कोरोना लाकडाउन एक त्यौहार.. व्यंग्य..😂
सच बता रहा हूं..
अकाल हो, सूखा हो, बाढ़ हो या फिर प्लेग या चेचक का प्रकोप हो ।
ऐसे हर मौक़े पर हम हिंदुस्तानी बस गैस स्टोव्स पर कढ़ाई चढ़ाते हैं और हलवा, पूरी, गुलाब जामुन और कचौरियाँ बनाने लगते हैं ।
विपत्तियाँ भी जब देखती है तो उनके मुँह खुले के खुले रह जाते हैं।
वो सोच रही होती हैं कि उनके आने से लोग पछाड़ खायेंगे, थर-थर काँपेंगे या डर जाएंगे, पर जब वो देखती हैं कि हिंदुस्तानियों ने उसके आने की खबर सुनते ही जलेबियाँ बनाना शुरू कर दिया है तो उनके हौसले पस्त हो जाते हैं ।
उनकी रणनीति ध्वस्त हो जाती है हमारे ऐसे बर्ताव पर..
ऐसे लोगों को आप कैसे हरा सकते हैं जो आपको गिन ही ना रहे हो..
आपसे डरने को तैयार ही ना हो।
अपना बरमूडा और रंगीन शर्ट पहन कर अपनी कॉलोनी के कैम्पस में डकारें लेते हुये ऐसे टहल रहा हो जैसे गोवा में समंदर किनारे हो !
दुनिया में हम अकेले ऐसे अनोखे लोग हैं जो किसी भी वजह से मिली छुट्टियों को त्यौहार में बदल सकते हैं और किसी भी त्योहार पर संडे पड़ जाने से अनमने हो जाते हैं ।
किसी भी वजह से मिली छुट्टियों में किसी बड़े नेता के अचानक पैदा हो जाने या चल बसने वाली छुट्टी भी शामिल हैं ।
ये सब वो मौक़े होते हैं जब हम अपनी थाली में कटोरियाँ सजा लेते हैं ।
अब कोरोना की वजह से मिली छुट्टियों को ही ले लीजिये..
हालात ये है कि प्यारी बीवी जी के अलावा नाकारा लड़के भी किचन में अपना जौहर दिखाने पर उतारू है ।
लौकी भी हलवा होकर गदगद् है और आलू हैरान हुआ पड़ा है ।