#रोहतक के सौ साल पुरानेे इस प्याऊ की कहानी है बड़ी निराली, लाहौर हाईकोर्ट में चला था केस....🙏🙏🙏🙏
यहां शहर में रेलवे रोड पर चलता पंचायती प्याऊ। करीब सौ साल पुराना। वाटर कूलरों के दौर में भी गंगा सागर (पानी रखने का एक पात्र) में पानी पिलाकर पुरानी परंपरा को जिंदा रखे हुए है।
खास इसलिए भी कि इसे शुरू कराने के लिए लाहौर हाई कोर्ट तक की शरण लेनी पड़ी थी और इसे स्थापित करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था।
आज जिस जगह पर प्याऊ है, वह कभी नगरपालिका की जमीन हुआ करती थी। रेलवे रोड बाजार के दुकानदारों ने चंदा इकट्ठा कर यहां प्याऊ लगवाने का कार्य शुरू किया।
तत्कालीन नगर पालिका प्रशासन को जब प्याऊ स्थापित करने का पता चला तो उसने एतराज जताया। पालिका प्रशासन ने प्याऊ के निर्माण पर रोक लगाते हुए इसे तोड़ने के आदेश दे दिए। लाख मिन्नतों के बावजूद पालिका प्रशासन ने जब अडिय़ल रवैया नहीं छोड़ा। प्याऊ को तोड़ने के लिए कर्मचारी भेज दिए।
दुकानदारों ने विरोध किया। एकजुट हुए दुकानदारों ने रातों-रात निर्माण कार्य कराया। अगले दिन से ही पानी पिलाने की शुरूआत कर दी गई।
पंचायती प्याऊ को स्थापित कराने वाले लाला मथुरा प्रसाद गुप्ता के पोते और वर्तमान प्रधान अनिल गुप्ता बताते हैं कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते
मामले ने इतना तूल पकड़ा कि जिलेभर में चर्चा का केंद्र बन गया। नगर पालिका ने खुद का पक्ष कमजोर होते देख दुकानदारों पर दबाव बनाने के लिए कानूनी दांव खेल दिया। रेलवे रोड के दुकानदारों को कानूनी नोटिस भेजा गया।
दुकानदारों ने इस पर हार नहीं मानी और तत्कालीन लाहौर हाई कोर्ट में केस डाल दिया। फैसला भी उनके पक्ष में आया। तभी से निर्बाध रूप से प्याऊ संचालित किया जा रहा है।
पांच साल, 50 तारीखों के बाद जीता केस
प्याऊ का संचालन कराने के लिए लाला मथुरा प्रसाद गुप्ता, लाला पदम सैन जैन व रूपचंद जैन समिति के पहले इंचार्ज बने। करीब पांच साल तक लाहौर हाई कोर्ट में केस चला। 50 तारीखें पड़ीं। तीनों ही इंचार्ज बारी-बारी से कोर्ट की तारीखों पर जाते।
आर्थिक तंगी हुई तो लड़ाई लडऩे के लिए चंदा इकट्ठा करने में भी संकोच नहीं किया। पांच सौ किलोमीटर दूर लाहौर हाई कोर्ट में तारीख से दो दिन पहले निकलना होता था। गुरदासपुर के रास्ते लाहौर तक सफर तय किया जाता था।
आखिर लाहौर हाई कोर्ट ने दुकानदारों के पक्ष में फैसला सुनाया
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भारत के न्याय तंत्र में वामपंथियों और कट्टरपंथी मुस्लिमों की घुसपैठ किस कदर हो गई है सोचिए....
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भारत की अदालतें सिर्फ उन्हीं मामलों का सुओ मोटो लेती हैं
जिन मामलों में मुस्लिम पीड़ित हो और यदि हिंदू दलित पीड़ित होते हैं तब उन्हीं मामलों में Suo-moto लेती है जिसमें आरोपी जनरल क्लास के हिंदू हो❗️
यदि किसी दलित पर मुस्लिम ने अत्याचार किया है तब उन मामलों में वह कभी suo-moto नहीं लेते❗️
उत्तर प्रदेश में एक ही दिन 2 घटनाएं हुई ...एक बलरामपुर में एक हाथरस में ..हाथरस की घटना पूरी तरह से संदिग्ध है क्योंकि परिवार ने 8 दिनों के बाद बलात्कार होना बताया गया और मेडिकल रिपोर्ट में और यहां तक की डॉक्टरों ने भी बताया कि उनके पास बलात्कार की कोई पुष्टि नहीं है❗️❗️
डा. राजकुमारी बंसल या नकली भाभी को हम लोग हँसी में ले रहे हैं लेकिन यह है बहुत गभ्भीर विषय...🙏🙏🙏🙏
यह नक्सल, अर्बन नक्सल, वामपंथ और कांग्रेस का पुरा नेक्सस है जो ऊपर से देश में कांग्रेस के लिए वौद्धिक और सैनिक रुप से काम करता है.. इसके पास लुटा हुआ धन है समर्पित लेखक पत्रकार,
ब्यूरोक्रट्स जज और वकील हैं विशेष रुप से मुस्लिम जो सभी जगह बिरजमान हैं । अटल सरकार के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तब सोनिया के नेतृत्व में इन लोंगो ने अपना काम करना शुरु किया और दूसरे कार्यकाल में तो इन्होने सभी संवेदनशील जगहों तक पर अपने आदमी बैठा दिए ।
दुर्भाग्य से मोदी प्रथम कार्यकाल से ही शिक्षा विधि और कार्मिक मंत्रालय किसी शातिर मंत्री के हाथ में नही रहा ।
कोरेगाँव के बाद दिल्ली हाथरस यह सब कोरेगाँव की ही तर्ज पर किए गए हैं एकदम सुनियोजित धन और बुद्धि का अनुठा समिश्रण है इनमें.. ❗️
हम सभी प्राचीन मिस्र के महान पिरामिड के बारे में जानते हैं।
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हममें से कितने लोग प्राचीन भारत के महान पिरामिड के बारे में जानते हैं?
बरेली, जिसे पहले अहिछत्र के रूप में जाना जाता था, का उल्लेख महाभारत में द्रौपद के राज्य पांचाल की राजधानी के रूप में किया गया था।
बाद में इसे अर्जुन ने जीत लिया और द्रोण को दे दिया। द्रुपद को अपनी राजधानी को दक्षिणी पांचला में कंपिलिया में स्थानांतरित करना पड़ा। अहिच्छत्र एक महान शहर के रूप में वर्णित किया गया था
बरेली में उत्खनन से एक विशाल पिरामिड के रूप में एक विशाल प्राचीन मंदिर का पता चला है।
इसके अलावा खंडहर 22 मीटर ऊंचाई (तुलना के लिए, काबा 13 मीटर है) और शीर्ष पर एक लिंग है। साइट 187 हेक्टेयर है। तुलना करके, रोमन युग का लंदन सिर्फ 140 हेक्टेयर था
यदि १२ वीं शताब्दी में जिहादी आक्रमणकारियों द्वारा इसके विनाश के बाद भी ईंट मंदिर खंडहर इतना विशाल है,
"प्यारे हिंदुओं सुनो तुम यदि हमारी तंज़ीम में रोड़ा अटकाओगे और हमारे अधिकार नहीं दोगे तो हम अफगानों और दूसरे मोमिन देशों की मदद से भारत मे अपना निज़ाम ए मुस्तफा कायम कर लेंगे"
यह उस डाक्टर सैफुद्दीन किचलू का लिखित दस्तावेजी कथन है,
जो 1947 से पहले अविभाजित पंजाब का कांग्रेसी चेहरा था.
1919 में इसी डा सैफुद्दीन किचलू को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था❗️
जिसके विरोध में जलियावांला बाग़ में प्रदर्शन और सभा के दौरान जनरल डायर द्वारा गोलियां चलाने के कारण 1500 से ज़्यादा हिन्दू-सिख मारे गए थे...❗️
अर्थात डाक्टर सैफुद्दीन के समर्थन में 1500 हिंदुओं ने जलियावांला बाग़ में बलिदान किया था, वही किचलू 1946 में हिंदुओं-सिखों को मौत की धमकी देते हुए, पाकिस्तान निर्माण के लिए हिंदुओं को धमकाता है❗️
ये TRP खेल हाथरस में रिपब्लिक का मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए खेला गया है❓❓❓
क्यों की उसमें 'गिद्ध' परिवार के चुजो का नाम आ रहा है दंगा भडकाने की साजिश में❗️
इसलिए 'चरण'वीर को मोहरा बनाकर शकुनि सलाहकार नॉटी द्वारा ये खेल रचा गया .....🙏
बिहार चुनाव में होने वाले नुकसान का आकलन विपक्ष ने कर लिया है हाथरस दाव उल्टा पड गया और जनपथ "मातोश्री" को और उनके नाम पर गठबंधन को नुकसान कम हो इसलिए ही ये खेल रचा गया है क्यों की रिपब्लिक ने वहां सत्य खोदकर सामने रख दिया ❗️
दुसरे तथाकथित राष्ट्रवादी चैनलों का "बैलेंसवादी राष्ट्रवाद" भी सामने आ गया❗️
इन चैनलों ने रिपब्लिक और अर्नब का विरोध कर गलती की है और ये चैनल टीआरपी में अब उभर न सकेगें❗️
रिपब्लिक ने पत्रकारिता के सारे मांपदंड पलट दिये है और ये पत्रकारिता जगत के मोदी ही साबित हुए है❗️
यह सत्य हैं कि योगी आदित्यनाथ जी ने भेदभाव रहित शासन किया हैं.....🙏🙏🙏
उन्हें निराशा में डूबे एक राज्य का भार मिला था ।
जहाँ अपराध को राजनैतिक मान्यता मिल चुकी थी।
पिछले वर्ष उत्तरप्रदेश में जितने बदमाश मारे गये, वह संख्या कश्मीर में मारे गये आंतकवादियो से अधिक हैं ।
CAA के विरोध में जब ऐसा लगा कि पूरा प्रदेश जल जायेगा। मात्र 24 घण्टे के अंदर सबकी कमर तोड़कर , शांति व्यवस्था स्थापित करने वाले मुख्यमंत्री को यदि शासन व्यवस्था का कोई पाठ पढ़ाता हैं तो वह महामूर्ख हैं ।
कोरोनकाल में, 25 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य में, जहाँ 10 लाख से अधिक मजदूर वापस आये। किस तरह नियंत्रण किया हैं, मुख्यमंत्री जी ने। उसके लिये तो उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिये ।
लेकिन नहीं .... न तर्क हैं, न तथ्य हैं।
बस एक ही काम में लगा हैं वामी बुद्धजीवी वर्ग।