्त्रियों की स्थिति बदलने का संघर्ष डॉ.अंबेडकर के लिए एक महायुद्ध था,जिससे वे एक योद्धा की तरह लड़े। उनका संघर्ष देश के उस तबके के लिए था जो सम्मान और न्याय के लिए सदियों से संघर्ष कर रहा था। डॉ.अंबेडकर को वंचितों और स्त्रियों के लिए हर उस स्थिति से लड़ना था जो उनके हालात के लिए जिम्मेदार थी।उन्होंने समय-समय पर ऐसे कई आंदोलन किए,जिन्होंने हिंदू धर्म की जड़ों पर चोट की।
Mar 8, 2023 6 tweets 2 min read
चार साल बाद कानूनमंत्री के रूप में डॉ.अंबेडकर ने एक बार फिर हिंदू कोड बिल को संसद में रखा, लेकिन उनकी तमाम कोशिशें बेकार हो गई जब यह बिल भारी मतों से पराजित हो गया।हिंदू कोड बिल का पराजित होना आंबेडकर की निगाह में उनकी निजी हार थी। स्त्री अधिकारों के प्रति वे कितने संवेदनशील थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस हार के बाद उन्होंने 27.11.1951 को कानूनमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। तब से आज तक इस बिल को कई टुकड़ों में पारित किया गया,
Mar 8, 2023 4 tweets 3 min read
अप्रैल 1947 में डॉ.अंबेडकर ने #हिंदू #कोड #बिल का मसविदा तैयार कर संविधान सभा में रखा,जिस पर बहस होनी थी।यह बिल मुख्य रूप से संयुक्त या अविभाजित हिंदू परिवार में संपत्ति के अधिकार से संबंधित था।यह अगर उस वक्त पारित हो गया होता तो स्त्रियों को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में #मील का #पत्थर साबित हो सकता था। यह सिर्फ स्त्री अधिकारों पर आधारित था और यही इस बिल की खासियत थी। इसमें स्त्रियों को अपनी मर्जी से #विवाह और #तलाक,पति से अलग रहने पर गुजारा भत्ता,गोद लेने (बच्ची को भी गोद लिए जाने) और बच्चों के संरक्षण का भी अधिकार दिया गया था।
Mar 8, 2023 6 tweets 4 min read
डॉ.अंबेडकर को वायसराय की काउंसिल में 20.7.1942 को बतौर श्रम - सदस्य शामिल किया गया। वहां अपने चार साल (1942-46) के कार्यकाल में उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण कानून बनाए और कई पुराने कानूनों में बदलाव किए। यह उन्हीं की देन है कि भारतीय श्रम कानून का स्वरूप न केवल बदला,बल्कि कहीं ज्यादा #मानवीय हुआ और महिला श्रमिकों के लिए विशेष सुविधाएं लागू की गईं। #कारखानों और #खदानों में काम के घंटे घटाकर फिर से निर्धारित किए गए। स्त्री और पुरुष श्रमिकों के लिए समान वेतन के अधिकार का भी प्रावधान किया गया।