Do you know in INDIA 4,000 crores of incense sticks are imported?
अगरबत्ती पाप और वंश नाश
हिन्दू शास्त्रों में कहीं पर भी अगरबत्ती के उपयोग का वर्णन नहीं मिलता है। केवल धूप दीप का उल्लेख मिलता है।
बांस की लकड़ी को क्यों नहीं जलाया जाता है?
हम अक्सर शुभ(जैसे हवन अथवा पूजन) और अशुभ(दाह संस्कार) कामों के लिए विभिन्न प्रकार के लकड़ियों को जलाने में प्रयोग करते है
लेकिन क्या आपने कभी किसी काम के दौरान बांस की लकड़ी को जलता हुआ देखा है?
भारतीय संस्कृति, परंपरा और धार्मिक महत्व के अनुसार, 'हमारे शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है।
यहां तक की हम अर्थी के लिए बांस की लकड़ी का उपयोग तो करते है लेकिन उसे चिता में जलाते नहीं।'
हिन्दू धर्मानुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है वहीं जन्म के समय जो नाल माता और शिशु को जोड़ के रखती है, उसे भी बांस के वृक्षो के बीच मे गाड़ते है ताकि वंश सदैव बढ़ता रहे।
वैज्ञानिक कारण है?
बांस में लेड व हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। लेड जलने पर लेड ऑक्साइड बनाता है जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक है हेवी मेटल भी जलने पर ऑक्साइड्स बनाते हैं।
लेकिन जिस बांस की लकड़ी को जलाना शास्त्रों में वर्जित है यहां तक कि चिता मे भी नही जला सकते, उस बांस की लकड़ी को हमलोग रोज़ अगरबत्ती में जलाते हैं। अगरबत्ती के जलने से उतपन्न हुई सुगन्ध के प्रसार के लिए फेथलेट नाम के विशिष्ट केमिकल का प्रयोग किया जाता है।
यह फेथलिक एक एसिड होता है जो कि श्वांस के साथ शरीर में प्रवेश करता है, इस प्रकार अगरबत्ती की तथाकथित सुगन्ध न्यूरोटॉक्सिक एवम हेप्टोटोक्सिक को भी स्वांस के साथ शरीर मे पहुंचाती है।
इसकी लेश मात्र उपस्थिति केन्सर अथवा मष्तिष्क आघात का कारण बन सकती है।
शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नही मिलता सब जगह धूप ही लिखा है, हर स्थान पर धूप,दीप,नैवेद्य का ही वर्णन है।
अगरबत्ती का प्रयोग भारतवर्ष में इस्लाम के आगमन के साथ ही शुरू हुआ है।
मुस्लिम लोग अगरबत्ती मज़ारों में जलाते है,
हम हमेशा अंधानुकरण ही करते है, जब कि हमारे धर्म की हर एक बातें वैज्ञानिक दृष्टिकोण कल्याण के लिए ही बनी है।
अतः कृपया अगरबत्ती की जगह धूप का ही उपयोग करें।
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घोड़े पर आयेंगी मां, भैंस पर होंगी विदा, घोड़े पर आना क्यों अशुभ संकेत, किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा:-
इस बार दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो रही है. ऐसे में मां इस नवरात्र घोड़े को अपना वाहन बना रह धरती पर आयेंगी. इसके संकेत अच्छे नहीं हैं.
माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल के साथ ही रोग और शोक फैलता है. बता दें कि इस बार मां भैंस पर विदा हो रही है. इसे भी शुभ नहीं माना जाता है. शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा जी की उपासना का पर्व है.
हर साल यह पावन पर्व श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार ऐसा अधिक मास के कारण संभव नहीं हो पाया.
चंद्रमा और शनि की युति से विष योग का निर्माण होता है l
अगर यह युति किसी महिला के सप्तम भाव में हो तो उसे विषकन्या कहते हैं l पौराणिक ज्योतिष के अनुसार यानी वह महिला जितने से भी शादी करेंगी या जितने से उसका संबंध होगा l सभी किसी न किसी प्रकार से मृत्यु या कष्ट के भागीदार होंगे l
चंद्रमा जिसे हम मन कारक ग्रह कहते हैं l हमारे मन का प्रतिनिधित्व करता है l मन सबसे ज्यादा चंचल होता है l
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अगर उसके साथ शनि की युति हो जाए तो मन की चंचलता में धीमापन आ जाएगा l जातक सुस्त हो जाएगा l आलसी हो जाएगा और और हर कार्य को टालने की आदत हो जाएगी उसमें I
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अपने निकम्मेपन को ढकने के लिए वह हमेशा झूठ बोलेगा चापलूसी करेगा I उसे शराब या अन्य नशा की आदत भी हो सकती है I
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हर भाव में इसकी अलग-अलग प्रभाव पड़ता है :-