** रावण-अंगद संवाद : ये 14 बुरी आदतें जीवित को भी बना देती हैं मृत समान. **
: अच्छे और सुखी जीवन के लिए जरूरी है कि कुछ नियमों का पालन किया जाए। शास्त्रों के अनुसार बताए गए नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी भी किसी प्रकार की परेशानी का
आज भी यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है
1. कामवश-
जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती और जो
2. वाम मार्गी-
जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले। जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान
3. कंजूस-
अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो। दान करने से बचता हो। ऐसा आदमी भी मृत समान ही है।
4. अति दरिद्र-
गरीबी सबसे बड़ा श्राप है।
5. विमूढ़-
अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ होता है।
6. अजसि-
जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर, परिवार, कुटुंब, समाज,
7. सदा रोगवश-
जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मुक्ति की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी
8. अति बूढ़ा-
अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों असक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार स्वयं वह और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं,
9. संतत क्रोधी-
24 घंटे क्रोध में रहने वाला भी मृत समान ही है। हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करना ऐसे लोगों का काम होता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि, दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो,
10. अघ खानी-
जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए।
11. तनु पोषक-
ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना ना हो तो ऐसा व्यक्ति भी मृत समान है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में
12. निंदक-
अकारण निंदक-
अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियां ही नजर आती हैं।
13. विष्णु विमुख-
जो व्यक्ति परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति ये सोच लेता है कि कोई परमतत्व है
14. संत और वेद विरोधी-
जो संत, ग्रंथ, पुराण और वेदों का विरोधी है, वह भी मृत समान होता है।
यही सनातन धर्म है , यह प्रभु राम की नीति।
जा को राम सों प्रीति है,करे ना कोइ अनीति।।
!! जय श्री राम !!
!! जय श्रीराम! !!