बीज मंत्र कितने है?
हर बीज मंत्र किस देवी देवता की शक्ति है?
बीज मंत्र विद्युता कैसे प्रदान करता है?
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"ॐ" बीज मंत्र
ओ३म् (ॐ) या ओंकार को प्रणव कहा जाता है, ओम तीन शब्द 'अ' 'उ' 'म' से मिलकर बना है, जो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा त्रिलोक भूर्भुव: स्व: भूलोक भुव: लोक तथा स्वर्ग लोक का प्रतीक है।
ओ३म् को पद्मासन में बैठ कर जप करने से मन को शांति तथा एकाग्रता की प्राप्ति
होती है। वैज्ञानिकों तथा ज्योतिषियों को कहना है कि ओम तथा एकाक्षरी मंत्र का पाठ करने में दाँत, नाक, जीभ सबका उपयोग होता है यह शब्द कई बीमारियों से रक्षा करके शरीर के सात चक्र (कुंडलिनी) को जागृत करता है।
"ह्रीं" बीज मन्त्र
यह शक्ति बीज अथवा माया बीज है। इसमें
ह = शिव, र = प्रक्रति, ई = महामाया, नाद विश्वमाता, बिंदु = दुःख हर्ता । इस प्रकार इस माया बीज का तात्पर्य हुआ - शिवयुक्त विश्वमाता मेरे दुःखो का हरण करें।
"श्रीं" बीज मन्त्र
इसमें चार स्वर व्यंजन शामिल है। इसमें
श = महालक्ष्मी, र = धन-ऐश्वर्य, ई = तुष्टि, अनुस्वार= दुःखहरण, नाद का तात्पर्य है, विश्वमाता। इस प्रकार 'श्रीं' बीज का अर्थ है - धन ऐश्वर्य-सम्पत्ति, तुष्टि पुष्टि की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी मेरे दुःखों का नाश करें।
ऐ बीज मंत्र
यह सरस्वती बीज है, इसमें ऐ सरस्वती, अनुस्वार = दुःखहरण, इस प्रकार "ऐं" बीज = का तात्पर्य हुआ - हे मां सरस्वती! मेरे दुःखों का अर्थात् अविद्या का नाश करें।
"क्रीं" बीज मन्त्र
इसमें चार स्वर व्यंजन शामिल है। इसमें क = काली, र = ब्रह्म, ई = कार महामाया, अनुस्वार = दुःखहरण, इस प्रकार 'क्रीं' बीज का अर्थ हुआ - ब्रह्म शक्ति सम्पन्न महामाया काली मेरे दु:खों का हरण करें।
"ह्रौं" बीज मन्त्र
यह ह्रौं प्रसाद बीज है। इसमें ह्र= शिव, औ = सदाशिव, अनुस्वार = दुःखहरण, इस बीज का अर्थ है - शिव तथा सदाशिव कृपा कर मेरे दुःखों का हरण करें।
"क्लीं" बीज मन्त्र
यह काम बीज है। इसमें क= कृष्ण अथवा काम, ल= इंद्र, ई = तुष्टिभाव, अनुस्वार सुखदाता, इस “क्लीं” बीज का अर्थ है - कामदेव रूप श्री कृष्ण भगवान मुझे सुख सौभाग्य और सुंदरता दें।
"गं" बीज मंत्र
यह गणपति बीज है। इसमें ग = गणेश, अनुस्वार = दुःखहर्ता, जिसका अर्थ है - श्री गणेश मेरे विघ्नों को, दुःखों को दूर करें।
"हूँ" बीज मन्त्र
यह "हूँ" कूर्च बीज है। इसमें ह = शिव, ॐ = भैरव, अनुस्वार = दुःखहर्ता, इसका अर्थ है - हे! असुर संहारक शिव मेरे दुःखों का नाश करें।
कई बीज मन्त्र है जो अपने आप में मन्त्र स्वरुप है।
"शं" शंकर बीज
"फ्रौं" हनुमत् बीज
"क्रौं" काली बीज
"दं" विष्णु बीज
"हं" आकाश बीज
"यं" अग्नि बीज
"" जल बीज
"लं" पृथ्वी बीज
"ज्ञं" ज्ञान बीज
"भ्रं" भैरव बीज
Credit goes to - astrotips (book)
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