SHANGHAI INTERNATIONAL ENERGY EXCHANGE (INE) STARTED OIL FUTURES IN PETROYUAN AND GOLD
वर्षों की तैयारी के बाद, शंघाई इंटरनेशनल एनर्जी एक्सचेंज (INE) ने मार्च 2018 में चीनी मुद्रा युआन (Yuan) में कच्चे तेल का ख़रीद-बिक्री (अनुबंध) शुरू किया मगर सऊदी अरब तथा OPEC+ देश डॉलर ($) मे
ही दुनिया में अपना तेल और गैस बेचते रहे।शंघाई एक्सचेंज INE मे अनुबंध (Futures) ब्रेंट क्रूड ऑयल पर ख़रीद-बिक्री आधारित है, जो तेल की कीमतों के लिए वैश्विक बेंचमार्क है।
हालांकि चीन के विकास और विश्वगुरु बनने के लिए तेल का आयात और आपूर्ती एक बहुत बड़ा मुद्दा है।
आज दुनिया में चीन सब से बड़ा तेल और गैस का आयातक देश है क्योंकि इस की आबादी 1.4 billion है।मगर तेल उत्पादक देश ख़ास कर ओपेक और सऊदी अरब चीनी मुद्रा मे तेल बेच कर या व्यापार कर ज्यादा युआन रिजर्व जमा नहीं करना चाहते हैं और चीन यह बात अच्छी तरह से जानता है।
यही कारण है कि चीन ने अब हांगकांग और शंघाई एक्सचेंजों में सोना (Gold) के एक्सचेंजों के माध्यम से कच्चे तेल के युआन के अनुबंध को सोना (Gold) में परिवर्तित करने की क्षमता के साथ जोड़ दिया है।यानि, अब कोई भी तेल उत्पादक देश तेल चीनी मुद्रा में बेचे और चाहें तो वह एक्सचेंज से गोल्ड
ख़रीद कर अपने देश ले जा सकते हैं।यह गोल्ड की सुविधा युआन के साथ पहले नहीं थी और न अभी डॉलर के साथ है।
सऊदी अरब 1946 से डॉलर मे तेल बेचता है।1971 मे अमेरिका द्वारा डॉलर ($) को Bretton Woods international monetary system से ख़त्म करने के बाद भी लगभग 50 वर्षों से, सउदी अरब तेल डॉलर
मे ही बेच रहा है, जिस कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था को Petrodollar अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस साल सऊदी अरब की ऐतिहासिक यात्रा, GCC नेताओं के साथ बैठक और ईरान-सऊदी अरब की दोस्ती के बाद सऊदी और GCC और ईरान सरकार युआन में तेल बेचने को तैयार है।
GCC के देश दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस निर्यातक हैं और चीन GCC का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है।
चीन का यह Petroyuan प्रयोग कोई संयोग नहीं है, बलकि यह अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में बदलाव के संकेत हैं।
क्योंकि अब चीन मे तेल Bretton Woods gold monetary system पर आधारित ख़रीद-बिक्री होगी। #नोट: भारत की आबादी चीन से ज़्यादा हो गई मगर भारत GDP और विकास में "हे राम से जय श्री राम" दंगा के कारण चीन से 2-3 पुश्त पिछे चला गया है।नीचे जीडीपी का ग्राफ देखें।
Zaman sir
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आपको ईश्वरप्पा नामक कर्नाटक के एक मंत्री की स्मृति होगी । एक ठेकेदार ने उनके नाम का नोट लिखकर जान दे दी थी कि ईश्वरप्पा 40% कमीशन लेते हैं जो दे पाना असंभव है । तबसे बीजेपी की कर्नाटक सरकार पर 40% कमीशन की सरकार का ठप्पा लगा हुआ है ।
बाद में ईश्वरप्पा को मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा था क्योंकि तब एक बीजेपी कार्यकर्ता और ठेकेदार संतोष पाटिल ने भी एक रोड के ठेके में उससे 40% माँगे जाने पर इन्हीं ईश्वरप्पा के नामका सुसाइड नोट लिखा और जान दे दी थी ।
अब इन्हीं ईश्वरप्पा से विद्रोही उम्मीदवार न बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदीजी गिड़गिड़ा रहे हैं और ईश्वरप्पा ने इसके वीडियो/ आडियो को मीडिया को दे दिया है । नोएडा मीडिया में तो यह ग़ायब है लेकिन कर्नाटक के स्थानीय चैनलों और सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया है ।
जो बॉटनी के विशेषज्ञ न हो, उन्हें बताऊँ पौधे के मुरझा जाने को वैज्ञानिक भाषा मे प्लांट विल्टिंग कहते हैं। दो वजहों में एक है - बीमारी, और दूसरा पानी का अभाव..
याने सींचोगे नही, तो पौधा मुरझा जायेगा। मगर क्या सींचने के बावजूद पौधा मुरझा सकता है।
100%
पौधे में हड्डी मसल्स तो होती नही, कि तनकर खड़ा रहे। उसकी कोशिकाओं में जो पानी होता है, वही पूरे टिशू को तानकर रखता है। यदि पानी कम रहा, तो कोशिका ढीली हो जाएगी।
तनने की बजाय पत्तियां झूल जाती हैं।
इसे फिजिकल ड्राइनेस कहते हैं। पानी का अभाव हुआ, पौधा मुरझाया। सिंचाई कर दी, पौधा खिल गया। बशर्तें जो पानी डाला है, उसकी सांद्रता पौधे के भीतर मौजूद पानी से कम हो।
आज का इटली कभी रोमन राज हुआ करता था। पर जब रोम गिरा, तो वह दौर भी आया जब इस पर तमाम दूसरे आक्रांताओं ने कब्जा जमाया। यहां छोटे छोटे राज्य हो गए, और बहुत से राजे महाराजे।
1850 के बाद गैरीबाल्डी ने इटली का एकीकरण किया औऱ मौजूदा इटली अस्तित्व में आया। इसमे मेनलैंड से अलग आइलैंड भी शामिल था,
इसे सिसली कहते हैं।
सिसली में बड़े छोटे जमींदार थे, कानून व्यवस्था बनाकर रखते। मगर जब नेशन स्टेट बन गया, उनके अधिकार छिन गए।
पुलिस रखी गयी। जो नाकाफी थी। जमींदारो के अत्याचार से परेशान गरीब सिसली वाले, बागी बन जाते। गैंग बनाते, धनिकों को मारते, लूट लेते। ये करने वाले बहादुर थे, जनता के हीरो थे।
माफिया का मतलब "बहादुर" या "जांबाज" ही होता है। आगे चलकर यह बेरोजगार लड़कों का धंधा बन गया।
एक गांव में एक दाढ़ी वाले बाबा आये। उनके आने से पहले उनके चेले चपाटों ने गांव में हवा फैला दी कि बाबाजी 35 साल हिमालय में भीख मांग कर तप जप किये हैं। बहुत चमत्कारी बाबा हैं।
आते ही विलेज को विला बना देंगे।
बाबाजी आये झोला लेकर। सबने मिलकर बाबाजी को गांव की सत्ता थमा दी।
बाबाजी और उसके चेलों ने मिलकर धूमधाम नौटंकी शुरु की।
त्राहिमाम मचा दिया।
जब रोज रोज नई नौटंकियां फेल होने लगीं, तो बाबाजी ने सभी भक्तों को बुलाकर कहा, मैं आप लोगों को दिन में तारे दिखाऊंगा। और ये योग पूरे 78000 साल बाद आता है। सच्चे मन का जो होगा, छल कपट रहित और जो एक बाप की
संतान होगा सिर्फ उसे ही दिन में तारे दिखेंगे।
भक्त तो भक्त! कुछ नया देखने मिलेगा। चल पड़े बाबाजी के साथ। बाबाजी एक गहरे सूखे कुएं के पास ले गए और सबको अंदर जाने को कहा।सब भक्त कुएं में उतर गए और बाबाजी ने लाउडली सबको कहा कि ऊपर आसमान में देखो। तारे दिखेंगे।
चुहिया को हल्दी की गांठ मिल गई तो वह खुद को पंसारी समझ बैठी
जब से नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए हैं, लगातार ही अपने आप को भारत का सबसे विशिष्ट, सबसे महान, सबसे विद्वान, सबसे दूरदर्शी, सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त, सबसे बड़ा धर्मपरायण, सबसे बड़ा हिन्दू,
सम्राट और यहां तक कि परमपिता परमेश्वर के अवतार के रूप में भी प्रक्षेपित और प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं। आत्म-प्रचार का ऐसा रोग आजतक किसी को भी नहीं लगा था। चौबीसों घंटे, सातों दिन और बारहों महीने अपने इसी मिशन में लगे हुए हैं।
पर सबसे दुखद बात यह है कि इतना सब कुछ करने,सारे तामझाम अपनाने और बेशुमार दौलत खर्च करने के बावजूद भी भारत की जनता यह मानने को तैयार नहीं है कि वे भारतीय इतिहास के सबसे महान व्यक्तित्व और शासक हैं।लगातार जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को अपमानित करते हुए भी वे उनके द्वारा स्थापित