सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णको हम नमस्कार करते हैं, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और विनाशके हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक~ तीनों प्रकारके तापोंका नाश करनेवाले हैं॥१!!#जयश्रीकृष्ण
यं प्रव्रजन्तमनुपेतमपेतकृत्यं
द्वैपायनो विरहकातर आजुहाव।
पुत्रेति तन्मयतया तरवोऽभिनेदु-
स्तं सर्वभूतहृदयं मुनिमानतोऽस्मि॥
!१/२!
जिस समय शुकदेवजीका बिना यज्ञोपवीत-संस्कार हुए संन्यासके लिए जाते देखकर पिता व्यासजी पुकारने लगे~बेटा!कहां जारहे हो?उस समय वृक्षोंने उत्तर दिया था॥२!!🙏