#राम कलयुग में भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
(पढ़िए आज के भूमि पूजन के परिप्रेक्ष्य में)
रघुकुल चंदन दशरथ नंदन, रखते कितना संयम हैं।
राम हमारे अवध दुलारे, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।। 1/n
था चुपचाप सहा उस पल को, धैर्य मार्ग ही अपनाया।।
सदियाँ और पीढ़ियाँ बीतीं, भक्त आपके व्याकुल थे।
फिर भी राम शांत अविचल थे, मर्यादा में ही घुल के ।। 2/n
राम हमारे अवध दुलारे, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
जैसा काल व्यवस्था जैसी, रहे उसी सीमा भीतर।
किये प्रतीक्षा विधि निर्णय की, स्वयं आप प्रभु जगदीश्वर।
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सर्दी गर्मी मेघा बरसे, नहीं कभी सीमा तोड़ी।।
रघुकुल चंदन दशरथ नंदन, रघुकुल के वे चन्द्रम् हैं।
राम हमारे अवध दुलारे, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।।
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लाँघ कभी मर्यादा सीमा, कभी सामने आ सकते।
किन्तु आपके प्रिय भक्तों को, आत्म-नियंत्रण प्यारा था।
संविधान की मर्यादा का, उनको मात्र सहारा था।
रघुकुल चंदन दशरथ नंदन, राम भक्त भी क्या कम हैं।
राम हमारे अवध दुलारे, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।।5/n
छटा अलौकिक दृश्य सुहावन, अवधपुरी के अंदर का।।
जो बरसों तक रहे विरोधी, उसको राम बुलाते हैं।
इस युग में भी निज भक्तों को, मर्यादा समझाते हैं।। 6/n
राम हमारे अवध दुलारे, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।।
बरस चौदह बाद राम जब, सरयू अवध पधारे थे।
दीप जले थे मनी दीवाली, नगरी में जयकारे थे।।
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देश-देश में घर घर चमके, ज्योति राम राज्य वाली।।
दीप जलाओ भारत भर में, करना अल्प परिश्रम है।
राम काज में भाग आप लें, काज राम का उत्तम है।।
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राम हमारे अवध दुलारे, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।। 9/n
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