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On the 205th anniversary of #shauryadiwas, a brief thread on the battle of Bhima Koregaon.

Bhima Koregaon is a village situated at the Bhima river in the Pune district of Maharashtra. This village is called Bhima Koregaon because of this.
Many of you watched the movie 300 about the 300 Spartans warriors going against thousands of Persian armies. But you may never be heard about the greatest battle in Indian history when only 500 of the Mahar soldier fought and won against the force of 28000 Peshwas.
Peshwa rule was famous for the oppression of the Dalits, atrocities and degrading way of treating the Dalits of India. When Peshwa's were ruling the Maharashtra region, they had certain rules instructed to the Dalits of the region.
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नए साल पर मेरा संकल्प

मैं दिखाऊंगी दुनिया की तमाम कहानियां
जिसमें अन्याय, पीड़ा, भेदभाव हो
रोज ऐसे ही लड़ूंगी
ब्राह्मणवादी-पितृसत्ता के खिलाफ

दुनिया के उन तमाम लोगों को पढ़ूंगी
जिन्होंने न्याय और हक की बात की
उन सभी विचारों को अपनाऊंगी
जो भेदभाव/छूआछूत के खिलाफ हो (1/1)
मैं साथ दूंगी उन सभी का
जो स्वतंत्रता के पक्षधर हैं,
जो अभिव्यक्ति की आजादी के हिमायती हैं
जो धर्मनिरपेक्षता को मानते हैं, अपनाते हैं

उन सभी लोगों के साथ खड़ी होऊंगी
जो सच बोलने का साहस रखते हैं
जो डर के वातावरण को खारिज करते हैं
जो जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं (1/2)
उतारूंगी उन सभी के नकाब
जो हमारा हक मारते हैं, नीच समझते हैं
जो संस्थानों में बैठै हैं, हमें रोकने के लिए
जिनकी भावनाएं दिखावटी हैं

दशहरा, दिवाली की जगह मनाऊंगी
गणतंत्र दिवस, संविधान दिवस और 14 अप्रैल
धूमधाम से करूंगी मनुस्मृति का दहन
भीमा कोरेगांव के जाबांजों को करूंगी याद 1/3
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पेशवा साम्राज्य के वक्त दलितों को थूकने के लिए अपने गले में हांडी लटकाना पड़ता था, कमर पर झाड़ू बांधना पड़ता था ताकि जब वे चले तो झाड़ू उनके पैरों के निशान मिटाता चले. पेशवा और उनके पूर्वज दलितों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करते थे (1/1)

#BhimaKoregaon #भीमा_कोरेगांव_शौर्य_दिवस
दलित सवर्णों के तालाब से पानी निकालने की सोच भी नहीं सकते थे, इसलिए महार जाति के लोग पेशवाओं के ब्राह्मणवादी व्यवस्था से लड़ने के लिए ब्रिटिश सेना में शामिल हुए.

1 जनवरी 1818 को महार जाति (दलित) के 500 जाबांज लड़ाकों ने पेशवाओं की विशाल सेना को भीमा कोरेगांव में धूल चटा दिया 1/2
सदियों से अपमान झेल रहे दलितों ने पेशवाओं से बदला लिया, उन्होंने ब्राह्मणवादी व्यवस्था में कील ठोंक दिया. यह लड़ाई थी गरिमा और सम्मान वापस पाने की, यह लड़ाई थी हक छीनने की. सदियों की दासता की बेड़ियों को महारों ने तलवार से काट दिया था 1/3

#BhimaKoregaon #भीमा_कोरेगांव_शौर्य_दिवस
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शूरवीरांचा, क्रांतिकारी लोकांचा, क्रांतिकारक सत्य घटनांचा आपण इतिहास लपवून ठेवूच शकत नाही, तो कोणत्या ना कोणत्या मार्गाने समोर आल्याशिवाय राहत नाही. दोन वर्षांपूर्वी भीमा कोरेगाव येथे क्रांतीस्तंभाला अभिवादन करण्यासाठी आलेल्या आंबेडकरी अनुयायांवर जी अमानुष दगडफेक केली गेली - ImageImageImageImage
त्यामुळे संपूर्ण जगभरात भीमा-कोरेगावचा क्रांतिकारी इतिहास पोहोचायला मोठी मदतच झाली आहे. आणि त्यामुळेच फुले, शाहू, आंबेडकरी क्रांतीचा, भारताचा बौद्ध संस्कृतीचा सत्य इतिहास आजपर्यंत लपवून ठेवणाऱ्या,
चुकीचा इतिहास सांगणाऱ्या नकली इतिहासकारांची आता गोची होतांना आपणास दिसून येत आहे. भारताला स्वतंत्र होऊन सत्तर वर्षं झालेली आहेत आणि आज पहिल्यांदा दूरदर्शनवर सह्याद्री वाहिनीने भीमा-कोरेगाव येथील क्रांतिस्तंभाचा अभिवादन सोहळा थेट प्रक्षेपित केला आहे.
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