8 अप्रैल 1929 को दिल्ली की केन्द्रीय विधान सभा में हुए धमाके की गूँज सात समंदर पार ब्रितानी सरकार के कानों तक सुनाई दी थी..
बात करते हैं बटुकेश्वर दत्त की जो इस साहसिक कारनामे में भगत सिंह के साथ थे..
@Sheshapatangi
कुछ वर्षों बाद बटुकेश्वर को कालापानी से रिहा कर दिया गया। तब तक सुखदेव,भगतसिंह और राजगुरु को सांडर्स की हत्या के लिए फांसी दी जा चुकी थी।
आजादी के बाद बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान किया गया किंतु बटुकेश्वर की भागीदारी के साक्ष्य होने के बाद भी उन्हें वो सम्मान नहीं मिला जिसके वे अधिकारी थे।