#नागा_साधु_बनाम_मुग़ल 🌷
भारतीय इतिहास का वो युद्ध, जब नागा साधुओं ने मुग़लों के ख़िलाफ़ जंग लड़कर जोधपुर को बचाया था
भारत में अधिकतर लोग 'नागा साधुओं' को लेकर यही जानते हैं कि वो हर वक़्त समाधी में लीन या भांग के नशे में चूर रहते हैं
अगर आपको ऐसा लगता है कि हमारे संत समाज ने भारत की आज़ादी के लिए कोई लड़ाई नहीं लड़ी है तो
इतिहासकार बताते हैं कि तब नागा साधुओं के एक हाथ में तलवार थी
जब सन्यासियों ने जोधपुर को बचाया था
कहा जाता है कि जब क़ाबुल और बलोचिस्तान से आये मुग़लों ने जोधपुर पर आक्रमण किया तो चारों तरफ़ हाहाकार मच गया था. मंदिर तोड़े जा रहे थे और कत्लेआम हो रहा था. मुस्लिम शासकों ने हर व्यक्ति पर भारी कर लगा
जब क्रूर अहमदशाह अब्दाली ने किया था भारत पर आक्रमण
कहा जाता है कि जब अहमदशाह अब्दाली दिल्ली और मथुरा पर आक्रमण करता हुआ गोकुल तक आ गया था. इस दौरान उसके सैनिक लोगों का कत्लेआम कर रहे थे.
क़रीब 5 हज़ार साधुओं की सेना कई हज़ार सैनिकों से लड़ गयी थी. पहले तो अब्दाली साधुओं को हल्के में ले रहा था लेकिन तभी अब्दाली को एहसास हो
तबसे कई मुस्लिम शासक जब ये बात सुनते ही कि युद्ध में नागा साधु भाग ले रहे हैं तो वो लड़ते ही नहीं थे. तो इस प्रकार से साधु-संतों ने देश की आज़ादी के लिए भी कई युद्ध लड़े हैं
आपको बता दें कि आप इस युद्ध की विश्वसनीयता को जांचने के लिए कुछ पुस्तकें भी पढ़ सकते हैं. इनमें लेखक डा. नित्यानंद की क़िताब 'भारतीय संघर्ष का इतिहास' 🌷