#Thread 🧵
एक सांसद के रूप में @RahulGandhi को अयोग्य घोषित किए जाने पर एक अमेरिकी सांसद @RoKhanna ने अपने दादा के बहाने कई झूठे दावे किए हैं।
इस थ्रेड से जानिए Emergency के समर्थकों पर राहुल गांधी के अमेरिकी समर्थक किस तरह से विमर्श को भटकाने का असफल प्रयास कर रहे हैं।
अमेरिकी सांसद @RoKhanna अपने ट्वीट में बेबुनियाद दावा करते हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास यह अधिकार है कि वो यह फैसला पलट सकते हैं। हालाँकि भारतीय संविधान देश के प्रधानमंत्री को ऐसा कोई अधिकार प्रदान नहीं करता है।
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रो खन्ना निश्चित रूप से राहुल गांधी के समर्थन में अन्य कॉन्ग्रेस नेताओं की तरह ही गांधीवादी मूल्यों के उल्लंघन का जिक्र तो करते हैं पर यह व्याख्या करने में विफल है कि संसद से राहुल गांधी की अयोग्यता के कारण क्या हैं।
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अपने भ्रामक दावे को बल देने के लिए अमेरिकी सासंद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जेल गए अपने दादा का जिक्र करते हुए लिखा कि; इस दिन के लिए मेरे दादाजी ने वर्षों का बलिदान नहीं दिया था।
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हालाँकि अपने दावों के बीच वह यह बताना भूल गए कि उनके दादा अमरनाथ विद्यालंकार इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस के निष्ठावान नेता थे और आपतकाल के समय इंदिरा गांधी सरकार का हिस्सा थे।
उनके द्वारा इंदिरा के आपातकाल के दौरान लोगों पर हुए क्रूर अत्याचारों का विरोध नहीं किया गया था।
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रो खन्ना के दावे झूठे और भ्रमित करने वाले हैं। जाहिर अपने दावों के साथ अमेरिकी सांसद ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट संलग्न की है।
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न्यूयॉर्क टाइम्स भारत के विपक्षी नेताओं के विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए विख्यात है और इसका दावा है कि राहुल गांधी के निलंबन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के सहयोगी जिम्मेदार थे।
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बहरहाल, विदेशी राष्ट्रों पर छींटाकशी करने से पहले, अमेरिकी सांसदों और समाचार आउटलेट्स को इस बात के लिए आवाज उठानी चाहिए कि 2016 में हिलेरी क्लिंटन के मतदाताओं पर एक मजाक साझा करने के लिए बिडेन प्रशासन किस तरह डगलस मैके को 10 वर्ष जेल की धमकी दे रहा है।
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रविवार को @Pamphlet_in को जवाब देते हुए रो खन्ना कहते हैं, “लाला लाजपत राय के लिए काम करने वाले मेरे दादाजी को बदनाम करते हुए लोगों को देखकर दुख होता है…इंदिरा गांधी को आपातकाल का विरोध करते हुए संसद छोड़ने के बाद दो पत्र लिखे थे।…और तथ्य मायने रखते हैं।”
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यह जरूरी है कि खन्ना द्वारा तथ्यों की बात की गई है क्योंकि ‘द पैंफलेट’ @Pamphlet_in को अमरनाथ विद्यालंकार से जुड़े कुछ तथ्य लोकसभा की वेबसाइट से प्राप्त हुए हैं, जिसमें आपातकाल के विरोध में खन्ना के दादाजी के इस्तीफा देने के दावे का कोई तथ्य पंजीकृत नहीं है।
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लोकसभा की वेबसाइट अमरनाथ विद्यालंकार को चंडीगढ़ के प्रतिनिधि के रूप में दिखा रही है। साथ ही पंजाब विधानसभा के विधायकों के प्रोफाइल का संग्रह उनके इस्तीफे के बारे में चुप है।
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रो खन्ना के दादाजी ने 5वीं लोकसभा में अपनी सेवाएं दी हैं। अगर अमेरिकी सांसद इससे इतर कोई दावा करना चाहते हैं और उनके पास उनके दादाजी के इस्तीफे का कोई साक्ष्य है तो वे उसे सीधे @LokSabhaSectt को भेजें, ताकि सम्बंधित दस्तावेज में आवश्यक बदलाव किया जा सके।
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साथ ही अमेरिकी सासंद ने राहुल गांधी की सांसद के पद से अयोग्यता के लिए निष्कासन शब्द का प्रयोग किया है। हालाँकि, @Yale से लॉ ग्रेजुएट रो खन्ना को निष्कासन और अयोग्यता के बीच बुनियादी अंतर के बारे में पता होना चाहिए।
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साथ ही, देश के कानून के तहत राहुल गांधी की दोषसिद्धि और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसकी पुष्टि, वह कारक घटना है जिसने उनकी अयोग्यता को ट्रिगर किया- एक ऐसा तथ्य जिसे अमेरिकी सांसद ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।
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इस प्रावधान के तहत अयोग्य ठहराए जाने वाले राहुल गांधी पहले सांसद नहीं है और आखिरी भी नहीं होंगे, जब तक की यह कानून अस्तित्व में है।
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हमें यकीन है कि अमेरिकी सांसद रो खन्ना को जानकारी है कि राहुल गांधी ने ही 2013 में इस कानून में संशोधन के कदम का विरोध किया था। अगर विरोध न किया होता तो शायद आज उन्हें अपनी अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ता।
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एक बार फिर @Pamphlet_in द्वारा यह स्पष्ट कर दिया जाता है कि दो पूर्णतया असंबिधत मामलों के बीच अमेरिकी सांसद द्वारा अपने दादाजी का जिक्र कर भ्रामक सूचना साझा की गई।
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. @Pamphlet_in का @RoKhanna से आग्रह है कि वे या तो अपने दावे का समर्थन करें या अपने दादाजी को बदनाम करने वाले हमारे मंच के अपने आरोप को वापस लें।
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अमेरिकी सांसद को कितना भी असहज लगे पर तथ्यों के साथ अपनी बात कहना उनके दादाजी के प्रति अपमान को नहीं दर्शाता है। एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके योगदान को कम नहीं किया जा रहा है और उनकी इस भूमिका के लिए हम उनका सम्मान करते हैं।
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बता दें कि वायनाड के तत्कालीन सांसद राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सूरत सत्र न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
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लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राहुल गांधी को "आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 8 के साथ पढ़े जाने वाले संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ई) के प्रावधानों के अनुसार, उनकी सजा की तारीख यानी 23 मार्च 2023 से एलएस की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है"।
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आरपी अधिनियम (जन प्रतिनिधित्व अधिनियम), 1951 की धारा 8 (3) में कहा गया है, "किसी भी अपराध के लिए दोषी व्यक्ति और कम से कम 2 वर्ष के कारावास की सजा पाए व्यक्ति को इस तरह की सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा ..."
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अतः कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि के तत्काल बाद ही अयोग्यता साबित हो जाती है। लोकसभा अधिसूचना की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
अधिसूचना तो मात्र सजायाफ्ता सांसद राहुल गांधी के लिए एक औपचारिक सूचना थी।
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हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी सांसद/विधायक को अयोग्य घोषित किया गया है।
वर्ष 2014 में, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया था, जिसमें उन्हें 4 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई थी।
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जयललिता कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और विधान सभा के पद से स्वतः ही अयोग्य हो गई थीं!
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रो खन्ना @RoKhanna की निकली हवा: राहुल गांधी के बचाव में उतरे अमेरिकी सांसद ने अपने स्वतंत्रता सेनानी दादा की कराई फजीहत
#RahulGandhiDisqualified #IndiraGandhi #GlobalPamphlet
thepamphlet.in/ro-khanna-rahu…
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