वहां लाते ही जब शहंशाह के हुक्म के अनुसार कबीर को मस्त हाथी के पैरों तले रौंदा जाने लगा,तब लोई पछाड़ खाकर पति के पैरों पर गिर पड़ी।पुत्र कमाल भी पिता से लिपटकर रोने लगा।लेकिन कबीर तनिक भी विचलित नहीं हुऐ।आंखों में वही चमक बनी रही।चेहरे की झुर्रियों में भय का कोई चिद्द नहीं उभरा।
एकदम शान्त-गम्भीर वाणी में शहंशाह को सम्बोधित हो कहने लगा -
और फिर इतना कहते ही हलके से मुस्कुरा दिया। कबीर आगे बोले, 'मुझे तो मरना ही था; आज नहीं मरता तो कल मरता। लेकिन सुलतान कब तक इस गफलत में भरमाए पड़े रह सकेंगे, कब तक फूले-फूले फिरेंगे कि वह नहीं मरेंगे?'
कबीर को जिस समय हाथी के पैरों तले कुचलवाया जा रहा था, उस समय कबीर का एक शिष्य भी वहां मौजूद था, उसके मुख से निकल पडा-
अहो मेरे गोविन्द तुम्हारा जोर
काजी बकिवा हस्ती तोर।
बांधि भुजा भलैं करि डार्यो
हस्ति कोपि मूंड में मार्यो।
भाग्यो हस्ती चीसां मारी
वा मूरत की मैं बलिहारी।
महावत तोकूं मारौं सांटी
इसहि मराऊं घालौं काटी।
हस्ती न तोरे धरे धियान
वाकै हिरदै बसे भगवान।
कहा अपराध सन्त हौ कीन्हा
बांधि पोट कुंजर कूं दीन्हा।
कुंजर पोट बहु बन्दन करै
अजहु न सूझे काजी अंधरै।
तीन बेर पतियारा लीन्हा
मन कठोर अजहूं न पतीना।
कहै कबीर हमारे गोब्यंद
चौथे पद में जन का ज्यन्द।
अर्थात ‘हे गोविन्द! आपकी शक्ति की बलिहारी जाऊं। काजी ने आपको (कबीर को) हाथी से तुड़वाने का आदेश दिया। कबीर की भुजाएं अच्छी तरह से बांधकर डाल दिया गया। महावत ने हाथी को क्रोधित करने के लिए उसके सिर पर चोट मारी।
हाथी चिंघाड़कर दूसरी ओर भाग चला। उस प्रकार भागते हुए हाथी की मूरत पर मैं बलिहारी जाऊं। हाथी को भागता देख काजी ने महावत से कहा कि मैं तुझे छड़ी से पीटूंगा और इस हाथी को कटवा डालूंगा। लेकिन हाथी तो उस समय भगवान के ध्यान में मस्त था।
लोग भी कहने लगे कि इस सन्त ने क्या अपराध किया है। जो इसका गट्ठर सा बांधकर हाथी के सामने डाल दिया गया है। लेकिन हाथी बार-बार उस गट्ठर की वन्दना करने लगा। पर अज्ञान से अन्धे हुए काजी को यह देखकर भी कुछ सुझाई न दिया।
तीन बार उसने परीक्षा ली, परन्तु कठोर मनवाले काजी को अब भी विश्वास न हुआ। कबीर मन में कहने लगे कि गोविन्द तो हमारे हैं, मैं जन का जिश्न्दा पीर हूं तथा मैंने चौथी बार चौथे पद (मोक्ष) को प्राप्त कर लिया।’
लोग कहते हैं कबीर मरने के बाद फूल बन गये और हिन्दू और मुस्लिमो ने उन्हें बराबर बांट लिया, जबकि सच्चाई यह है कि सिकंदर लोदी ने उन्हें हाथी के पैरो से कुचलवाकर मरवा दिया था,
क्योंकि कबीर जी सामाजिक कुरीतियों का खंडन करते थे...ऊपर जो छंद है वह कबीर के मरते वक्त ही रचा गया था और कबीर ग्रंथावली के अंत में भी जोड़ा गया है।
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अश्मा च मे मृत्तिका च मे गिरयश्च में पर्वताश्च में सिकताश्च में वनस्पतयश्च मे हिरण्यं च मेऽयश्च में श्यामं च मे लोहं च मे सीस च में त्रपु च मे यज्ञेन कल्पन्ताम् (कृ.यजु. ४-७-५) #हिन्दू_दीपावली_हिन्दू_सामान
मेरे पत्थर, मिट्टी, पर्वत, गिरि, बालू, वनस्पति, सुवर्ण, लोहा लाल लोहा, ताम्र, सीसा और टीन यज्ञ से बढ़ें।
रामायण, महाभारत, पुराणों, श्रुति ग्रंथों में भी सोना (सुवर्ण, हिरण्य), लोहा (स्याम), टिन (त्रपु), चांदी (रजत), सीसा, तांबा, (ताम्र), कांसा आदि का उल्लेख आता है।
सारे शांतिदूतों ने करोड़ों रुपए अपने दुकानों में लगा दिया है घर और गोदाम को माल से भर दिया है जूते चप्पल की दुकान-रेडीमेड कपड़ों की दुकान-पर्स बेल्ट घड़ी से लेकर गंजी और अंडरवियर तक #हिन्दू_दीपावली_हिन्दू_सामान
ठीक..
इसी तरह LED, एलसीडी टीवी- स्पीकर-मोबाइल-कैमरा आदि हर तरह का इलेक्ट्रॉनिक आइटम चाइना से लाकर ठूंस चुके हैं। #हिन्दू_दीपावली_हिन्दू_सामान
पूरे बाजार की रौनक बढ़ी हुई है हिन्दू के एक एक पैसे को लूटने के लिए भेड़ियों की तरह नजरें जमा कर बैठे हुए है जिसे कमाने के लिए साल भर खून पसीना बहाया है हिन्दू ने। #हिन्दू_दीपावली_हिन्दू_सामान
एक बार एक राजपूत के घर की एक
स्त्री स्नान कर रही थी,
तभी संयोग से वहाँ से एक
राजा की सवारी निकल रही थी,
हाथी पर बैठे राजा को अकस्मात
स्त्री का चेहरा व गर्दन तक तन दिखा,
व राजपूत स्त्री से राजा की नज़र
भी टकरा गयी,
तब तुरंत राजा हाथी से उतर गए और पैदल
चलने लगे,
राजा के एक सुरक्षा-कर्मी ने राजा से पैदल
चलने का कारण पूछा !!
तब राजा ने कहा: हाथी पर बैठने के कारण मैंने
अनजाने में एक राजपूत स्त्री की हत्या कर
दी इसलिए मैं अब से भविष्य में
कभी हाथी की सवारी नहीं करूंगा".
और वास्तव में अगली सुबह खबर
मिली की उक्त राजपूत घर की स्त्री ने
अत्महत्या कर अपने प्राण त्याग दिये.....
फाइनेंशियल टाइम्स फ्रांस (FT) की पत्रकार मेहरीन खान ने 4 नवंबर को एक लेख में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैंनुएल मैक्रों पर चुनावी उद्देश्यों के लिए फ्रांसीसी मुसलमानों को कलंकित करने और उनके प्रति भय और संदेह के माहौल को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। #FranceBeheading
यह लेख शायद दो घंटे ही फाइनेंशियल टाइम्स वेबसाइट पे था; उसके बाद इस लेख को हटा दिया गया।
राष्ट्रपति महोदय ने उसी दिन फायनेंसियल टाइम्स को एक पत्र लिखकर अपना घोर विरोध दर्ज कराया।
यह एक अभूतपूर्व कदम है क्यो कि अभी तक G7 - यानि कि अति विकसित देशो के राष्ट्रप्रमुख समाचारपत्रों के लिए लेख लिखा करते थे; ना कि संपादक को पत्र।
मैक्रों ने लिखा कि वह इस लेख की "संदिग्ध गुणवत्ता" की चर्चा नहीं करेंगे और न ही उस "वैचारिक नींव"
#अर्णव सही हैं य गलत मैं उस पर बहस खड़ी नहीं करना चाहता पर क्या किसी भी पत्रकार को एक आतंकवादी की तर्ज पर भारी भरकम सुरक्षा व्यवस्था के साथ पैरों में बगैर जूता-चप्पल के घसीटते ले जाना सही है??
क्या इस प्रकार महाराष्ट्र सरकार ने एक गलत परम्परा की शुरुआत नहीं की जिसका अगर अनुसरण शुरू हो गया तो आए दिन देश में अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा जाएगा, बड़ा सवाल जो लोग NDTV पर कार्रवाई के मामले में अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने और आपातकाल की बात करते थे,
वे अर्णव के मामले में शांत क्यों हैं? पत्रकार से राजनीतिक दलों, नेताओं की सहमति-असहमति हो सकती है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं की बदले की कार्रवाई शुरू हो जाए! अभिव्यक्ति की आजादी को कुचल दिया जाए! मेरा फिर वही सवाल क्या केवल कहने को देश में मीडिया चौथा स्तंभ है?
धर्म क्या है??
धर्म को मूल शब्द 'धृ' से लिया गया है जिसका अर्थ है धारण करना, पास रखना, या संचालन करना। इसलिए जो है धारण करता है, पास रखता है या संचालन करता है वही धर्म है।धर्म पूरे ब्रह्मांड की व्यवस्था को बनाए रखता है। भाग-1 #श्रीरामलला_विराजमान