वीरों का कैसा हो बसंत
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गजरता बार-बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहेहैं दिग-दिगंत
वीरों का कैसा हो बसंत
फूली सरसों नेदिया रंग
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग
है वीर देश में किंतुं कंत
वीरों का कैसा हो वसंत