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पीपल वृक्ष वेदों और पुराणों में बहुत महत्वपूर्ण है। पीपल की उत्पत्ति और महत्व के बारे में वेद और पुराणों में कई सूक्ति और श्लोक लिखे गए हैं।
पीपल वृक्ष का महत्व धार्मिक तथों के साथ-साथ वैज्ञानिक तथ्यों में भी होता है। इसे एक पवित्र वृक्ष माना जाता है जो मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आधुनिक युग में पीपल वृक्ष के कुछ प्रमुख वैदिक और वैज्ञानिक तथ्य निम्न हैं
गायत्री के ग्रंथों में 24 गायत्रियों का वर्णन है। चौबीस देवताओं के लिए एक-एक गायत्री है। इस प्रकार 24 गायत्रियों द्वारा 24 देवताओं से संबंध स्थापित किया गया है।
हनुमानजी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं, जो सप्तचिरंजीवियों में से एक हैं, अर्थात जिनकी कभी मृत्यु नहीं हो सकती। इनके सम्बन्ध में अनेक किवदन्तियाँ हैं और आधुनिक युग में भी इन्हें कहीं-कहीं उपस्थित रूप से माना जाता है… twitter.com/i/web/status/1…
बजरंग बाण है तो हनुमान चालीसा जैसा ही पाठ, किन्तु यह हनुमान चालीसा से अधिक प्रभावी है। शत्रु बाधा, तान्त्रिक अभिचार, किया-कराया, भूत-प्रेत, ग्रह दोष आदि के लिए यह बाण की तरह काम करता है। इसीलिए इसका नाम बजरंग बाण है। बजरंग बाण चौपाइयों पर आधारित पाठ है, किन्तु इसकी सफलता इसमें दी… twitter.com/i/web/status/1…
बजरंग बाण से ग्रहदोष समाप्त अगर किसी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हों, तो प्रातः काल बजरंग बाण का पाठ, आटे के दीप में लाल बत्ती जलाकर करें। ऐसा करने से बड़े से बड़ा ग्रह दोष पल भर में टल जायेगा।
३. साढ़ेसाती अगर शनि, राहु, केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दशा, हनुमान चालीसा का पाठ करे… twitter.com/i/web/status/1…
पुस्तकमें लिखी विद्या मनुष्योंको सिद्धि नहीं देती, तन्त्रशास्त्रमें विना गुरुके उपदेशसे किसी प्रकारके कार्यका अधिकार नहीं है।
पुस्तके लिखिता विद्या नैव सिद्धिप्रदा नृणाम्।
गुरुं विनापि शास्त्रेऽस्मिन्नाधिकारः कथंचन॥
अमुक तंत्र(नाम गुप्त)
मंत्र क्या है? किसे कहते है?
जिस मंत्र के आदि, मध्य और अन्तमें वं या यं बीज हों वा चतुर्द्धा और पंचघा स्वरयुक्त हो उसको छिन्न मंत्र कहते हैं।
- जिस मंत्र के आदि, मध्य और अंतमें दो लं बीज हों उसको रुद्ध मंत्र कहते हैं, रुद्ध मंत्र भुक्ति और मुक्तिसे शून्य जानो।