आद्य शंकराचार्य ने एक ३० वर्ष के युवक को संन्यास की दीक्षा दी। उसके पिता ७५ वर्ष के थे । उन्हें यह बात अनुचित लगी। उन्होंने उनसे परिवाद (शिकायत) किया। 1/7 #AdiShankaracharya #शंकराचार्य
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🔷युवक के पिता : आपने यह क्या किया ? यह कैसा संन्यास ?मेरा बेटा अभी गृहस्थाश्रम में भी नहीं गया है; बाद में वानप्रस्थाश्रम आएगा। ७० वर्ष के उपरांत संन्यास लिया जाता है, यह बात धर्मशास्त्र कहता है। आप शास्त्र के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन कर रहे हैं।
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