इस लोक मे सकल कल्याण के साघने वाले तथा परलोक मे भी सहायक होकर स्वर्ग की प्राप्ति तथा मोक्ष प्रदान करने वाले श्रौतयज्ञ है।
अथर्ववेद (9/ 16/14) मे आया है कि--
“अयं यज्ञो भुवनस्य नामिः।“… twitter.com/i/web/status/1…
यदि जीवनभर दर्शपूर्णमास न करना हो तो कम से कम तीस वर्ष अवश्य करना चाहिये । यदि 30 वर्ष भी करने मे असमर्थ हो तो उसके विकल्प में दाक्षायण याग का विधान है। यह याग 15 वर्ष करके ही समाच्त कर सकते है, क्योकि दर्शपूर्णमास याग पूर्णिमा से प्रारम्भ कर प्रतिपदा मे समाप्त करते हैँ तथा… twitter.com/i/web/status/1…
इन प्रमाणों से निश्चित है कि सीमन्तोन्नयन आदि संस्कार स्मार्त्त अग्नि मे ही किये जाते हैं।
श्रौतयज्ञ विधिपूर्वक स्थापित श्रौत अन्नि मे ही किये जाते है। श्रौत अन्नि की स्थापना सपत्नीक यजमान के द्वारा ही की जाती है। आधानपूर्वक श्रौताग्नि की स्थापना की जाती है। आधान का समय है--… twitter.com/i/web/status/1…
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दुरित से मुक्ति प्राप्त करने के लिए (यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानितानि विनश्यन्ति प्रदिक्षणं पदे-पदे)… twitter.com/i/web/status/1…
शङ्गारार्चा भवति परमा वादने सा दहिती
ये सुप्तं देवं नमति जनता वादने तं तुतीये ॥
सूर्यास्त के बाद सात बजे भगवान् की आरती की जाती है उसके बाद रात्रि मे भोग लगाया जाता है, भोग के कार्यक्रम के बाद भगवान् को चन्दन -आलेपन का विधान किया जाता है। रात्रि मे दो बजे भगवान् का श्रृङ्गार… twitter.com/i/web/status/1…
गायत्री के ग्रंथों में 24 गायत्रियों का वर्णन है। चौबीस देवताओं के लिए एक-एक गायत्री है। इस प्रकार 24 गायत्रियों द्वारा 24 देवताओं से संबंध स्थापित किया गया है।
हनुमानजी कलयुग में सर्वाधिक जाग्रत देवता माने जाते हैं, जो सप्तचिरंजीवियों में से एक हैं, अर्थात जिनकी कभी मृत्यु नहीं हो सकती। इनके सम्बन्ध में अनेक किवदन्तियाँ हैं और आधुनिक युग में भी इन्हें कहीं-कहीं उपस्थित रूप से माना जाता है… twitter.com/i/web/status/1…
बजरंग बाण है तो हनुमान चालीसा जैसा ही पाठ, किन्तु यह हनुमान चालीसा से अधिक प्रभावी है। शत्रु बाधा, तान्त्रिक अभिचार, किया-कराया, भूत-प्रेत, ग्रह दोष आदि के लिए यह बाण की तरह काम करता है। इसीलिए इसका नाम बजरंग बाण है। बजरंग बाण चौपाइयों पर आधारित पाठ है, किन्तु इसकी सफलता इसमें दी… twitter.com/i/web/status/1…
बजरंग बाण से ग्रहदोष समाप्त अगर किसी प्रकार के ग्रहदोष से पीड़ित हों, तो प्रातः काल बजरंग बाण का पाठ, आटे के दीप में लाल बत्ती जलाकर करें। ऐसा करने से बड़े से बड़ा ग्रह दोष पल भर में टल जायेगा।
३. साढ़ेसाती अगर शनि, राहु, केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दशा, हनुमान चालीसा का पाठ करे… twitter.com/i/web/status/1…
पुस्तकमें लिखी विद्या मनुष्योंको सिद्धि नहीं देती, तन्त्रशास्त्रमें विना गुरुके उपदेशसे किसी प्रकारके कार्यका अधिकार नहीं है।
पुस्तके लिखिता विद्या नैव सिद्धिप्रदा नृणाम्।
गुरुं विनापि शास्त्रेऽस्मिन्नाधिकारः कथंचन॥
अमुक तंत्र(नाम गुप्त)
मंत्र क्या है? किसे कहते है?
जिस मंत्र के आदि, मध्य और अन्तमें वं या यं बीज हों वा चतुर्द्धा और पंचघा स्वरयुक्त हो उसको छिन्न मंत्र कहते हैं।
- जिस मंत्र के आदि, मध्य और अंतमें दो लं बीज हों उसको रुद्ध मंत्र कहते हैं, रुद्ध मंत्र भुक्ति और मुक्तिसे शून्य जानो।