Meena Kotwal (मीना कोटवाल) Profile picture
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Gulfam Ahmed Profile picture 1 subscribed
Dec 23, 2022 10 tweets 7 min read
इस साल ने कई नई ख़ुशियाँ दी हैं, मेरा तो मन कर रहा है ये साल ख़त्म ही ना हो. ये साल शुरूआत से ही सफ़र भरा रहा. कई नई जगह जाने का मौक़ा मिला. लेकिन फ़िलहाल पिछले कुछ दिनों का सफ़र यहाँ साझा कर रही हूँ.

twitter.com/i/spaces/1jMJg… नवंबर के आख़िरी सप्ताह और दिसम्बर के पहले सप्ताह यानि लगभग 15 दिन में पाँच अलग-अलग राज्यों में जाना हुआ. दिल्ली से उड़ीसा, उड़‍ीसा से मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश से वापसी दिल्ली, फिर दिल्ली से कर्नाटक और राजस्थान, फिर दिल्ली घर वापसी. सफ़र बहुत भागदौड़ वाला रहा लेकिन थकान नहीं (2/2)
May 6, 2022 5 tweets 2 min read
क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?

1.क्या अशराफ, पसमांदा मुस्लिम के यहां शादी करते हैं?
2.क्यों मीडिया में पसमांदा मुस्लिम ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं?
3.क्यों हर जगह अशराफ लोगों का ही कब्जा है?
4.क्यों पसमांदाओं पर जातिसूचक गालियां बनाई जाती हैं? 1/1 5. जुलाहे, धुनिया कुंजड़ा, कलाल, सब्जिफरोश, डफाली, नट, बक्खो, भटियारा, तेली, हज्जाम, दर्जी, हलालखोर, लालबेगी, गोरकन, चिक आदि का प्रतिनिधित्व कहां है?

6. मीडिया में हमारे कितने दोस्त पसमांदा है, मेरे जानने में ऐसे पांच है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिनिधित्व कहां है? 2/2
Dec 6, 2021 11 tweets 4 min read
कैसे अकेले बाबा साहेब ने करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल दी-

फर्ज कीजिए बाबा साहेब इस दुनिया में आए ही नहीं होते तो..!! तो आज यहां महिलाओं की स्थिति क्या होती? वंचितों की स्थिति क्या होती? संविधान लागू होने से पहले इस देश में महिलाओं और शूद्रों की स्थिति जानवरों से भी बदतर थी. 1/1 सवर्ण जानवर को तो टच करता था, गौमूत्र और गोबर का सेवन भी करता था, लेकिन दलितों की परछाई पड़नेभर मात्र से उन्हें लिंच तक कर देता था. महिलाओं और शूद्रों को पढ़ने देने तक का अधिकार नहीं था क्योंकि यहां बीमार और दुष्ट व्यक्ति मनु का विधान चलता था. 2/2
Dec 4, 2021 4 tweets 2 min read
Feminism कई तरह से की जाती है। हमारे आसपास सरेआम पुरुष अंडरवियर में दिख जाएंगे, पेशाब करते भी! लेकिन महिलाएं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकती, महिलाओं पर सबको कंट्रोल चाहिए, चरित्र हनन करना भी आसान है।

रही बात गर्मी/सर्दी की तो पुरुष मौसम/जगह कोई भी हो रेप करने को आतुर रहते हैं! 1/1 .@Arjun_Mehar भाई महिला की बॉडी है इसलिए आप शायद जजमेंटल हो गए, लेकिन एक पुरुष की बॉडी पर कोई सवाल नहीं होता जब वो नागा बन कर घूमता है, जब वो लड़कियों को देखकर हस्तमैथुन करने लगते हैं, वीर्य फेंकने लगते हैं, जब वो अपनी लपलपाती आंखों से बलात्कार करते हैं और पता नहीं क्या क्या? 1/2
Nov 25, 2021 13 tweets 4 min read
मैं एक दलित-मजदूर परिवार में जन्मी, हमारा जन्मना ही इस सभ्य समाज के लिए किसी हादसे से कम नहीं. इस बात का बहुत दुख है कि जन्म के साथ ही इस देश में जाति/धर्म के आधार पर आपका कसूर लिख दिया जाता है. मेरे मां-बाप ने अपमान का घूंट पीकर पढ़ाया. जब बाबा साहेब को जाना तो 1/1 अपने वजूद का पता चला, उनकी किताबों और विचारों ने हमें हमारा होना समझाया.

साथियों, बाबा साहेब ने हमारे लिए हजारों कष्ट सहे, कदम-कदम पर अपमान के घूंट पिए, अपने बच्चों की कुर्बानी देकर हमें सदियों की दासता से मुक्ति दिलवाई. उन्हें पता था कि ब्राह्मणवादी-पितृसत्तात्मक व्यवस्था 2/2
Sep 16, 2021 9 tweets 3 min read
कई लोगों ने मुझे फोन और मैसेज कर कहा कि BBC के पत्रकार विकास त्रिवेदी ने बाबासाहेब के बारे में जो अपमानजनक कमेंट किया है उसपर अपनी राय जरूर रखें. ट्विटर पर #ArrestVikasTrivedi ट्रेंड कराया जा रहा है और मुझे भी ज्यादातर ट्वीट में टैग किया जा रहा है. विकास त्रिवेदी ने बाबासाहेब 1/1 Image के लिए जो कमेंट किया है, उससे पता चलता है कि विकास को समाजिक न्याय की बिल्कुल भी समझ नहीं है, ना ही उन्हें बाबा साहेब के संघर्ष का रत्ती भर भी एहसास है. अगर समाजिक न्याय की समझ विकास को है भी तो शायद उनके मन में बाबा साहेब के प्रति घृणा का भाव है जो ज्यादातर विशेषाधिकार 1/2
Aug 29, 2021 4 tweets 2 min read
इसलिए #जातिगत_जनगणना_जरूरी_है- Thread

1990 में 'ब्राह्मण पॉवर' शीर्षक से लिखे एक लेख में खुशवंत सिंह ने कहा-

ब्राह्मणों की जनसंख्या हमारे देश की कुल जनसंख्या में से 3.5 फीसदी से अधिक नहीं है लेकिन आज वे 70 फीसदी नौकरियों पर काबिज हैं. मैं यह मानकर चलता हूं कि यह आंकड़ा केवल 1/1 राजपत्रित पदों का है. उपसचिव से ऊपर के उच्च प्रशासनिक पदों पर 500 में से 310 ब्राह्मण हैं यानी 63 फीसदी, 26 प्रदेश मुख्य सचिवों में से 19 ब्राह्मण हैं, 27 राज्यपाल और उपराज्यपालों में से 13 ब्राह्मण हैं, सुप्रीम कोर्ट के 16 न्यायधीशों में 9 ब्राह्मण हैं, 330 उच्च न्यायालय के 1/2
Jun 27, 2021 11 tweets 3 min read
ब्रांड्स के जरिए अरबों कमाने वाले को पूंजीवाद कैसे मसीहा बनाता है, इसकी बानगी है रोनाल्डो-कोक प्रकरण

हाल ही में मीडिया में यह मामला छाया रहा कि कैसे फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने कोक की जगह बोतलबंद पानी पीने की सलाह दी, ऑफ स्क्रीन शूट किया गया रोनाल्डो यह वीडियो दुनियाभर 1/1 में चर्चा का विषय बन गया और लोग रोनाल्डो को हीरो बताने लगे. रोनाल्डो के इस स्टंट के बाद कोका कोला का शेयर प्राइस 242 बिलियन डॉलर से 238 बिलियन डॉलर पर आ गया. इसके बाद कई सारे लोग रोनाल्डो को मसीहा की तरह पेश करने लगे. लेकिन इस स्टंटबाजी के दौरान रोनाल्डो शायद भूल गए थे कि 1/2
May 27, 2021 13 tweets 4 min read
अपनी बेटी धरा के नाम मेरा दूसरा खत (तकरीबन एक साल पहले लिखा था)

प्यारी बेटी धरा,

अगस्त (2019) का महीना था. मेरा पूरा ध्यान एक खास वर्ग के कुछ लोगों के दिमागी कचरे को उजागर करने में लगा था और इधर तुम इस दुनिया में आने की शुरूआत कर चुकी थी. हालांकि मुझे तुम्हारे बारे में 1/1 सितम्बर में पता चला. जुलाई तक बीबीसी में थी और दो अगस्त से मैंने एक सच को बताना शुरू कर दिया था. मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि मेरे अंदर तुम जन्म ले चुकी हो.

ऐसे में तुम हर उस पल की गवाह हो जो मैंने उस दौरान महसूस किया. किस तरह जो लोग सामने और सोशल मीडिया पर अच्छे बनते थे, 1/2
May 4, 2021 5 tweets 2 min read
महिला होकर भी कंगना सवर्ण पुरुषों का हिंदू राष्ट्र चाहती हैं, ट्विटर ही नहीं हर प्लेटफॉर्म से कंगना को हटवाइए

फेक महिला अभिनेत्री @kanganateam दिन-रात एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का काम करती हैं, इतना ही नहीं वे आरक्षण के खिलाफ भी जहर उगलती हैं और इस तरह से लगातार बहुजनों 1/1 को टारगेट करती रहती हैं. एक महिला होकर जिस तरह से उन्होंने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा किया वह दोयम दर्जे का था.

कंगना कई बार सोशल मीडिया पर अपने प्रिविलेज का बखान कर चुकी हैं, वे लिख चुकी हैं कि उन्हें राजपूत होने का गर्व है. 1/2
May 3, 2021 4 tweets 1 min read
सो कॉल्ड ‘मेट्रोमैन’ श्रीधरन की हार में ही मानवता की जीत है...

जिन्हें आप ‘मेट्रोमैन’ कहते हैं उन श्रीधरन को केरल की जनता ने रिजेक्ट कर दिया है और इसका सबसे बड़ा कारण है श्रीधरन का BJP से चुनाव लड़ना. सबसे शिक्षित राज्य का दर्जा प्राप्त केरल में सांप्रदायिक नफरत के लिए कोई 1/1 जगह नहीं है चाहे आप कितने भी तीस मार खां क्यों नहीं हो...जहां भी सही मायने में शिक्षा का प्रचार-प्रसार होगा वहां फासिस्ट विचारधारा की हार तय है. भले ही आपने अपने नीजि/सार्वजनिक जीवन में कई कमाल किए हैं लेकिन आप नफरत की राजनीति से संबंध रखते हैं तो यहां की जनता आपको नकार देगी. 1/2
Jan 3, 2021 9 tweets 4 min read
भारत की प्रथम महिला टीचर माता #सावित्रीबाई_फुले ने महिलाओं और शूद्रों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया था.

ऐसा करने के लिए उन्होंने अपनी जान की बाजी तक लगा दी थी. जब भी वे पढ़ाने जाती थीं तो ब्राह्मणवादी लोग उनपर गोबर और पत्थर फेंकते थे. मनुवादियों को लगता था कि ऐसा करने से (1/1) सावित्री बाई फुले पढ़ाना छोड़ देंगी. लेकिन प्रथम महिला टीचर ब्राह्मणवादियों के आगे नहीं झूकीं. वे जब भी पढ़ाने जातीं तो 2 साड़ी साथ लेकर जाती. रास्ते में गोबर फेंकने वाले ब्राह्मणों का मानना था कि शूद्रों और महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं, यह पाप है, मनु के विधान के खिलाफ है 1/2
Jan 2, 2021 10 tweets 3 min read
केरल में यह दलित लड़का अपने माता-पिता के लिए कब्र खोद रहा है, वह पुलिसवालों से कह रहा है, 'तुम लोगों ने मेरे मां-बाप की जान ले ली, अब बोलते हो कि मैं इनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकता.'

तिरुवनंतपुरम के एक गांव में दलित लड़के के पिता खाना खा रहे होते हैं, तभी पुलिस आती है और 1/1 कहती है कि घर खाली करो. राहुल राज के पिता कहते हैं कि खाना खाकर हमलोग चले जाएंगे लेकिन पुलिस नहीं मानती है. इस अपमान और पीड़ा से व्यथित होकर राहुल के पिता खुद पर पेट्रोल डाल आग लगाने की धमकी देते हैं. जिसके बाद पुलिस के साथ लाइटर की छीना-झपटी में लाइटर जमीन पर गिर पड़ती है और 1/2
Jan 1, 2021 4 tweets 2 min read
नए साल पर मेरा संकल्प

मैं दिखाऊंगी दुनिया की तमाम कहानियां
जिसमें अन्याय, पीड़ा, भेदभाव हो
रोज ऐसे ही लड़ूंगी
ब्राह्मणवादी-पितृसत्ता के खिलाफ

दुनिया के उन तमाम लोगों को पढ़ूंगी
जिन्होंने न्याय और हक की बात की
उन सभी विचारों को अपनाऊंगी
जो भेदभाव/छूआछूत के खिलाफ हो (1/1) मैं साथ दूंगी उन सभी का
जो स्वतंत्रता के पक्षधर हैं,
जो अभिव्यक्ति की आजादी के हिमायती हैं
जो धर्मनिरपेक्षता को मानते हैं, अपनाते हैं

उन सभी लोगों के साथ खड़ी होऊंगी
जो सच बोलने का साहस रखते हैं
जो डर के वातावरण को खारिज करते हैं
जो जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं (1/2)
Jan 1, 2021 7 tweets 4 min read
पेशवा साम्राज्य के वक्त दलितों को थूकने के लिए अपने गले में हांडी लटकाना पड़ता था, कमर पर झाड़ू बांधना पड़ता था ताकि जब वे चले तो झाड़ू उनके पैरों के निशान मिटाता चले. पेशवा और उनके पूर्वज दलितों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करते थे (1/1)

#BhimaKoregaon #भीमा_कोरेगांव_शौर्य_दिवस दलित सवर्णों के तालाब से पानी निकालने की सोच भी नहीं सकते थे, इसलिए महार जाति के लोग पेशवाओं के ब्राह्मणवादी व्यवस्था से लड़ने के लिए ब्रिटिश सेना में शामिल हुए.

1 जनवरी 1818 को महार जाति (दलित) के 500 जाबांज लड़ाकों ने पेशवाओं की विशाल सेना को भीमा कोरेगांव में धूल चटा दिया 1/2
Dec 30, 2020 7 tweets 2 min read
मैंने एक कविता लिखी, 'ऐसे गिराना मनु की मूर्ति!'

मनुवादियों ने गालियों की बौछार कर दी क्योंकि उन्हें मनु का विधान लागू करना है.

मैं सभी से अपील करती हूं कि हर घर में संविधान और बाबा साहेब की बातों को पहुंचाएं🙏

अभी संविधान पर सबसे बड़ा खतरा है, ऐसे में हमें ज्यादा काम करना है. Image पढ़िए कविता- 'ऐसे गिराना मनु की मूर्ति!'

पहले डालना उसके गले में रस्सी
क्योंकि उसने हमें गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा
उस रस्सी पर पहला हक शूद्रों का होगा
फिर दूसरा हक होगा महिलाओं का

जिस तरह से इटली में मुसोलिनी के साथ हुआ
ठीक उसी तरह बीच सड़क पर सभी लोग (1/1)