हमेशा बेबाक, बिंदास, दिलकश, रूमानी ...
हर शय में मोहब्बत है छुपाएँ भी तो कैसे,
छलके है तबस्सुम में तो झलके है नज़र से !!
#दिलबरम - one who has stolen my heart
May 15, 2021 • 13 tweets • 5 min read
लानत क़लम पे जिसकी न तेज़ धार हो सकी,
हक़* की पुकार इस मुल्क में न अख़बार हो सकी !!
*truth/rights
#दिलबरम
हो गये सहाफ़ी* ख़ादिम~ निज़ाम-ए-मुल्क के,
सच्चाई पर्दों में रही न आश्कार^ हो सकी !!
*journalists ~servant ^reveal
May 8, 2021 • 10 tweets • 1 min read
शमशान गवाही देंगे सब मुर्दे उठ आएँगे,
सरकार की नाकामी से ये पर्दा उठाएँगे !!
ख़ामोश हैं लब जिनके ऐसी तबाही पर भी,
वक़्त के पन्नों में वो ही मुर्दे कहलाएँगे !!
Apr 10, 2021 • 16 tweets • 9 min read
ख़ुद को बीते वक़्त में ज़ाया* न कीजिए,
तन्हाई को महबूब बनाया न कीजिए !! #दिलबरम
*waste
रुस्वाइयाँ तो इश्क़ में होती हैं इक ख़िताब*,
तोहमत^ की तरह इनको उठाया न कीजिए !! #दिलबरम
*title ^allegation
Apr 3, 2021 • 14 tweets • 7 min read
होती नही ख़्वाबों को जहाँ नींदों की ख़बर भी,
इक शब की ख़ुमारी है जवानी की उमर भी !! #दिलबरम
आने की दिल में रस्म है होकर निगाह से,
क़दमों तले मिलती नहीं यहाँ राह-ए-गुज़र भी !! #दिलबरम
Feb 5, 2021 • 12 tweets • 10 min read
ज़रा सा वक़्त बीतेगा और सब माज़ी हो जाएगा …
फिर किसी दिन बात निकलेगी और माज़ी पुकारेगा … 1/9 #FarmersProtest
तुम्हारी नस्लें तुमसे पूछेंगी कि “ये ग़ैरत क्या होती है?”
तो कहना वो इक बेकार बेदाम सी शय थी
जब एक दिन किसान छोड़ के घरबार खेत परिवार
अपना हक़ माँगने निकले तो उनके रास्तों में हमने
कटीले तार बिछवाए,लोहे की कीलें कुछ गाढ़ी
और उन कीलों के नीचे ये ग़ैरत भी गाढ आए हम #FarmersProtest
Mar 21, 2020 • 15 tweets • 8 min read
दुनिया के बाज़ार में ए'तिबार* बिक गये,
शर्मिंदा कर वफ़ा को वफ़ादार बिक गये !! #दिलबरम
*trust
कौड़ियों में हक़* बिका हक़दार बिक गये,
इन्साँ के हाथों क़ौल-ओ-क़रार^ बिक गये !! #दिलबरम
*right/truth ^promise & agreement
Feb 29, 2020 • 14 tweets • 11 min read
जला कर घर ग़रीबों के चमन की बात करते हैं,
हुक्मराँ* ख़ंजर-ज़बानी से अमन^ की बात करते हैं !! #दिलबरम
*ruler ^peace
कि जिनका फ़र्ज़ है देना तालीम* नौनिहालों^ को,
वो देकर हाथों में पत्थर वतन की बात करते हैं !! #दिलबरम
*education ^kids