जैसा कि कुछ लोगो को अभी भी भ्रम है-
हम लोकतंत्र में रह रहे हैं.
लोकतंत्र - "जनता का जनता के लिए जनता पर शाषन"
यही परिभाषा पढ़ाई जाती है बच्चों को लोकतंत्र के बारे में परिचय देते समय...
इस परिभाषा में जनता शब्द तीन बार आता है, लेकिन अलग अलग अर्थ में
"नेता लोग"
वे लोग जो ना तो जीवन में पढ़ लिख कर नोकरी या व्यवसाय कर पाते है, ना ही मजदूरों और किसानों की तरह मेहनत कर पाते हैं...
अर्थात पूर्ण रूप से "अयोग्य लोग"...
सभी तरह के असामाजिक तत्व, गुंडे, अपराधी इसमें सम्मिलित होते हैं...
अब आता है दूसरा शब्द
"जनता के लिए"
इसमें इस्तेमाल किये गए जनता शब्द का अर्थ है - पूंजीपति लोग
लोकतंत्र में नेता पूंजीपतियों के हितों के लिए शाषन करते है
स्पष्ट है कि तीसरे जनता शब्द का अर्थ होता है मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग...
जिनमे से मध्यम वर्ग मतदान में रुचि लेता नही और निम्न वर्ग 100 के नोट या शराब के पव्वे के प्रलोभन में आकर मत किसी को भी दे देता है...
"जनता का जनता के लिए जनता पर शाषन न बोलकर
"अपराधियों का पूंजीपतियों के लिए गरीबो पर शाषन"
बोल सकते है...!!
यही लोकतंत्र की सच्ची और वास्तविक परिभाषा है!