ये कहानी शुरू होती है भूषण पावर एंड स्टील के दिवालिया होने के बाद। दिवालिया घोषित होने के बाद आप ऐसी कम्पनीज से पैसा वसूल नहीं कर सकते। हिन्दुस्तान में कोई ऐसा कानून ही नहीं था कि कोई दिवालिया हो गया तो उससे पैसे कैसे वसूल किये जाएँ ? ? ?
अब जो भी कंपनी दिवालिया होगी उसे NCLT में जाना पड़ेगा। वहां बोली लगेगी। कंपनी नीलाम की जाएगी और पैसे वसूल करके प्रोमोटर्स, जैसे कि बैंकों को दिए जायेंगे।
अब बात भूषण पावर एंड स्टील और उसके मालिक संजय सिंघल की। इनकी कंपनी १८ महीने पहले दिवालिया घोषित हो गई। इनके ऊपर PNB बैंक का 47, 000 करोड़ रुपया बकाया था। नीलामी की बोली शुरू हो गई तो टाटा स्टील, जिंदल और UK लिबर्टी हाउस ने बोली लगाई।
👉🏻 अब क्लाइमेक्स आया है, जब भूषण स्टील एंड पावर के मालिक ने NCLT के सामने एक ऑफर रखा है कि हम बैंकों का 47, 000 करोड़
👉🏻 अब जनता को ये सोचना है कि ऐसे कितने उद्योगपतियों ने बैंकों का पैसा खाकर और दिवालिए होकर ऐश काटी है। पिछली एक खास परिवार की सरकारों के समय में।
👉🏻 अब उन्हें लोन चुकाना ही होगा। और ये सब मोदी सरकार के बनाये क़ानून और NCLT
👉🏻 लगभग यही कहानी रुइया ब्रदर्स, एस्सार स्टील वालों की भी है। उनका भी बैंक कर्ज चुकाने का मन नहीं था। दिवालिए हो गए।
अब आये हैं ये ऊँट पहाड़ के नीचे।
*ये है प्रधान चौकीदार मोदी को सत्ता देने का फायदा। निर्णय आपको करना है, कि देश को लुटेरों को या चौकीदार को सौंपना है।*
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जय हिंद। जय भारत।। वन्देमातरम।।।
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