Anand Vidyarthi Profile picture
भविष्य के बेस्टसेलर "गीतायन" (https://t.co/KnQSLOlMuD) का गरीब हिन्दी लेखक! https://t.co/0gEioH8KFi… https://t.co/Cz9QwS1347…
May 22, 2023 8 tweets 2 min read
एडिट डेस्क असल में समाप्त नहीं हुआ। ये समय-तकनीक में बदलावों के साथ प्रिंट मीडिया के न बदलने के कारण हुआ है। पुराने जमाने में अलग से पत्रकारिता का कोर्स शायद ही कोई करता था। पत्रकारिता के पेशे में आने वाले कई लोग हिंदी-अंग्रेजी साहित्य के छात्र होते थे। एक तो छात्र जीवन में ही इन्हें लम्बे लेख लिखने, वर्तनी-व्याकरण सुधारने की आदत होती थी। ऊपर से संपादक जो कि स्वयं वर्षों से ये काम कर रहे होते थे, उनकी निगरानी भी होती थी। जब पत्रकारिता की पढ़ाई-कोर्स किये लोग आने लगे तो खर्च बचाने के लिए संपादकों की संख्या घट गयी।
May 22, 2023 7 tweets 2 min read
बिहार के मिथिलांचल में एक प्रचलित कहावत है - कही त माय मारल जै नै कही त बाप पिल्ला खाय! वैसे तो इसका अर्थ मोटे तौर पर हिंदी के "आगे कुंआ पीछे खाई" या अंग्रेजी के "between the devil and the deep sea" जैसा है, लेकिन इसके पीछे एक कहानी होती है। Image कहानी कुछ यूँ है कि एक व्यक्ति था, जिसके परिवार में तीन ही लोग - वो स्वयं, उसकी पत्नी और एक बेटा था। एक दिन सुबह वो बाजार से पाव भर मीट खरीद लाया और पत्नी को बनाने के लिए देकर खेतों पर, अपने काम पर चला गया।
May 21, 2023 5 tweets 2 min read
भारतीय शिक्षा नीति में हाल में ही जो परिवर्तन हुए हैं, उनमें से एक "भारतीय ज्ञान प्रणाली" को यूजीसी के पाठ्यक्रम में जोड़ा जाना भी था। इस विषय से नेट (एनईटी) की परीक्षा का पाठ्यक्रम आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध है -

ucgv2.ap-south-1.elasticbeanstalk.com/NTA_All_R_Syll… इसकी पांचवी इकाई (यूनिट) स्थापत्य कला से सम्बंधित है। परंपरागत रूप से भारत में मूर्तियों-मंदिरों का ही नहीं इसमें नगरों और बांधों-सड़क-तालाब इत्यादि का भी थोड़ा सा जिक्र आता है। ये क्यों महत्वपूर्ण है? क्योंकि इसमें कल्लनई बांध का जिक्र भी आता है।
May 20, 2023 4 tweets 2 min read
People just love to lay the blame squarely on #Biharis. Let me show you an example of what 'abba-jabba-dabba' method actually means. Let's take recent #Karnataka elections for an example. Bommai renovated and restored the sugar factory in Mandya which had been stopped for decades. BJP went down to the 3rd place. @BJP4India also lost Yadagiri, Haveri, and Chikmagalur constituencies that have new medical colleges now.
Apr 22, 2023 11 tweets 3 min read
जिसमें रोटियाँ रखते हैं न, वो केसेरोल भी पहले भारत में नहीं होता था। अब आप कहेंगे कि फिर रोटियाँ बनाकर रखते कहाँ थे? रोटियाँ बनाकर रखने की अभी जैसी जरूरत ही नहीं होती थी। फिर टीवी आया, टीवी पर "हमलोग" जैसे धारावाहिक आने लगे। अस्सी के दशक में जब ये शुरू हुए तो स्थितियां बदली। धारावाहिक के आने का समय करीब-करीब वही था जो शहरों के आम मध्यमवर्गीय परिवार के रात के खाने का समय था। परिवार और विशेषकर महिलाओं को लक्ष्य करके बनाये जाने वाले "सोप ऑपेरा" को देखने का अब समय कैसे मिले? वो खाना बनायेंगी या बैठकर टीवी देखेंगी? केसेरोल समस्या को सुलझाने आया।
Apr 20, 2023 10 tweets 2 min read
आपको याद ना हो तो हम याद दिला देते हैं; ऐसी मूर्खताएं आपने पहले भी की हैं। थोड़ा सा वो समय याद कीजिये जब कुछ दशक पहले आप टीवी पर रामायण का प्रसारण देखा करते थे मी लॉड! उस जमाने में रामायण, फिल्म, चित्रहार आदि के बीच एक प्रचार आता था। पहले एक कसरत करते युवा पहलवान को दिखाते, फिर वो एक अखरोट तोड़ने का प्रयास करता और आह करता हुआ गाल दबा लेता था। इसी वक्त एक उस्ताद सा लगने वाला पहलवान आकर कहता, क्यों पहलवान? शरीर के लिए इतना कुछ और दांतों के लिए कोयला? इस प्रचार से भारत में कोलगेट टूथपेस्ट फैलना शुरू हुआ था।
Mar 26, 2023 7 tweets 2 min read
भारत में जैसे नगर की रक्षक देवियाँ होती हैं, कुछ वैसा ही विदशों में भी होता है। हनुमान जी को जैसे लंकिनी को घूँसा मारकर लंका में घुसना पड़ा था, उधर भी वैसे ही माना जाता है कि नगर के रक्षक देवता की आज्ञा के बिना अन्दर नहीं घुसा जा सकता। एक किस्से में नगर के रक्षक देवता देखते हैं कि कुछ लोग नगर के अन्दर प्रवेश का प्रयास कर रहे हैं। उसने सबको रोका और पूछा कि वो कौन हैं जो देर रात गए चुपके से घुस रहे हैं? पहले ने बताया कि वो प्लेग है। नगर रक्षक देवता बोले तुम तो पूरा नगर ही साफ कर दोगे! तुम्हें अन्दर कैसे जाने दूं?
Mar 25, 2023 7 tweets 2 min read
मिडास टच अंग्रेजी में प्रयोग होने वाला एक जुमला है जो शायद आपने सुना होगा। जिसके छू भर देने से मिट्टी भी सोना हो जाये उसके लिए कभी-कभार इसका प्रयोग होता है। इसके पीछे की कहानी मोटे तौर पर कुछ यूँ है कि मिडास नाम का कोई राजा था जिसे स्वर्ण से अतिशय प्रेम था। कुर्सी सोने की, पलंग स्वर्णमय, थाली-ग्लास, कटोरी-चम्मच सब उसे सोने के ही चाहिए थे। स्वर्ण की इसी आकांक्षा में एक दिन उसने किसी देवता से वर मांग लिया कि वो जिसे छू दे वो सोना हो जाए! देवता ने पहले शायद समझाने बुझाने का प्रयत्न किया। कहा कि ये वरदान तुमसे संभलेगा नहीं।
Feb 5, 2022 6 tweets 2 min read
एक बार राजा भोज के साले अपनी बहन से मिलने आये। दोनों भाई-बहन राजा के अन्त:पुर में बैठे आपस में बातें कर रहे थे। उसी समय राजा भोज वहां आ गये तो रानी ने उनको कहा, "पधारिये मूर्खराज!"

राजा भोज ने प्रत्युत्तर में कहा तो कुछ नहीं पर उल्टे पैर आवेश में आकर दरबार में जा बैठे। अब दरबार में जो भी आता था उससे राजा भोज कहते थे, "पधारिये मूर्खराज!" राजा के इस सम्बोधन से स्तब्ध दरबारी कुछ कह या कर सकने की स्थिति में तो नहीं थे इसलिए शान्तभाव से अपने आसन पर बैठ जाते थे। थोड़ी देर में आये कालिदास और उनसे भी राजा ने कहा, "पधारिये मूर्खराज!"
Feb 5, 2022 10 tweets 2 min read
“मुझे नहीं लगता इसे नहलाते होंगे”, छोटी बच्ची ने अपने मेमने को पास समेटते हुए आशंका जताई। उसने सुबह ही मेमने पर पूरा एक घड़ा पानी डाला था और फिर इस तरह पानी बर्बाद करने के लिए माता से प्रसाद भी पा चुकी थी। उससे बड़े भाइयों में इस बात पर बहस छिड़ी थी कि धोने से बकरी का रंग, उसकी चमक फीकी पड़ती है या नहीं। छोटी लड़की और उसे 10-12 वर्ष के भाइयों के ही हमउम्र दो और भाई बहन भी वहीँ मौजूद थे। प्रयागराज तब आज जितना बड़ा तो नहीं था।
Feb 4, 2022 7 tweets 3 min read
आपके हिसाब से ये एक नदी के किनारे की तस्वीर है, जो शायद इसलिए ली गयी होगी क्योंकि दृश्य सुन्दर था। हमारे हिसाब से अब ये तस्वीर उल्टी है। जब हमने इसे लिया था तब हमारे हिसाब से ये बेतवा नदी का सुन्दर दृश्य ही था। Image इससे पहले कि इस बात पर आयें कि ये तस्वीर उल्टी क्यों लग रही है हम चलें कटरा केशवदेव, यानि जिसे हमलोग आमतौर पर मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के नाम से जानते हैं। पाहली बार इसे 1071 में महमूद गजनवी का हमला झेलना पड़ा था।

#KashiMathuraBakiHai
Jan 23, 2022 10 tweets 3 min read
जिसे पहला स्वतंत्रता संग्राम कहते हैं, वो 1857 का बताया जाता है, फिर हम अपनी बात उससे सौ साल पहले से क्यों शुरू कर रहे हैं? क्योंकि इस दौर में बाबा तिलकामांझी ने फिरंगियों के शोषण के खिलाफ़ हथियार उठा लिए थे। ऐसा माना जाता है कि बाबा तिलका मांझी का जन्म 11 फ़रवरी 1750 को हुआ था। इस हिसाब से 1784 के दौर में वो करीब 35 वर्ष के होंगे। विश्व इतिहास में ऐसा एक ही बार हुआ है कि कोई निजी कंपनी - ईस्ट इंडिया कंपनी, इतनी बड़ी आबादी को नियंत्रित करे। इस कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने विलियम पिट (यंगर) के प्रभाव में ज़मींदारी का लगान वसूलने की व्यवस्था बदली।
Jan 22, 2022 10 tweets 4 min read
अप्रैल 1669 में औरंगज़ेब ने दारुल-हरब यानि हिन्दुस्तान को दारुल-इस्लाम बनाने के लिए फ़रमान जारी किया। जिन मंदिरों की वजह से बुतपरस्ती होती थी, उन्हें तोड़ा जाना था। इस आदेश पर इलाके की हिन्दू जनता भड़क उठी और विद्रोह हो गया।
#OurTrueHistory
@ShefVaidya जाट बहुल इलाकों के इस विद्रोह में स्थानीय मीना, मेव, अहीर, गुज्जर, नरुका, पंवार सभी शामिल हो गए। मंदिरों को तोड़ने आई सेनाओं का सशस्त्र विरोध होने लगा। मथुरा के इलाके का फौजदार, अब्दुन नबी खान, विद्रोह को कुचल कर मंदिरों को तोड़ने आगे आया।
Jan 22, 2022 6 tweets 2 min read
यदि आप पति हो और किसी सुबह 5:30 में ही आपकी नींद खुल जाये तो आपको दो यक्ष प्रश्नों का सामना करना पड़ सकता है -

पहला -
चाय खुद बनाऊं या अर्धांगिनी को जगाने का दुःसाहस करूँ ? परिणाम: आप कुछ भी करो आपको "चार बातें" सुननी ही हैl आप यदि खुद चाय बना लो तो ब्रह्म मुहूर्त में, अर्थात आठ बजे जब भार्या जागेगी तो आपको सुनना है -"क्या ज़रूरत थी खुद बनाने की , मुझे जगा देते, पूरा बर्तन जला दिया, वो दूध का बर्तन था, चाय वाली नीचे रखी है दाल भरकरl"
Jan 21, 2022 5 tweets 2 min read
धर्म परिवर्तन के खिलाफ़ आपके जो कानून हैं वो उल्टे हैं। बात हज़म करने में दिक्कत होगी, लेकिन जो ज़मीनी स्तर पर ऐसे मामले देख चुके हैं, उन्हें ये स्वीकार करने में दिक्कत नहीं होगी। धोखे से, लालच देकर, या गलत तरीके से धर्म परिवर्तन करते/करवाते पकड़े जाने पर क्या होता है? अगर पीड़ित अथवा पीड़िता (जिसका धर्म परिवर्तन करवाया गया हो) किसी अनुसूचित जाति-जनजाति से आता/आती है, तो अधिक सज़ा होगी, और अगर वो सामान्य वर्ग से आता/आती हो तो कम सज़ा होगी। क्या धोखे से धर्म परिवर्तन करवाने वाले भी ऐसा ही सोचते हैं?
Nov 3, 2021 7 tweets 2 min read
श्री कृष्ण के अनेक नामों में से एक 'मुरारी' है। ये नाम इसलिए पड़ा था क्योंकि श्री कृष्ण ने मुर नाम के राक्षस का वध किया था। इस राक्षस का वध क्यों किया? क्योंकि ये नरकासुर की सेना का सेनापति था और सत्यभामा ने नरकासुर पर आक्रमण कर दिया था। शेखुलर गल्पकार (जो स्वयं को इतिहासकार बताते हैं), कहते हैं कि प्राचीन काल में स्त्रियों के शिक्षा इत्यादि की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए स्त्रियों के युद्धकला में दक्ष होने, रथ चलाने इत्यादि की बात नहीं होती। महाभारत में कम से कम दो बार तो सुभद्रा और सत्यभामा ही रथ चलाती दिखती हैं।
Nov 1, 2021 4 tweets 1 min read
बिल्ली का बच्चा लगातार उसे अपने साथ खेल में उलझाने की कोशिश करता दिखता है, और असफल होता है। क्या आपके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आपका ध्यान भी इतना ही एकाग्र है? अगर ये बच्चा कर सकता है, तो आप भी कर सकते होंगे न?

भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के 41वें श्लोक में कहा गया है -

व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन।
बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम्।।2.41
Jul 23, 2021 10 tweets 3 min read
हिन्दुओं के कलैंडर यानि कि पञ्चांग में हर 14 से 19 साल में एक महीना खिसकता है। 2015 ऐसा ही एक साल था। इस अलग महीने वाले वर्ष पुरी के जग्गनाथ मंदिर में जो मूर्तियां रखी हैं उन्हें बदला जाता है। मंदिर प्रांगण में जिन मूर्तियों की पूजा होती है उन्हें लकड़ी से बनाया जाता है। मुख्यतः इसमें नीम की लकड़ी इस्तेमाल होती है। इन चारों मूर्तियों में भगवान जगन्नाथ की मूर्ती 5 फुट 7 इंच की होती है और उनके फैले हुए हाथ 12 फुट का घेरा बनाते हैं।
Jul 21, 2021 4 tweets 1 min read
बकरीद पर किसी को बकरा काटने के लिए कोस रहे हैं? एक काम कीजिये जरा उनकी ही तरह अगली दिवाली में पटाखों के चार हिस्से कीजिये और एक हिस्सा पड़ोसियों, एक रिश्तेदारों, एक गरीबों को बाँटकर केवल चौथा हिस्सा खुद के लिए इस्तेमाल करके दिखाइये! वो जो बकरे की खाल होगी, उसे बेचकर वो मकतब (मस्जिद के स्कूल-मदरसे) के लिए मौलवी को देंगे। आपने अपने पूरे जीवनकाल में क्या घर का रद्दी अख़बार वगैरह भी बेचकर उसके पैसे किसी वैदिक पाठशाला में दिए हैं या सिर्फ पानी पी पी कर बम्मनों को कोसने से काम चलाया है?
Apr 2, 2021 10 tweets 3 min read
पद्म पुरस्कारों में एक ऑटो चालक, महतो जी की बिटिया, दीपिका कुमारी की तस्वीरें भी दिखी होंगी। दीपिका कुमार की तीर चलाते हुए कई तस्वीरें हैं इन्टरनेट पर। उन्हें देखते ही भारतीय लोगों को कम से कम ये तो पता चल ही जायेगा कि तीर चलाने के लिए दाहिने हाथ का अंगूठा इस्तेमाल नहीं होता। तीर इंडेक्स और मिडिल फिंगर, यानि की प्रथमा और मध्यमा उँगलियों के बीच पकड़ा जाता है। जैसा कि कई बार दल-हित चिन्तक बरगलाते हैं, वैसे चुटकी में पकड़कर तीर नहीं चलता। ऐसे कठिन प्रश्नों से दल हित चिंतकों को डर लगता है।
Feb 18, 2021 9 tweets 3 min read
जब आप इतिहास से नहीं सीखते, तो इतिहास खुद को दोहराता है। दूसरे विश्वयुद्ध के शुरू होने के समय भारत में जो नौसेना थी, वो मामूली सी थी। सैन्य विद्रोह न हो सकें इसके लिए अंग्रेजों ने वर्षों से अफवाहें फैलाई थीं। बड़े पोत बनाने पर प्रतिबन्ध लगाए इस समय तक सौ वर्ष के लगभग बीत चुके थे। जब द्वित्तीय विश्वयुद्ध के लिए सैनिकों की जरुरत पड़ी तो जान देने वाले सैनिक कहाँ से आते? जाहिर है वो भारत जैसे देशों से लिए गए, जो फिरंगी हुक्मरानों की गुलामी करने के लिए मजबूर थे। रॉयल ब्रिटिश नेवी का भारतीय हिस्सा अपने 1939 के आकार से बढ़कर 1945 में करीब दस गुना हो चुका था।