दिल्ली की इस वीडियो ने सभी को अंदर तक झंझोर कर रख दिया है। चाकू से 40 वार, फिर पत्थर से कुचलकर 16 साल की लड़की को मार डाला। और मारने वाला भी कोई ज्यादा उम्र का नहीं है ना ही कोई पेशेवर कातिल है। फिर ऐसे अपराध को करने की हिम्मत आयी कहां से?
बच्चे इतने जघन्य अपराध कैसे और क्यों करने लगे? मैं यहां किसी धार्मिक एंगल का समर्थन नहीं कर रही। क्योंकि आजकल इस तरह की घटनाओं में हर धर्म के लोग लिप्त हैं।
बात ये है के किसी भी जघन्य अपराध को करने की प्रेरणा और हिम्मत कहां से मिलती है?
साहिल तो अपराधी है ही लेकिन इस के इस अपराध में क्या इसकी परवरिश क्या सामाजिक ताना बाना और क्या कानून भी शामिल नहीं है?
कोई मां बाप नहीं चाहता के उनका बेटा या बेटी अपराधी बने। समाज भी शांति ही चाहता है। कानून भी लोगों की रक्षा के लिए ही बनाए गए हैं।
"तो फिर ज़िम्मेदार कौन है?"
ये कोई पहली घटना नहीं है और ना ही आखिरी है। स्थिति बहुत गंभीर है। इसका अंदाजा इस वीडियो में वारदात के समय वहां के लोगों के चुपचाप गुजरने वाले लोगों से लगाया जा सकता है। तो क्या बच्चियों को यूं ही मरने दें और लड़कों को यूं ही अपराधी बनने दें।
"कहीं तो इन यातनाओं का अंत होना चाहिए"
संवेदनहीनता इस कदर बढ़ गई है के एक बच्ची को कोई वहशी बन कर ताबड़तोड़ चाकू से गोद कर लहूलुहान कर रहा है, पत्थर से उसके सिर के टुकड़े कर रहा है लेकिन लोग ऐसे आ जा रहे हैं जैसे कुछ हो ही नहीं रहा हो।
"अगर ये लोग बीच में आ जाते तो ये बच्ची आज जिंदा होती।"
आप सब अपनी राय दें 🙏
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मेडल के साथ ईनाम में मिले 10 करोड़ के नोट भी गंगा में बहा दिए।
कल का एक अजीब वाक़या सुनिए
पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने की घोषणा कर दी थी। मुझे उनसे सहानुभूति है और मैंने इस गंगा-प्रवाह वाली सूचना और पहलवानों के समर्थन में अपनी
कई लोगों ने like और comments लिखकर अपना समर्थन दिखाने लगे। मेरी friend-list में कुछ अंधभक्त और मूर्ख किस्म के लोग भी हैं। ये लोग सरकार की आलोचना होने वाली प्रत्येक स्थिति में, बिना फीस के पालतू वकील की तरह, विरोधी सवाल और बयानबाज़ी करते हैं
क्या मुद्दा है, उसकी क्या संवेदनशीलता है, क्या प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ऐसी बातों से इन लोगों को कोई मतलब नहीं होता। इनको सिर्फ अपनी वफ़ादारी दिखाने से मतलब है।
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ओशो से पूछा एक साधक ने - भ्रष्ट राजनेताओं से देश को छुटकारा कब मिलेगा? ओशो ने कहा- "बहुत कठिन है क्योंकि प्रश्न राजनेताओं से छुटकारे का नही है, प्रश्न तो तुम्हारे अज्ञान के मिटने का है! तुम जब तक अज्ञानी हो, कोई न कोई तुम्हारा शोषण करता ही रहेगा! twitter.com/i/spaces/1jMJg…
कोई न कोई तुम्हे ठगेगा ही ! पंडित ठगेगा, पुरोहित ठगेगा, मुल्ला-मौलवी ठगेगा, राजनेता ठगेगा! तुम जब तक जाग्रत नहीं हो, तब तक लुटोगे ही, फिर किसने लूटा, क्या फर्क पड़ता है? किस झण्डे की आड़ में लुटे, क्या फर्क पड़ता है? #भारत_माता_की_जय #BharatJodoYatra
समाजवादियो से लुटे या साम्यवादियों से, क्या फर्क पड़ता है ! तुम तो लुटोगे ही ! लुटेरों के नाम बदलते रहेंगे और तुम लुटते रहोगे! इसलिए ये मत पूछो कि भ्रष्ट राजनेताओं से देश का छुटकारा कब होगा? यह प्रश्न ही अर्थहीन है, #भारत_माता_की_जय #BharatJodoYatra