गुजरात में महिलाओं के गायब होने पर एक आधी अधूरी खबर को आधार बनाकर जिस तरह का हाय तौबा मचाया गया उसका शिकार मैं भी हो गया था मुझे भी लगा की स्थिति को चिंताजनक है दरअसल मैं यह भूल गया था कि आज के समय में मोदी विरोधी मीडिया काफी नीचता पर उतर चुकी है इन तस्वीरों में से एक तस्वीर उसी
संस्था के डाटा का है यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो डाटा का है जिसमें पूरे राज्यों की संख्या दी गई अब आप देखिए बंगाल आंध्र प्रदेश तमिलनाडु जैसे तमाम राज्यों में स्थिति कितनी भयावह है लेकिन अखबार ने दूसरे किसी राज्य पर चिंता नहीं जताई उसे गुजरात के नाम में मसाला मिलना था तो उसने
सिर्फ गुजरात के बारे में ही छाप दिया लेकिन इसका दूसरा सबसे खतरनाक पहलू यह है की अखबार ने यह नहीं छापा कि इसमें से 95% महिलाओं और लड़कियों को सकुशल उनके घर पहुंचा दिया गया है ज्यादातर महिलाएं पारिवारिक झगड़े परीक्षा में फेल होने का डर मानसिक तनाव प्रेम प्रसंग के चलते घर छोड़ कर गई
कल टाइम्स नाउ नवभारत की पत्रकार भावना की रेगुलर जमानत और कैमरामैन तथा ड्राइवर की जमानत की सुनवाई पंजाब हाई कोर्ट में लिस्टेड थी और जैसेही जज साहब चेंबर में आए उन्होंने एक लाइन लिख दिया नॉट बिफोर मी ..यानी खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया इसके पहले राहुल गांधी ने जो मोदी समुदाय पर
आपत्तिजनक बयान दिया था उसकी गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक महिला जज ने नॉट बिफोर मी कर दिया था जज लोग सिर्फ नॉट बिफोर मी क्यों लिखते हैं ? वह पूरा कारण बताएं कि वह किस कारण से खुद को इस याचिका को सुनने से इनकार कर रहे हैं..पूर्व में कुछ जजों ने पूरा कारण बताया भी है
जैसे एक जज दो कंपनी के विवाद में यह कहकर याचिका को not before me कर दी है कि मैं इसमें से एक कंपनी का पूर्व में वकील रह चुका हूं एक जज ने भी यह कारण लिखा था कि इसमें उनके हितों का टकराव है क्योंकि उनकी पत्नी इससे जुड़ी हुई है लेकिन 1% से भी कम जज लोग पूरा कारणों बताते हैं
जितना मैं #केजरीवाल को जनता हूँ वो रिश्वत नहीं ले सकता !
वो देश विरोधी #JNU के पक्ष में खड़ा हो सकता है । वो देश की #सेना के मान-सम्मान की धज्जियां उड़ा सकता है । वो #सर्जिकल_स्ट्राइक जैसे देश हित के फैसले पर सवाल उठा सकता है । वो #शीला_दीक्षित के खिलाफ #600पन्नों के सबूतो
ं की फाइल दबा सकता है । वो #पंजाब में #आतंकियों के घर रात बसर कर सकता है । ओ देश के लोकप्रिय प्रधान मंत्री को #Psycho कह सकता है । वो अपने बच्चों की #झूठी#कसम खा सकता है । वो 5 करोड़ का वकील कर सकता है । वो सरकारी #97करोड़ से अपनी पार्टी का प्रचार कर सकता है । वो दुनिया के
भ्रष्टम #लालू से मंच साझा कर समता है । वो #मोदी विरोध के लिये देशद्रोहियों का हिमायती बन सकता है । वो #नकली_डिग्री वालों की डिग्री का सत्यापन कर सकता है । वो एक महिला कार्यकर्त्ता को आवाज उठाने पर #कोम्प्रोमाईज़ करने के लिये के सकता है । वो अपनी बीबी पर #कुत्ता छोड़ने वाले को
भ्रष्टाचार खुलने के दिन केजरीवाल के साढ़ू की मौत, उसी अस्पताल में जो केजरी की राजनीति का केंद्र रहा है, संदेह पैदा करता है!
अरविंद केजरीवाल के साढ़ू बंसल जी की उसी दिन मौत हो गयी, जिस दिन उन पर सत्येद्र जैन की मिलीभगत से जमीन घोटाले का आरोप कपिल मिश्रा ने लगाया!
मौत भी उस
मेदांता अस्पताल में हुई, जो अन्ना आंदोलन के समय से केजरीवाल गिरोह का अड्डा रहा है। आपको याद होगा कि मेदांता के मालिक डा त्रेहन अन्ना के मंच पर मौजूद रहते थे, सरकारी डा की जगह अन्ना की जांच डा त्रेहन ही करते थे, अनशन समाप्ति के बाद अन्ना एडमिट भी उसी मेदांता अस्पताल में हुए थे।
आरोप यह भी लगा कि अरविंद केजरीवाल के अलावा पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी और आशुतोष मेदांता में ही अन्ना को राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए मनाने गये थे!
अर्थात् मेदांता अस्पताल शुरू से केजरीवाल की राजनीति का एक अहम हिस्सा रहा है। तो क्या केजरीवाल के साढ़ू बंसल जी की मौत में भी यह
ज्ञानवापी मस्जिद???
नाम ज्ञानवापी...और मस्जिद!!!!!!
चौंके नही आप?
क्या यह नाम कुछ नही,बिना कुछ कहे..मोमिनो के द्वारा किये गये मंदिरो के विध्वंस के दुष्कृत्यों के बारे मे बहुत कुछ कहता है!!
दरअसल बाबरी ढ़ांचा गिरने के बाद कांग्रेस ने ज्ञानवापी के पश्चिम स्थित श्रृंगार गौरी का
दर्शन बिना किसी आदेश के बंद करा दिया था,जिस पर राखी सिंह सहित पांच मातृशक्तियों ने एक मुकदमा वाराणसी के सिविल जज के न्यायालय मे दाखिल करते हुये मांग किया है कि किस आदेश के अंतर्गत श्रृंगार गौरी का पूजन केवल नवरात्रि के चतुर्थी तिथि के अतिरिक्त वर्ष भर के लिये बंद कर दिया गया....
पता चला कि कोई आदेश नही था,बस तुष्टीकरण के लिये कांग्रेस सरकार ने रोक लगाई थी........जिसकी जानकारी होने पर मोदी सरकार ने वहां सदैव दर्शन पूजन का अधिकार देते हुये चोरी गई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से लाकर वहां प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापित करा दिया...तब से ही आदिम कालीन सोच
प्राचीन भारत के 13 विश्वविद्यालय, जहां पढ़ने आते थे दुनियाभर के छात्र। तुर्की मुगल आक्रमण ने सब जला दिया । बहुत हिन्दू मंदिर लूटे गये। नही तो मेगास्थनीज अलविरुनी इउ एन सांग के ग्रन्थो मे अति समृद्ध भारत का वर्णन है।
वैदिक काल से ही भारत में शिक्षा को बहुत महत्व दिया गया है।
इसलिए उस काल से ही गुरुकुल और आश्रमों के रूप में शिक्षा केंद्र खोले जाने लगे थे। वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया। भारत की शिक्षा पद्धति भी और ज्यादा पल्लवित होती गई। गुरुकुल और आश्रमों से शुरू हुआ शिक्षा का सफर उन्नति करते हुए विश्वविद्यालयों में तब्दील होता गया।
पूरे भारत में प्राचीन काल में 13 बड़े विश्वविद्यालयों या शिक्षण केंद्रों की स्थापना हुई।8 वी शताब्दी से 12 वी शताब्दी के बीच भारत पूरे विश्व में शिक्षा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध केंद्र था।गणित, ज्योतिष, भूगोल, चिकित्सा विज्ञान(आयुर्वेद ),रसायन, व्याकरण और साहित्य के साथ ही अन्य