#सांगरी
यह खेजड़ी का पेड़ है जो रेगिस्तान का कल्पवृक्ष के रूप में भी जानते हैं।पश्चिमी राजस्थान में यह बहुतायत में पाया जाता है यह मरुस्थलीय वनस्पति का हिस्सा है।इसका वानस्पतिक नाम Prosopis cineraria है।इस पेड़ पर फूल आते है उसे स्थानीय भाषा में #मिंझर या मिमझर कहते है,
कई बार मिंझर पर मिश्री जैसे मीठे शक्कर के दानों जैसे दानें भी देखने को मिलते है जो बहुत स्वादिष्ट व मीठे होते जिसे #मेहरी कहते है।खेजड़ी पर जो फल आते है उन्हें #सांगरी कहते है जो एक सौ प्रतिशत ऑर्गेनिक सब्जी होती है सांगरी की सब्जी बहुत ही लजीज होती है जो बड़े चाव से खाई
जाती है।राजस्थान की प्रसिद्ध सब्जी #पचकुटा का एक हिस्सा सांगरी होती है।सांगरी जब पेड़ पर ही पक जाती है तो उसे #खोखा कहते है जो हरे व सूखे दोनों रूप में खाये जाते है लोगों द्वारा।यह खोखे पशुओं को भी खिलाये जाते है।खेजड़ी के पत्तो को #लूंक कहते है जो मुख्यतः भेड़-बकरियों को
खिलाया जाता है।खेजड़ी के नए पौधे बहुत ही धीरे पनपते है इसलिए पुराने पेड़ों का संरक्षण आवश्यक है व नये पेड़ लगाने भी काफी आवश्यक है।खेजड़ी को #जांटी, #शमी आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।इसके महत्व को देखते हुए इसे मरुस्थल की जीवन रेखा कह दें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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श्रीमती प्रियंका वाड्रा उर्फ वियेंका वाड्रा,
पहले आप ये बताये की आपका बाप कौन से युद्ध में शहीद हुआ था ? कई दिनों से अपने भूमाफिया पति को बचाने के लिए अपने बाप को शहीद बोलकर ये शहीदों का अपमान कर रही है !
अपने कर्मो से मरनेवाले अगर शहीद होते है फिर तो अजमल कसाब, अफजल..
गुरु इनको भी शहीद कहे दो । राजीव गांधी के जमाने में 1984 के सिक्ख विरोधी कांग्रेस प्रायोजित दंगो के बाद भी पूरे देश में खोज खोज कर सिक्खो के सैकड़ों इनकाउंटर किये गए .. ना जाने कितने मासूम तथा निर्दोष सिक्खो को उत्तर प्रदेश की तराई इलाको में मारा गया ...
वियेंका वाड्रा जी
आपके अब्बू कश्मीर में आतंकवाद के दौर में भी तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन को परेशान किया करते थे .. जबकि उस समय कश्मीर को भारत से अलग किये जाने की साजिशे अंजाम दी जा रही थी .. आपके अब्बू की चलती तो आज कश्मीर भारत से कट कर एक स्वतंत्र इस्लामी देश बन गया होता ... वियेंका वाड्रा जी कभी
श्रीमती प्रियंका वाड्रा,
... पहले तो एक बात समझ लो की शहीद कहते किसको हैं ।
* कारगिल में जब Maj PP Acharya उस रात अपने 6 साथियों के साथ निकले थे तो वो जानते थे की वापस नहीं आएंगे । वो एक ऐसे असंभव मिशन पे जा रहे थे जहां उनके 18 साथी पिछले 3 दिन में शहीद हो चुके थे । उस शाम उनके
कमांडर ने रोल काल में पूछा था । आज कौन जायेगा ? तब Maj. Acharya ने कहा था "मैं जाऊंगा" ... वो गए और वापस नहीं आये । वो जानते थे की वो निश्चित रूप से मौत के मुह में जा रहे हैं फिर भी गए ! ... इसलिए उन्हें हम शहीद कहते है।
* मुंबई में तुका राम ओम्ब्ले ने AK47 से अन्धा धुंद गोलियां
बरसाते कसाब को दबोच लिया था और गोली लगने के बाद भी नहीं छोड़ा था । इसलिए उसे शहीद कहते हैं ।
* उन्नी कृष्णन जानते थे की Taj Hotel के उस कमरे में एक Terrorist AK 47 ले के बैठा है फिर भी दरवाज़ा तोड़ के उस कमरे में घुस गए । इसलिए उन्हें शहीद कहते हैं ।
मुंबई हाईकोर्ट में एनआईए ने एंटीलिया कांड की पूरी चार्जशीट दाखिल की यह पूरा खेल 10 सालो तक शिव सैनिक रहा सचिन वजे और शिवसेना से चुनाव लड़ चुका प्रदीप शर्मा ने रचा था इसमें एनआईए ने अपनी चार्जशीट में लिखा है यह दोनों मुकेश अंबानी परिवार को डराना चाहते थे और डराने के बाद उनसे मोटी
फिरौती वसूलना चाहते थे और साथ ही साथ सचिन वजे इस केस के बहाने मुंबई महाराष्ट्र सरकार में अपनी धाक भी जमाना चाहता था इसके लिए उन लोगों ने मनसुख हिरेण को अपने जाल में फंसायाऔर फिर उसकी हत्या करके उसकी लाश को समुंदर में सड़ने के लिए छोड़ दिया बाद में यह प्लानिंग थी कि मनसुख हूरेन एक
खूंखार आतंकवादी था मैं ही नहीं पूरा देश आज भी यही सोचता होगा कि क्या इतनी गहरी साजिश सिर्फ इन दोनों ने मिलकर रचा होगा और यदि यह मुकेश अंबानी से फिरौती वसूलते तो क्या इतना सारा पैसा सिर्फ अपने पास रखते या यह किसी और को भी उसमें से हिस्सा देने वाले थे
और आखिर एक ऐसा शख्स जो 15
भगत सिंह की बैरक की साफ-सफाई करने वाले #वाल्मीकि समाज के व्यक्ति का नाम #बोघा था। भगत सिंह उसको बेबे (मां) कहकर बुलाते थे। जब कोई पूछता कि भगत सिंह ये भंगी बोघा तेरी बेबे कैसे हुआ? तब भगत सिंह कहता, मेरा मल-मूत्र या तो मेरी बेबे ने उठाया, या इस भले पुरूष बोघे ने। बोघे में मैं
अपनी बेबे (मां) देखता हूं। ये मेरी बेबे ही है।यह कहकर भगत सिंह बोघे को अपनी बाहों में भर लेता।भगत सिंह जी अक्सर बोघा से कहते, बेबे मैं तेरे हाथों की रोटी खाना चाहता हूँ। पर बोघा अपनी जाति को याद करके झिझक जाता और कहता, भगत सिंह तू ऊँची जात का सरदार, और मैं एक अदना सा भंगी, भगतां
तू रहने दे, ज़िद न कर।
सरदार भगत सिंह भी अपनी ज़िद के पक्के थे, फांसी से कुछ दिन पहले जिद करके उन्होंने बोघे को कहा बेबे अब तो हम चंद दिन के मेहमान हैं, अब तो इच्छा पूरी कर दे!
बोघे की आँखों में आंसू बह चले। रोते-रोते उसने खुद अपने हाथों से उस वीर शहीद ए आजम के लिए रोटिया बनाई,
द केरल स्टोरी में जिस बारीकी से केरल की सुंदरता को फ़िल्माया गया है, उसे देखने के बाद लगता है कि कोई इतने सुंदर और अद्भुत स्थान पर जन्म लेकर भला किस मूर्खता में सीरिया और ईरान के रेगिस्तान में धूल फाकने जा सकता है?
फ़िल्म में यह देखकर भी एक घबराहट होती है कि इतने सुंदर स्थान को
कबाइली कैसे धीरे धीरे तहसील दर तहसील चट करते जा रहे हैं और इन सब परिस्थितियों से अंजान हिंदू समाज सेक्यूलरीज़म और कम्युनिजम की अफ़ीम पीकर मस्त हैं।मैंने जब से इस फ़िल्म को देखा है, मेरा दिमाग़ उसी में कई दिन से लगा हुआ है।मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि परसों फ़िल्मों के इतिहास में
वहीं कीर्तिमान बनने जा रहा है जो कश्मीर फ़ाइल ने बनाया था। सभी लोग इस फ़िल्म को बच्चियों को अवश्य दिखाएं। कुछ मित्रों ने यह पूछा है कि किस उम्र तक के बच्चियों को फ़िल्म दिखानी चाहिए? मेरा स्पष्ट मत है कि कालेज जाने वाली प्रत्येक बच्ची को यह फ़िल्म दिखाना आवश्यक है। फ़िल्म में दो